हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस (Vijay Diwas) मनाया जाता है, जो 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की निर्णायक जीत और बांग्लादेश की मुक्ति का प्रतीक है। यह दिन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है और सशस्त्र बलों की वीरता और बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।
विजय दिवस का ऐतिहासिक संदर्भ
1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध 3 दिसंबर को शुरू हुआ, जिसका कारण पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में मानवीय संकट था। पाकिस्तानी सेना द्वारा नागरिक आबादी पर की गई क्रूरता ने व्यापक अशांति और पीड़ा उत्पन्न की। भारत ने बांग्लादेश के लोगों की स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका समर्थन करने के लिए हस्तक्षेप किया।
16 दिसंबर 1971 को, पाकिस्तानी जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाज़ी, जो पाकिस्तानी बलों के कमांडर थे, ने भारत और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी की संयुक्त सेनाओं के समक्ष औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया। लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने हथियार डाल दिए, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण था।
इस युद्ध का परिणाम बांग्लादेश के जन्म के रूप में सामने आया और भारत को क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित किया। हालांकि, इस जीत की भारी कीमत चुकानी पड़ी: लगभग 3,900 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राण न्योछावर किए और कई घायल हुए।
विजय दिवस 2024: इसका महत्व
- बलिदान की स्मृति: विजय दिवस 1971 के युद्ध में वीरतापूर्वक लड़ने वाले भारतीय सशस्त्र बलों के साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि है।
- स्वतंत्रता का प्रतीक: यह दिन उत्पीड़न से मुक्ति का प्रतीक है और पाकिस्तानी सैन्य शासन के खिलाफ बांग्लादेशी लोगों के संघर्ष को दर्शाता है।
- राष्ट्रीय गौरव: विजय दिवस एकता और देशभक्ति की भावना को मजबूत करता है और नागरिकों को स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा के महत्व की याद दिलाता है।
निष्कर्ष
विजय दिवस केवल एक सैन्य विजय का उत्सव नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्रता, एकता और साहस के मूल्यों पर विचार करने का भी दिन है। यह उन वीर योद्धाओं की विरासत का सम्मान करने और उनके बलिदानों को याद करने का अवसर है जिन्होंने इसे संभव बनाया।
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