क्या यह मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षाओं का अंत होगा? पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में संभावित भारी-भरकम फेरबदल में जहां भाजपा नेता के शामिल होने की चर्चा है, वहीं भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य के खेमे उस राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा करने में व्यस्त हैं, जो सिंधिया को केंद्र में मंत्री बनाने पर हो सकता है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, “ऐसा लगता है कि पीएम मोदी मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य जी के मुख्यमंत्री बनने के मुद्दे से पार्टी नेताओं का ध्यान हटाना चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि मप्र के सीएम शिवराज सिंह चौहान लंबे समय से मैदान में मजबूती के साथ डटे हुए हैं। ऐसे में ज्योतिरादित्य खेमे के लिए अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाना आसान नहीं होगा। उन्होंने कहा, “अभी के लिए तो यह असंभव है। वैसे भी पार्टी के नेता अपने राजनीतिक भाग्य का फैसला नहीं करते हैं। इसलिए अंतिम फैसला भाजपा आलाकमान का ही होता है।”
मौजूदा घटनाक्रमों के मद्देनजर ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायक उन्हें मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के रूप में विचार करने के बजाय केंद्र में मंत्री बनने की संभावनाओं के बारे में सुनकर यकीनन खुश नहीं हो सकते हैं।
कांग्रेस पार्टी के एक नेता ने कहा, “जब ज्योतिरादित्य जी कांग्रेस में थे, तब उनका सपना राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का था। अब अपने गृह राज्य यानी मध्य प्रदेश में वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। मुझे लगता है कि ज्योतिरादित्य जी को धैर्य रखना चाहिए। वह युवा हैं और उनके आगे एक लंबा राजनीतिक भविष्य है।” उन्होंने कहा, “शिवराज सिंह चौहान को अस्थिर करने के लिए ज्योतिरादित्य खेमे की ओर से संभावित राजनीतिक तख्तापलट की अफवाहें बार-बार उठती हैं। लेकिन ये सब अफवाहें ही हैं। किसी भी राजनीतिक दल में आंतरिक कलह जीवन का एक हिस्सा है, जिसे इतनी गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए।”
यूपीए सरकार बतौर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक बहुत ही सक्षम प्रशासक और योजनाकार के रूप में अपनी क्षमता साबित की थी। भाजपा शासन इसे नहीं भूला है। शायद यही मुख्य कारण हो सकता है कि उन्हें केंद्रीय मंत्रियों की संभावित सूची में रखा गया है। लेकिन मध्य प्रदेश का राजनीतिक वर्ग इसे ज्योतिरादित्य को लंबे समय तक यहां से दूर रखने के रूप में देखता है। ताकि यहां सब शांत रहे।
अटकलें जो भी हों, सच्चाई यही है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षाओं छोड़ने वाले नहीं हैं। ऐसे में, वह शायद अपने लिए अवसर की प्रतीक्षा करेंगे।