लिंक्डइन में उपाध्यक्ष और इंजीनियरिंग के प्रमुख मोहक श्रॉफ ने कहा है वह यहां तक प्रमुख स्वामी के आशीर्वाद से ही पहुंचे हैं, जिनमें लाखों लोगों की आस्था है। बता दें कि 44 वर्षीय श्रॉफ लिंक्डइन में 7,000 से अधिक कर्मचारियों की देखरेख करते हैं।
श्रॉफ और उनका परिवार बुधवार को गुरु के शताब्दी वर्ष समारोह के लिए अहमदाबाद में बनाए गए 600 एकड़ के प्रमुख स्वामी नगर में थे। प्रमुख स्वामी दरअसल स्वामीनारायण संप्रदाय के बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) संप्रदाय के प्रमुख हैं। वह बापा के नाम से चर्चित रहे हैं। श्रॉफ ने कहा, “मेरे वर्तमान पद पर बापा की छाया है।” श्रॉफ ने कहा, “2008 में जब बाजार भारी निराशा में था, तब मैं अलग-थलग पड़ गया था। आगे बढ़ने के लिए मैं दिशा के बारे में निश्चित नहीं था। उस समय मुझे लिंक्डइन से प्रस्ताव मिला। मैंने बापा से संपर्क किया।”
प्रस्ताव का ब्योरा जानने के बाद बापा ने श्रॉफ को प्रस्ताव स्वीकार न करने की सलाह दी। श्रॉफ ने कहा, “आश्चर्यजनक रूप से कंपनी ने तब बेहतर वेतन और प्रोफाइल की पेशकश की थी। मैंने फिर से बापा से संपर्क किया और उनका जवाब अभी भी नहीं था। अंत में कंपनी ने और भी बेहतर स्थिति के साथ एक संशोधित प्रस्ताव दिया। अब बापा ने मुझे इसे स्वीकार कर लेने के लिए कहा।” श्रॉफ ने आगे कहा, “इस एपिसोड ने मुझे खुद को और अपने अनुभव को महत्व देना सिखाया। साथ ही कम पर समझौता नहीं करना सिखाया। मुझे यह भी महसूस हुआ कि मैं जितना खुद को समझता था, उन्होंने उससे ज्यादा कैसे महत्व दिया।”
श्रॉफ ने पहली बार प्रमुख स्वामी को तब देखा था जब गुरु ने 1985 में बहरीन का दौरा किया था। श्रॉफ ने कहा, “मैं लगभग सात साल का था, और उनके आसपास खेल रहे कई बच्चों में से एक था। हम तब सत्संगी (बीएपीएस के अनुयायी) नहीं थे, लेकिन आभा और बापा का प्रभाव ऐसा था कि मेरा परिवार संप्रदाय को मानने लगा।”
श्रॉफ की जड़ें गुजरात में हैं। मुंबई में पैदा हुए थे और डेढ़ साल की उम्र में बहरीन चले गए थे। बाद में उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की और लिंक्डइन में शामिल होने से पहले कुछ टेक फर्मों के साथ काम किया।
यहां तक कि अपने लिंक्डइन प्रोफाइल पिक्चर में श्रॉफ विशिष्ट स्वामीनारायण तिलक लगाते हैं। उन्होंने कहा कि बीएपीएस के साथ उनका जुड़ाव गहरा है, क्योंकि यह हर मोड़ पर जीवन बदलने वाला साबित हुआ। उन्होंने कहा, “11-12 साल की उम्र में, मैं इस संस्था के साथ स्वयंसेवा करने के लिए भारत आया था। मैं गढ़ादा मंदिर में था। तब प्रमुख स्वामी ने मुझे भीड़ में देखा और पूछा कि क्या मैं मध्य पूर्व से हूं। मैं तब कुछ भी नहीं था, लेकिन इस घटना ने मुझे हर किसी का सम्मान करना सिखाया और लाखों सत्संगियों पर उनके प्रभाव को उजागर किया।”
श्रॉफ ने कहा कि एक मेहनती अप्रवासी परिवार में परवरिश और एक आध्यात्मिक नींव ने उन्हें जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार किया। उन्होंने कहा, ‘आज लोग इस बात से हैरान हैं कि गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी अमेरिकी दिग्गज कंपनियों में शीर्ष स्थानों पर भारतीय मूल के कई लोग हैं। मेरे अनुसार, यह हमारी अनूठी संस्कृति के कारण है जो दयालु भावनाओं से भरी है। यहां तक कि हमारी शिक्षाओं में भी सिखाया जाता है कि हमारी खुशी सब की खुशी में ही है।”
जब माइक्रोसॉफ्ट ने 2017 में लिंक्डइन का अधिग्रहण किया, तो कई कर्मचारियों को भविष्य को लेकर चिंता थी। श्रॉफ ने कहा, “लेकिन मैंने शिक्षाओं को याद किया, और सक्रिय रूप से अपने सीईओ के पास पहुंचा। उन्हें आश्वासन दिया कि जो भी हो, मैं उनके साथ रहूंगा। कुछ साल बाद मुझे सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया। हालांकि पद के लिए अन्य दावेदार भी थे। मुझे बताया गया था कि संकट के दौरान मेरा नजरिया सबसे महत्वपूर्ण साबित हुआ।”
आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) के प्रभाव के बारे में श्रॉफ ने कहा, “निर्णय लेने के लिए एल्गोरिदम लिखना पर्याप्त नहीं है, आज हमें जो चाहिए वह नैतिक (moral) और नैतिक एआई (ethical AI) है। उन्होंने कहा: “आखिरकार, हम मेकर हैं, और हमें अपने कार्यक्रमों में अच्छे मूल्यों को शामिल करना चाहिए।”
टेक्नोलॉजी के भविष्य और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए उनके संदेश के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लिंक्डइन के एक सीनियर अधिकारी के रूप में उन्होंने अच्छे कनेक्शन के मूल्य को समझा है। उन्होंने कहा, “हम अक्सर अपने लोगों तक पहुंचने और मदद लेने में हिचकिचाहट महसूस करते हैं। लेकिन मुझे बताएं, अगर कोई आपसे मदद चाहता है तो क्या आपको कभी गुस्सा आता है? इसके बजाय, आप सम्मानित महसूस कर सकते हैं कि वह व्यक्ति आप पर भरोसा करता है।”
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