बाल यौन शोषण इससे कई सारे बच्चे जूझ रहे है या इसकी पीड़ा सहन कर चुके है , और धीरे-धीरे इसके आँकड़े भी बढ़ रहे है . अगर बात की जाए लॉकडाउन की , तो उस वक्त मानो इसमें अतर्कित बढ़त आयी.
आँकड़ो की ओर नज़र करे तो NCRB के अनुसार २०१७ में ३२६०८ केस दर्ज किए गए वहीं दूसरी और २०१८ में यह बढ़कर ३९८२७ हो गए . और इसके चलते २०१९ में ४.५% की बढोतरी हुई और लॉकडाउन में मात्र ५ महीने में ही डेटा में बहुत बढ़ी बढ़त देखने को मिली जिसमें
लॉकडाउन के शुरुआती दौर में ही मार्च १ ,२०२० से सितम्बर १८ ,२०२० तक रेप , गैंगरेप , चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के १३२४४ मामले सामने आए .
वहीं दूसरी ओर NCPCR (National Commission for protection of child rights) के अनुसार ऑनलाइन व हेल्पलाइन नम्बर के द्वारा ही १ मार्च २०२० से ३१ अगस्त २०२० तक ४२० बाल शोषण के मामले सामने आए है .
CIF (Childline India Foundation) में तो १ मार्च २०२० से १५ सितम्बर २०२० तक ३९४१ कॉल बाल यौन शोषण के ही रहे है. सरकार के द्वारा इसे कम करने के लिए अत्यंत प्रयास किए जा रहे है फिर भी धीरे धीरे इनके दिन-ब-दिन बढ़ते आँकड़ो को देखते हुए वाइब्ज़ ओफ़ इंडिया ने बाल यौन शोषण पीड़िता व कुछ बाल विशेषज्ञों से बात की –
बैंगलोर निवासी निकिता राजे जो पहले अपने पिताजी के दोस्त के फिर उन्ही की कार के ड्राइवर के द्वारा मात्र ९ वर्ष की उम्र से ही कई बार शोषण का शिकार हुई पर जब एक बार उन्होंने खुलकर अपने माता -पिता के सामने यह बात कही तो उन्होंने उसका साथ दिया और उसे संभाला आज निकिता वकील के तौर पर कार्यरत है और बाल शोषण के लिए आवाज़ उठाने में लोगों की मदद करती है.
इसी मुद्दे पर जब इंडीयन मेडिकल असोसीएशन की पूर्व अध्यक्षा व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मोना देसाई से बात की गयी तो उनके अनुसार बात की जाए बाल यौन शोषण की तो अधिकतर यह जान-पहचान के लोगों द्वारा किया जाता है . और इसमें अधिक से अधिक संख्या लड़कियों की देखी गयी है ,पर वक्त के साथ अब धीरे -धीरे लड़कों की भी संख्या बढ़ती जा रही है ।
बात की जाए पीडोफिलिया ग्रसित लोगों की तो कहीं ना कहीं सजा के बाद भी उनमें परिवर्तन नहीं होता है । और इसकी सजा मृत्यु या आजीवन कारावास ही होनी चाहिए यही नहीं कुछ देशों में यह क़ानून बनाया गया है ,और लॉकडाउन में बढ़ने का कारण या तो कुछ लोगों का सेक्स वर्करस के पास ना जा पाना , या आरम्भ से वही सोच होना पर कुछ काम ना होने के चलते उस चीज़ को लेकर और अधिक सजग होना हो सकता है . इसके लिए दोष दिया जाए तो सबसे पहले सेक्स एजुकेशन की पूर्णतया उपलब्धता ना होना व परिवार के द्वारा ही इस बारे में जानकारी ना देना है .
Circles of safety NGO की मुख्य संस्थापिका अनुजा अमीन के अनुसार चिल्ड्रन हेल्पलाइन में लॉकडाउन के प्रथम ११ दिनो में ही ९२००० SOS कॉल बाल यौन शोषण व स्त्री उत्पीड़न से सम्बंधित है .और कहीं जगह तो हो रहे बाल शोषण की जानकारी भी नहीं दी जा रही ,जो अत्यंत चिंता का विषय है .
इस पर हमने मनोचिकित्सक व सेक्स विशेषज्ञ डॉ. विशाल गौर से बात की उनके अनुसार, “जिन बच्चों का 5 वर्ष की उम्र तक अगर शोषण हुआ होता है तो वो सहम से जाते है और किसी भी नए व्यक्ति के आने पर डरने लगते है , वही अगर 5 वर्ष से उम्र अधिक रहती है तो धीरे – धीरे समय के साथ जैसे उन्हें बातें समझ आती है , और उसी वक्त नहीं पर 6-7वर्षों के पश्चात उनमे एनजाईटी अटैक, और डिप्रेशन जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती है । और ऐसा नहीं है की बाल यौन शोषण सिर्फ़ पुरूषों द्वारा बल्कि महिलाओं द्वारा भी किया जाता है भारत में इसकी संख्या कम है परंतु बाहरी देशों में महिलाओं और पुरूषों दोनो के मामले समान रूप से सामने आते है ।”