भारत और कनाडा के बीच रिश्तों को लेकर वह परिवार चिंतित हैं, जो कनाडा में पढ़ रहे हैं या काम कर रहे हैं. इन लोगों की मांग है कि दोनों देश इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाएं. भारत ने गुरुवार को कनाडा में अपनी वीज़ा सेवाओं को “अगली नोटिस तक रद्द” कर दिया. खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर (Khalistani separatist Hardeep Singh Nijjar) मौत मामले में भारत और कनाडा के बीच रिश्ते खराब हुए जिसके बाद यह कदम उठाया गया है.
भारत और कनाडा के बीच बढ़ते राजनयिक विवाद ने खासकर पंजाब के कई परिवारों को परेशानी में डाल दिया है. पंजाब के लोगों के लिए पढ़ाई और बसने के लिए कनाडा पसंदीदा देशों में से एक है.
कपूरथला के एक मकामी दुकानदार ऋषिपाल ने कहा कि वह अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर परेशान हैं, जो आठ महीने पहले स्टडी वीजा पर कनाडा गई थी. लुधियाना जिले के गांधी नगर इलाके से ताल्लुक रखने लाले गोपाल ने कहा कि उनके दो बेटे हाइयर एजुकेशन के लिए कनाडा गए हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में उन्हें उनकी चिंता है.
बताते चलें कि कनाडा में भारत से करीब 75 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, जोकि वहां की कुल आबादी का करीब 3% है. कनाडा के इमिग्रेशन, रिफ्यूजी और सिटीजनशिप आंकड़ों के मुताबिक, कनाडा में करीब 8 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्र रहते हैं, जिसमें से करीब 40% भारतीय छात्र ही हैं.
होशियारपुर के एक स्थानीय व्यवसायी विकास मारवाहा ने भी अपने बेटे साहिल मारवाहा की सुरक्षा और भविष्य के बारे में चिंता व्यक्त की, जो लगभग डेढ़ साल पहले वर्क परमिट वीजा पर टोरंटो गए थे. कनाडा में वीज़ा सेवाओं को निलंबित करने के भारत सरकार के नए कदम ने उन कनाडाई नागरिकों को परेशान कर दिया है जो पंजाब की यात्रा करना चाहते हैं.
38 साल के अर्शपाल सिंह और उनकी पत्नी 12 अक्टूबर को वर्क परमिट पर कनाडा जाने वाले हैं. सिंह ने कहा कि वह थोड़ा चिंतित हैं लेकिन उम्मीद है कि यह मुद्दा जल्द ही खत्म हो जाएगा. इस जोड़े ने कनाडा में बसने के लिए अपनी-अपनी नौकरियों से इस्तीफा दे दिया है.
कनाडा के फंड्स का भारतीय कंपनियों में निवेश
दोनों देशों के बीच FTA पर चल रही बातचीत पर फिलहाल विराम लग चुका है और आगे डर है कि कनाडा पेंशन फंड के भारत में निवेश पर भी असर देखने को मिलेगा.
Canadian Pension Plan Investment Board यानी CPPIB पिछले कई सालों से भारत में निवेश करता आया है. ये निवेश देश की कुछ लिस्टेड और अन-लिस्टिड कंपनियों – दोनों में है. हाल की फाइलिंग के मुताबिक CPPIB का भारत में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये तक का निवेश हैं. CPPIB ने बड़े पैमाने पर देश की न्यू इकोनॉमी कंपनियों में उनके लिस्टिंग के समय निवेश किया था और अब भी फंड का इन कंपनियों में हिस्सा हैं.
Paytm और Nyakaa के IPO के दौरान CPPIB एंकर निवेशक भी रह चुका हैं. यहीं नही, CPPIB ने Wipro में 11.92 मिलियन डॉलर, Infosys में 21.7 मिलियन डॉलर और ICICI Bank में 10 मिलियन डॉलर का निवेश किया है. इन कंपनियों के अलावा कनाडा का पेंशन फंड बडे़ पैमाने पर देश के इंफ्रा प्रोजेक्ट , इंफ्रा कंपनियों और इंवेस्टमेंट ट्रस्ट में भी निवेश करता आया है.
सिर्फ CPPIB ही नहीं Ontario Teachers’ Pension Plan (OTPP) का भी भारत में निवेश है. 31 दिसंबर 2022 तक OTPP का भारत में 3 अरब डॉलर का निवेश था और 2030 तक इसे बढाकर 300 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है. OTPP ने देश की दिग्गज सरकारी रोड इंफ्रा कंपनी NHAI ,महिंद्रा ग्रुप की नई रिन्युएबल कंपनी महिंद्रा ससटेन और सहयाद्री हॉस्पिटल जैसी कंपनियों में भी निवेश किया है.
भारत ने क्यों उठाया ऐसा कदम?
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया था जिसके बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है. इसी कूटनीतिक विवाद के बीच भारत ने जिस कंपनी को वीजा जारी करने के लिए हायर किया है, उसने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि ऑपरेशनल कारणों से तत्काल प्रभाव से कनाडा में भारतीय वीजा सेवाओं को अगली सूचना तक निलंबित किया जाता है.
कनाडा में भारत के लिए वीजा जारी करने वाली कंपनी ‘बीएलएस इंडिया वीजा एप्लिकेशन सेंटर’ ने नोटिस में कहा है कि ऑपरेशनल कारणों से 21 सितंबर 2023 से भारतीय वीजा सेवाओं को अगली सूचना तक निलंबित किया जाता है. आगे के अपडेट के लिए बीएलएस इंडिया के बेवसाइट पर विजिट करते रहें.
भारतीय वीजा सस्पेंड होने के बाद कारोबार पर असर
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में फाइल की गई जानकारी में BLS इंटरनेशनल ने बताया है कि 21 सितंबर 2023 को परिचालन संबंधी परेशानी के कारण कनाडा में भारतीय वीजा सेवाओं को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक दिया गया है. कंपनी ने बीएसई को बताया कि इस कदम से BLS इंटरनेशनल की वित्तीय सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा. BLS इंटरनेशनल के सालाना रेवेन्यू में कनाडा वीजा इश्यू बिजनेस का केवल दो फीसदी हिस्सा है.
नागरिकों और छात्रों को सतर्क रहने की एडवाइजरी जारी
विदेश मंत्रालय ने कनाडा में रह रहे भारतीय नागरिक और स्टूडेंट्स के लिए एडवाइजरी जारी की है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘कनाडा में बढ़ती भारत विरोधी गतिविधियों और राजनीतिक रूप से समर्थित घृणा अपराधों और आपराधिक हिंसा को देखते हुए, वहां मौजूद सभी भारतीय नागरिकों और यात्रा पर जाने का विचार करने वालों से अत्यधिक सावधानी बरतने का आग्रह किया जाता है.’
अपनी एडवाइजरी में विदेश मंत्रालय ने कहा गया है, “हाल ही में, धमकियों के जरिये विशेष रूप से भारतीय राजनयिकों और भारतीय समुदाय के उन वर्गों को निशाना बनाया गया है जो भारत विरोधी एजेंडे का विरोध करते हैं. इसलिए भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे कनाडा के उन क्षेत्रों और संभावित स्थानों की यात्रा करने से बचें जहां ऐसी घटनाएं देखी गई हैं.”
कनाडा में खालिस्तानियों का प्रभाव
सत्तर के दशक के अंत में जगजीत सिंह चौहान पंजाब में चुनाव हारने के बाद ब्रिटेन चला गया था. 12 अक्टूबर 1971 को उसने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक इश्तेहार छपवाया. जिसमें उसने खुद को तथाकथित खालिस्तान का पहला राष्ट्रपति घोषित किया. बाद में पश्चिमी देशों में भी खालिस्तानी आतंकवाद ने गति पकड़ ली. जगजीत सिंह ने खालिस्तानी आतंक को कई तरीकों से बढ़ावा दिया. यहां तक कि उसने खालिस्तानी डॉलर भी छापे. खालिस्तान आंदोलन ने धीरे-धीरे इमिग्रेशन स्कैम का रूप ले लिया. पंजाब से बड़ी संख्या में लोगों ने भारत में उत्पीड़न का बहाना बनाते हुए पश्चिमी देशों में शरण लेनी शुरू कर दी.
पंजाब पुलिस के अनुसार, 1981 से 1983 के बीच खालिस्तान आंदोलन के कारण 21,469 लोगों की जान गई. हालांकि, खालिस्तान आंदोलन भारत में खत्म हो गया. लेकिन पश्चिमी देशों में यह फलता-फूलता रहा. क्योंकि वहां की सरकारें अपने हितों को देखते हुए इसे खतरा नहीं मानती थी. कनाडा में आज कुल आबादी का लगभग 2 प्रतिशत सिख हैं. खालिस्तानी आसानी से कनाडा में रैलियां और परेड करते हैं लेकिन भारत की आपत्ति के बावजूद वहां की सरकार कोई एक्शन नहीं लेती है.