गुजरात और विशेष रूप से अहमदाबाद में कपड़ा उद्योग का मजबूत इतिहास रहा है और इससे जुड़ी उद्यमशीलता की पुरानी परंपरा है। शहर की मिलें अपने उच्च गुणवत्ता वाले तैयार उत्पादों के लिए वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध हैं। हालांकि, वर्तमान में समय में यह उद्योग मंदी का सामना कर रहा है। 2021 में वार्षिक विकास दर 20% के ऊंचे स्तर पर रही है, लेकिन भारत का निर्यात लगातार दूसरे वर्ष घटा है। यह गिरावट ऐसे समय में आई है जबकि अंतरराष्ट्रीय कपड़ा बाजार में चीन की हिस्सेदारी कम हो रही है। इस परिस्थिति में भी भारत इस अवसर को भुनाने में विफल रहा है, जबकि बांग्लादेश और वियतनाम ने चीन के हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इससे कई लोग मानकर चल रहे हैं कि भारत को अपने घरेलू कपड़ा बाजार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
कपड़ा व्यापारियों के लिए तैयार किए गए मोबाइल-आधारित टूल वस्त्र एप के संस्थापक और प्रमुख डेवलपर विकास राजपुरोहित का भी यही मानना है। उनका उद्देश्य टेक्नोलॉजी के उपयोग से वस्त्र खरीदने की प्रक्रिया को सुगम बनाना है और अंततः भारत को एक ऐसा प्रतिस्पर्धी माध्यम देना है, जो वैश्विक स्तर पर बराबरी का मौका दे।श्री राजपुरोहित को 2018 में वस्त्र एप विकसित करने का विचार मन में आया था। उस समय कपड़ा उद्योग में कदम रखने वाले उनके दोस्तों ने उनके सामने परेशानी रखी थी कि किसी टेक आधारित टूल के बिना ऑर्डर का प्रबंधन करना, लेन-देन का रिकॉर्ड रखना और कारीगरों के साथ सौदा करना कितना मुश्किल और थकाऊ काम है।
इसलिए वस्त्र उद्योग के पेशेवरों की इस परेशानी को दूर करने के लिए उन्होंने वस्त्र एप तैयार किया।वस्त्र एप कपड़ा कारीगरों और फैशन डिजाइनरों को एक-दूसरे से आसानी से जुड़ने और उनके कारोबार की दक्षता में सुधार के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म देता है। एप का यूजर इंटरफेस सरल है और इसे व्हाट्सएप जैसे अन्य एप से आसानी से जोड़ा जा सकता है।श्री राजपुरोहित कहते हैं कि एप को विकसित करने और टेक्नोलॉजी की कम जानकारी रखने वाले यूजर के लिए भी उपयोग में इसे आसान बनाने का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा उद्यमियों विशेष रूप से युवा महिलाओं को इस मार्केट में कदम रखने के लिए प्रोत्साहित करना है।
इसके अलावा, उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तरह का एक टूल नए कारोबारियों को अरविंद, जेड ब्लू और जेनिथ जैसी स्थापित टेक्सटाइल और फैशन फर्मों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगा।भारत में परिधान शिल्पकारों का बड़ा हिस्सा उपरोक्त बड़े व्यवसायों के लिए डिजाइनर कपड़े बनाकर रोजगार एवं कारोबार पाता है। यह काम नहीं मिलने से अधिकांश कारीगरों को काम की कमी का सामना करना पड़ रहा है और बेहतर फंडिंग एवं मार्केटिंग व्यवस्था वाली कंपनियां इन्हें प्रतिस्पर्धा से बाहर कर रही हैं।
वस्त्र एप के डेवलपर्स का उद्देश्य परिचालन लागत कम करते हुए छोटे और मध्यम आकार की परिधान निर्माण एजेंसियों की मदद करना और उनके कारोबार को एक मौका देना है। यह भारतीय कारीगरों की सामूहिक कल्पनाओं को एक मंच देता है। अभी वस्त्र एप कंपनी का आकार 9.38 लाख डॉलर या 6.96 करोड़ रुपये है।हालांकि, तारीफ पाकर यहीं रुक जाना उनका उद्देश्य नहीं है। विकास राजपुरोहित और उनकी टीम की महत्वाकांक्षाएं ऊंची हैं। 10 साल बाद यानी 2031 तक वे भारत के संपूर्ण कपड़ा उद्योग को वस्त्र एप के माध्यम से डिजिटल होते देखना चाहते हैं।