सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology ) कंपनी विप्रो ने नौकरी का इंतजार कर रहे नए कर्मचारियों के वेतन में लगभग 50 प्रतिशत तक कटौती कर दी है। विप्रो ने हाल में जिन उम्मीदवारों को को 6.5 लाख रुपये प्रति वर्ष की पेशकश की थी, अब उनसे पूछा है कि क्या वह 3.5 लाख रुपये के पैकेज पर ही नौकरी करेंगे। ये कर्मचारी नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे। आईटी कर्मचारियों की यूनियन एनआईटीईएस ने इसे ‘अन्यायपूर्ण’ और नहीं मानने लायक बताया है। साथ ही कंपनी से इस फैसले को वापस लेने की अपील की है। विप्रो का फैसला दुनियाभर में छाई आर्थिक अनिश्चितताओं (uncertainties) और आईटी कंपनियों के लिए चुनौतियों को बताता है।
आईटी क्षेत्र के कर्मचारी संगठन एनआईटीईएस (NITES) ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा है कि यह निर्णय ‘अन्यायपूर्ण’ है। यह ‘निष्पक्षता और पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।’ एनआईटीईएस ने मैनेजमेंट से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की है। साथ ही आपसी फायदे का रास्ता निकालने के लिए यूनियन से बातचीत की अपील भी की है।
इस बारे में संपर्क करने पर विप्रो ने कहा, ‘‘बदले हालात के मद्देनजर अपनी व्यावसायिक जरूरतों के तहत हमें अपनी नियुक्ति योजनाओं को समायोजित करना पड़ा।”
विप्रो ने वेलोसिटी ट्रेनिंग प्रोग्राम को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले कैंडिडेट्स को हाल ही में भेजे गए एक पत्र में कहा, ‘हमारे उद्योग में दूसरों की तरह हम वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं और ग्राहकों की जरूरतों का आकलन करना जारी रखते हैं। हम आपकी प्रतिबद्धता और धैर्य की सराहना करते हैं, क्योंकि हम आपके लिए शामिल होने के अवसरों की पहचान करने की कोशिश करते हैं। कंपनी ने कहा, “इस समय हमारे पास 3.5 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर ही भर्ती के लिए कुछ प्रोजेक्ट इंजीनियर की जरूरत है। हम वित्त वर्ष 23 बैच में अपने सभी वेलोसिटी स्नातकों को इसके मौका देना चाहते हैं।”
एनआईटीईएस के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने कहा कि इसे नहीं माना जा सकता है। कंपनी की वित्तीय परेशानियों का बोझ पूरी तरह से कर्मचारियों के कंधों पर डाला जा रहा है। सलूजा ने कहा, ‘जब तक हमारे सदस्यों के अधिकारों और गरिमा का हनन हो रहा है, हमारा संघर्ष जारी रहेगा।’
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