वीर सावरकर दरअसल बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे। वह शास्त्र और शस्त्र (हथियार) का उपयुक्त मेल थे। ऐसा गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा है। वह ‘वीर सावरकर: द मैन हू कुड प्रीवेन्टेड पार्टिशन’ नामक पुस्तक का विमोचन कर रहे थे। इसे केंद्रीय सूचना आयुक्त, वरिष्ठ पत्रकार और लेखक उदय माहूरकर ने लिखा है। वडोदरा स्थित एमएस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चिरायु पंडित इस पुस्तक के सह-लेखक हैं।
अपने शासनकाल में कांग्रेस ने जिस वीर सावरकर को हाशिये पर डालना चाहा था, उनके गौरव को फिर से स्थापित करने के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना की। कहा कि वह पीएम मोदी के आभारी हैं जिन्होंने वीर सावरकर की विचारधारा को पुनर्जीवित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से रुचि ली है।
गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि अंडमान-निकोबार हवाई अड्डे को वीर सावरकर की संघर्ष यात्रा और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनके महत्वपूर्ण योगदान को प्रदर्शित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वीर सावरकर हवाई अड्डे का नाम दिया गया है।
अपने संक्षिप्त भाषण में लेखक उदय माहूरकर ने कहा कि वीर सावरकर दूरदर्शी थे, जिन्होंने सुभाष चंद्र बोस सहित कई प्रतिष्ठित नेताओं द्वारा कई बार आमंत्रित किए जाने के बावजूद कांग्रेस में शामिल होने से इंकार कर दिया था। इसलिए उनका (सावरकर) मानना था कि कांग्रेस अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के लिए खड़ी है, जबकि उन्होंने सच्चे राष्ट्रवाद का प्रतिनिधित्व किया था।
सावरकर ने किस तरह पाकिस्तान के जन्म और एक पड़ोसी के रूप में चीन की अविश्वसनीयता की भविष्यवाणी की थी, इसका उदाहरण देते हुए माहुरकर ने कहा कि यह दुखद है कि उनकी भविष्यवाणियों को तब नजरअंदाज कर दिया गया था। जबकि आत्मविश्लेषण में उन्होंने जो भविष्यवाणी की थी, वह सच हो गई थी।
दूरंदेशी के लिए सावरकर की प्रशंसा करते हुए माहूरकर ने बताया कि कैसे उन्होंने भारत के दोनों दुश्मनों यानी पाकिस्तान और चीन को लेकर भविष्यवाणी कर दी थी। इतना ही नहीं, सावरकर ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि 1952 में चीन पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए और भविष्यवाणी की थी कि चीन भारतीय क्षेत्रों में अतिक्रमण और कब्जा करेगा। यह सब 1962 में सच साबित हुआ, जिसके बाद भारत-पाकिस्तान का भी युद्ध हुआ।
गुजरात में इंडियन एक्सप्रेस के लिए खेल संवाददाता के रूप में अपना पत्रकारिता करियर की शुरुआत करने वाले माहूरकर ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया, “सावरकर ने इस विचार का विरोध किया और बार-बार कांग्रेस को उसकी तुष्टीकरण नीतियों के खिलाफ चेतावनी दी, लेकिन कांग्रेस ने स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर द्वारा बार-बार दी गई चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया। भारत का विभाजन ही कांग्रेस के राजनीतिक तुष्टीकरण के कारण हुआ। अगर तब उनकी सुनी जाती तो आज भारत की कई सुरक्षा संबंधी समस्याएं होती ही नहीं।”
उन्होंने आगे कहा, “राजनीतिक और वैचारिक रणनीति के लिए सावरकर की सावरकर का अनुसरण जरूरी था। सावरकर का हिंदुत्व अखंड राष्ट्रवाद के अलावा और कुछ नहीं है जहां धर्म, जाति और क्षेत्रीय गौरव राष्ट्रीय गौरव के आगे गौण हैं।”
300 पृष्ठों की यह पुस्तक सावरकर के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालती है। बताती है कि भारत आज जिन राष्ट्रीय सुरक्षा समस्याओं का सामना कर रहा है, उन्हें हल करने में यह कैसे प्रासंगिक है।
लोगों के सामने वीर सावरकर की वीरता की कहानी पेश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। पुस्तक भारत और पाकिस्तान के विभाजन को रोकने के लिए वीर सावरकर के विचारों और प्रयासों पर प्रकाश डालती है।
कार्यक्रम का आयोजन लायंस क्लब ने किया। इस कार्यक्रम में पश्चिमी क्षेत्र के आरएसएस प्रमुख डॉ जयंती भदेसिया, लायंस क्लब के पूर्व अंतरराष्ट्रीय निदेशक प्रवीण छाजेद स्वामी परमात्मानंद, लायंस क्लब के जिला गवर्नर जगदीशचंद्र अग्रवाल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
पश्चिमी क्षेत्र के आरएसएस नेता जयंती भदेसिया ने इस मौके पर माहूरकर को बधाई देते हुए कहा, “भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी सभी समस्याओं की भविष्यवाणी इस स्वतंत्रता सेनानी ने कर दी थी। चाहे चीन के खिलाफ भारत का युद्ध हो या पाकिस्तान का हमला, या असम में हिंसा; सब कुछ का अनुमान सावरकर ने लगा लिया था। उन्होंने प्रचार किया कि अगर पड़ोसी देश हाइड्रोजन बम बनाता है, तो हमें लड़ाई से बचने के बजाय ऑक्सीजन बम लेकर आना चाहिए।”
पुस्तक के सह-लेखक चिरायु पंडित ने कहा, “राम मंदिर बनाने, अनुच्छेद 370 को रद्द करने या सावरकर के जीवन और विचारधारा का जश्न मनाने जैसे कदम एक नए भारत की दिशा में कदम हैं। वह हिंदुत्व विचारधारा के सच्चे शिल्पकार रहे हैं।”
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