पिथौरागढ़: उत्तराखंड के चंपावत जिले के एक सरकारी स्कूल में दलित छात्रों ने अनुसूचित जाति की रसोइए को बर्खास्त किए जाने के बाद कथित अगड़ी जाति की एक महिला द्वारा बनाया गया मध्याह्न भोजन खाने से इनकार कर दिया.
हालांकि, जिला प्रशासन ने कहा कि दोनों समुदायों के सदस्यों के बीच आम सहमति के बाद इस मुद्दे को सुलझा लिया गया है.
चंपावत के जिला मजिस्ट्रेट विनीत तोमर ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि दलित छात्र कल से नई भोजनमाता (रसोइया) द्वारा तैयार खाना फिर से खाना शुरू करेंगे.’सुखीडांग में एक सरकारी इंटर कॉलेज में एक दलित रसोइए को तब बर्खास्त कर दिया गया था, जब छठी से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले कथित अगड़ी जाति के 43 बच्चों ने उनके द्वारा पकाया हुआ खाना खाने से इनकार कर दिया था.
चंपावत शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने हालांकि उसे नौकरी से हटाए जाने का कारण नियुक्ति में प्रक्रियागत चूक को बताया था.
इसके बाद रसोइए के काम से हटाई गईं 32 वर्षीय महिला सुनीता देवी ने गुरुवार को जिला अधिकारियों और पुलिस में उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी.
उन्होंने कहा था, ‘मैंने कथित उच्च जाति के छात्रों के माता-पिता द्वारा मेरे उत्पीड़न के बारे में अपनी शिकायत स्थानीय प्रशासन और पुलिस को सौंप दी है. मेरे द्वारा पकाए गए मध्याह्न भोजन को खाने से इनकार करने से मैं आहत और अपमानित महसूस कर रही हूं.’
उसके बाद दलित महिला की जगह कथित अगड़ी जाति की महिला को काम पर रखा गया था. इसके जवाब में विद्यालय 23 दलित छात्रों ने नई रसोइए द्वारा बनाया गया भोजन खाने से इनकार कर दिया.तोमर ने कहा कि जांच शुरू कर दी गई है और एक सप्ताह में रिपोर्ट आने की उम्मीद है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना का संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के लिए समिति गठन किया है.
टनकपुर के एसडीएम हिमांशु काफालतिया ने कहा, ‘जिला मजिस्ट्रेट ने एक समिति बनाई है जो निष्पक्ष जांच करेगी. साथ ही, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए एक भोजनमाता की भर्ती की जाए.’
रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला तब से चल रहा है जब इलाके के ग्रामीण तेजी से जाति के आधार पर बंट रहे हैं. ग्राम सभा सदस्यों के बीच मतभेद ने शनिवार को गांव में जाति-संबंधी तनाव को और भी बढ़ा दिया, जब पांच कथित उच्च जाति के ग्राम सभा सदस्यों ने ग्राम प्रधान, जो एक दलित है खिलाफ विद्रोह के बाद इस्तीफा दे दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि वह निर्णय लेते समय उनकी राय नहीं लेता है.
इसके बाद चंपावत जिला प्रशासन के अधिकारियों ने ग्राम प्रशासन के साथ बैठक की, जिसके बाद ग्राम सभा सदस्यों ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया.
इसी बीच, दलित रसोइए को हटाने की खबरें सामने आने के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने कहा कि उनकी उनकी पार्टी महिला के संवैधानिक अधिकारों को बहाल करने के लिए एक अभियान शुरू करेगी.
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि यदि दलित महिला को वापस काम पर नहीं रखा गया तो उनका संगठन मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का घेराव करेगा.