आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) की दिल्ली बेंच ने माना है कि, यदि रजिस्टर्ड सेल डीड में घर की संपत्ति में पति और पत्नी की भूमिका अलग-अलग तय नहीं है, तो दोनों को एक समान मालिक माना जाएगा। इस आधार पर शिवानी मदान के मामले में फैसला सुनाते हुए ITAT ने वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए उन पर 9.8 लाख रुपये के टैक्सेशन को बरकरार रखा। चूंकि यह संपत्ति खाली थी, इसलिए इनकम टैक्स कानून के तहत किए गए हिसाब का 50% पत्नी को देना ही होगा।
दरअसल एक बिजनेस ग्रुप के यहां इनकम टैक्स विभाग का सर्वे हुआ था। इसमें पता चला कि 2011 में पति के साथ मिलकर 3.5 करोड़ रुपये में एक घर खरीदने का खुलासा हुआ था। इससे सवाल उठने लगे कि इस तरह की गृह संपत्ति से होने वाली आय का आई-टी रिटर्न में खुलासा क्यों नहीं किया गया। मदन ने केवल 20 लाख रुपये का निवेश किया था, जो संपत्ति के खरीद मूल्य का लगभग 5.4% था। आई-टी नोटिस के जवाब में, उसने अपने हिस्से के अनुपात में घर की संपत्ति की आय का खुलासा किया। अपील के विभिन्न चरणों में इसे अस्वीकार कर दिया गया था।
जब मुकदमेबाजी आईटीएटी में पहुंची, तो उसने बताया कि सेल डीड में पत्नी का नाम शामिल करने की प्रथा है। इसलिए पत्नी पर गृह संपत्ति आय का 50% टैक्स लगाना उचित नहीं था। इस तर्क को मजबूत करने के लिए विभिन्न न्यायिक फैसलों का भी हवाला दिया गया।
हालांकि, मामले के तथ्यों के आधार पर ITAT ने इन सबमिशन को खारिज कर दिया। टैक्स ट्रिब्यूनल बेंच ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि संपत्ति से होने वाली आय पर केवल पति के नाम पर टैक्स लगाया जाना चाहिए, क्योंकि पत्नी गृहिणी थी, आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं था और संपूर्ण निवेश उसके पति द्वारा किया गया था। जबकि मदन के मामले में वह एक वेतनभोगी थी। संयोगवश उस बिजनेस ग्रुप में काम कर रही थी, जहां तलाशी ली गई थी।
टैक्स एक्सपर्ट बताते हैं कि हाउस प्रॉपर्टी में पत्नी का नाम जोड़ा जाना काफी आम बात है। हालांकि, संपत्ति के निर्माता/विक्रेता को प्रत्येक सह-मालिक द्वारा योगदान किए गए सटीक हिस्से का दस्तावेज़ीकरण, बैंक खातों का विवरण (जिससे भुगतान किया गया है), पिछले टैक्स रिटर्न आदि मुकदमेबाजी के मामले में काम आएंगे।
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