इजराइली सोफ्टवेयर पेगासस से भारत में जासूसी के आरोपों के बाद आए दिन नए खुलासे हो रहे हैं। जासूसी किए जाने वाले नामों की लिस्ट 300 भारतीय लोगों के नंबर होने की बात सामने आई है उसमें पत्रकार, विपक्ष के नेता, आम नागरिक और सरकार के मंत्रियों के नाम भी शामिल हैं।
एक तरफ़ सरकार पेगासस के द्वारा जासूसी करने की बात को नकार रही है वही दूसरी पेगासस स्पायवेयर बनाए वाली इजराइल की कंपनी NSO ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से कहा है कि वह अपना सॉफ्टवेयर केवल सरकारों को ही बेचती है। अब सवाल यह उठता है की अगर भारत में इजराइल में बनाए गए पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल हुआ है तो उसे खरीदा किसने होगा? इसके लिए कितना पैसा दिया गया होगा ? और इस जासूसी लिस्ट के नाम किसने तय किये होंगे?
यही नहीं इजराइल में पेगासस के अलावा अन्य ब्रांड नेम से इस तरह के उपकरण और जासूसी सॉफ्टवेयर बेचने वाली कम्पनियाँ है सभी को इजराइल सरकार की अनुमति के बाद ही सॉफ़्टवेयर बेचना होता है ।
इसका एक पहलू और भी सामने आता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार जुलाई 2017 को इजराइल की यात्रा की थी। और इसी के साथ वो इजराइल के प्रथम अधिकारिक यात्रा का श्रेय मिलने की श्रेणी में आ गए ।
हालाँकि सरकारें इससे पहले भी जासूसी कराती रही हैं, पर यह जासूसी कांड,भारत के इतिहास का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है।इसमें कई निर्दोष लोगों के नाम भी शामिल है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला व उसके परिवार की निजता को भी हानि पहुँचाई गयी ।और दमोह के सांसद और मंत्री प्रहलाद पटेल के फ़ोन के साथ साथ उनके आसपास व परिवार के सभी लोगों के फ़ोन भी पेगासस के शिकार पर रहे । कोरोनाकाल में वायरस पर काम करने वाली डॉक्टर और वैज्ञानिक गगनदीप कंग तक का फोन हैक किया गया।
इस लिस्ट में पत्रकारों का नाम बड़ी संख्या में शामिल है इसमें मुख्य रूप से सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु, परंजॉय गुहा ठाकुरता, एसएनएम अब्दी, रोहिणी सिंह, स्वाति चतुर्वेदी, विजेता सिंह, सुशांत सिंह जैसे 40 नाम शामिल हैं जिनकी स्टोरी आए दिन मोदी सरकार पर तंज कसने का काम करती है ।
रोहिणी सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह के कारोबार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी कारोबारी निखिल मर्चेंट को लेकर रिपोर्ट्स लिखी थी और मंत्री पीयूष गोयल के बिजनेसमैन अजय पिरामल के साथ हुए सौदों की पड़ताल पर खबर ब्रेक की थी।
इंडियन एक्सप्रेस में डिप्टी एडिटर पत्रकार सुशांत सिंह अन्य रिपोर्ट्स के साथ फ्रांस के साथ हुई विवादित रफ़ाल सौदे को लेकर पड़ताल कर रहे थे। इस दौरान जुलाई 2018 में उन्हें निशाना बनाया गया।
पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा का नाम भी सूची में शामिल है, जिन पर पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी रखने की योजना बनाई गई थी। क्यूँकि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी गई क्लीनचिट का अशोक लवासा ने विरोध किया था।
अगर राजनीति की बात की जाये तो प्रमुख विपक्षी कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम भी इस लिस्ट में है। वही चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है जो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए काम कर रहे थे। प्रशांत किशोर का नाम लिस्ट में क्यों है अब इसका मतलब आसानी से समझने वाली बात है ।
इस स्टोरी को Josh Hosh पर छपे लेख के आधार पर लिखा गया है ।