दुनिया भर में मंकीपॉक्स वायरस के बढ़ते मामलों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को गहरी चिंता में डाल दिया है। यही कारण है कि उसने अगले सप्ताह एक महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहा है। इसमें यह तय किया जाएगा कि इस बीमारी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी के तौर पर घोषित किया जाना चाहिए या नहीं।
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेबियस ने कहा, “मंकीपॉक्स का प्रकोप असामान्य और चिंताजनक है। इस वजह से मैंने अगले सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों के तहत आपातकालीन समिति को बुलाने का फैसला किया है। ताकि यह आकलन हो सके कि यह प्रकोप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी से जुड़ी चिंताओं के लायक है या नहीं।
दुनियाभर में अब तक मंकीपॉक्स संक्रमण के अब तक 1600 मामले सामने आए है। इसके अलावा 1500 मामले संदिग्ध हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया के 39 देश इसकी चपेट में हैं, जिनमें से सात देशों में मंकीपॉक्स के वायरस वर्षों पहले ही मिल चुके हैं। इनके अलावा 32 हाल में ही इसकी चपेट में आए हैं। इस साल अब तक पहले से प्रभावित देशों में 72 लोगों की मौत हो चुकी है।
नए प्रभावित देशों में अब तक कोई मौत नहीं हुई है। हालांकि डब्ल्यूएचओ ब्राजील में मंकीपॉक्स से संबंधित एक मौत की खबर की सत्यता की जांच की मांग कर रहा है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जबकि बीमारी का प्रकोप और अन्य स्वास्थ्य जोखिम अक्सर अप्रत्याशित होते हैं। इसके लिए कई तरह की प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता होती है। अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (आईएचआर) 2005 एक व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करता है, जो इमरजेंसी में सार्वजनिक स्वास्थ्य को संभालने में देशों के अधिकारों और दायित्वों को परिभाषित करता है। आईएचआर ऐसा अंतरराष्ट्रीय कानून है, जो डब्ल्यूएचओ के 194 सदस्य देशों सहित 196 देशों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है।
इस बीच, डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स के लिए चेचक के टीकों के उपयोग पर अंतरिम मार्गदर्शन प्रकाशित किया है। चेचक (स्मालपॉक्स) की वैक्सीन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया ने कहा कि, मंकीपॉक्स के खिलाफ इस टीके से कुछ सुरक्षा मिलने की उम्मीद है। लेकिन इसे लेकर सीमित डेटा है, साथ ही वैक्सीन की सप्लाई भी लिमिटेड है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वैक्सीन की जरूरत जहां भी हो, वहां समान रूप से उपलब्ध कराया जाना चाहिए।