गुजरात के कच्छ में स्थित गुरुद्वारा लखपत साहिब में गुरु नानक देव जी का गुरु पर्व को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सम्बोधित करते हुए कहा कि हमने करतारपुर कॉरिडोर का लम्बा इंतजार खत्म किया | पीएम मोदी ने कहा कि 2001 के भूकंप ने भी गुरुद्वारा साहिब की 200 साल पुरानी इमारत को बहुत क्षति पहुंचाई थी. लेकिन इतनी त्रासदी झेलने के बाद भी गुरुद्वारा लखपत साहिब उसी गौरव के साथ खड़ा है|
1998 के समुद्री तूफ़ान से गुरुद्वारा लखपत साहिब को काफी नुकसान हुआ था. 2001 के भूकंप ने भी गुरुद्वारा साहिब की 200 साल पुरानी इमारत को बहुत क्षति पहुंचाई थी. लेकिन इतनी त्रासदी झेलने के बाद भी गुरुद्वारा लखपत साहिब उसी गौरव के साथ खड़ा है.गौरतलब है कि 2001 के भूकंप के समय पीएम नरेंद्र मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने बिना देर किए गुरुद्वारे की मरम्मत कराया था. खुद पीएम मोदी ने कहा कि, 2001 के भूकंप के बाद उन्हें गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का मौका मिला था. उन्होंने कहा कि देश के हर हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के गौरव को संरक्षित किया.
पीएम मोदी ने कहा कि, हम अफगानिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को स-सम्मान भारत लाने में सफल रहे हैं. पीएम मोदी ने अपने अमेरिका दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ महीने जब वे अमेरिका गये थे तो अमेरिका ने 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं भारत को लौटाईं थी.गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है।गुरु नानकदेव जी का संदेश पूरी दुनिया तक नई ऊर्जा के साथ पहुंचे, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए।
पीएम मोदी ने देश को बताया कि ये गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रहा है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे।देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंघ का निर्माण हुआ है | जिस तरह गुरु तेगबहादुर जी मानवता के प्रति अपने विचारों के लिए सदैव अडिग रहे, वो हमें भारत की आत्मा के दर्शन कराता है।जिस तरह देश ने उन्हें ‘हिन्द की चादर’ की पदवी दी, वो हमें सिख परंपरा के प्रति हर एक भारतवासी के जुड़ाव को दिखाता है |
औरंगज़ेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबीकट्टरता से देश कैसे लड़ता है।सी तरह, दशम गुरु, गुरुगोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है |
अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आज़ादी के लिए संघर्ष किया, हमाराआज़ादी का संग्राम, जलियाँवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है | प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री को याद करते हुए कहा कि आज हम सभी के श्रद्धेय अटल जी की जन्म जयंती भी है।अटल जी का कच्छ से विशेष स्नेह था।भूकंप के बाद यहां हुए विकास कार्यों में अटल जी और उनकी सरकार कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही थी |