अमेरिका ने कोविड-19 महामारी के बाद 2022 में भारतीयों को 1.25 लाख छात्र वीजा जारी किए। किसी देश के विदेशी छात्रों के लिए यह सबसे ज्यादा रहा। यह जानकारी अमेरिकी वाणिज्य दूतावास (US Consulate General) में वाणिज्य दूत (Consul General) माइक हैंके ने ने दी। वह शुक्रवार को वडोदरा में थे।
माइक ने कहा कि अमेरिकी दूतावासों ने कोविड-19 के बाद भारतीय वीजा आवेदकों (visa applicants) के लिए प्रतीक्षा समय को 1,000 दिनों से घटाकर 500 दिनों तक करने के लिए कड़ी मेहनत की है। यही कारण है कि वीजा आवेदनों को तेजी से निपटाने के लिए 2023 के मध्य तक “स्थायी रूप से कर्मचारियों की संख्या” बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि चूंकि भारत अमेरिका में छात्रों को भेजने वाला “नंबर एक देश” रहा है, इसलिए दूतावास स्टूडेंट, वर्क और मेडिकल वीजा आवेदकों के लिए न्यूनतम प्रतीक्षा समय सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रहा है।
माइक ने कहा, “कोविड-19 के बाद वीजा का एक बड़ा बैकलॉग था। पिछले साल प्रतीक्षा समय लगभग 1,000 दिनों का था। जब हमें भारतीय वीजा आवेदकों के बैकलॉग का एहसास हुआ- जो सबसे बड़ी संख्या भी हैं- हमने अस्थायी रूप से मुंबई में 24 अतिरिक्त अधिकारियों की भर्ती की। मुंबई में जमा किए गए आवेदनों के लिए वाशिंगटन से वीजा आवेदनों की रिमोट प्रोसेसिंग भी शुरू की। हम प्रतीक्षा समय को 500 दिनों तक कम करने में सक्षम हैं, फिर भी यह अधिक दिनों का बना हुआ है।
हैंके ने कहा कि अमेरिका हैदराबाद में एक अत्याधुनिक और विस्तारित (expanded) 53-विंडो दूतावास (53-window embassy) खोलने के लिए तैयार है, जो एशिया में सबसे बड़ा कांसुलर सेक्शन होगा।
अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने वड़ोदरा नगर निगम के अधिकारियों से भी मुलाकात की, जिसने 23 मार्च, 2022 को बीएसई में पांच साल के 100 करोड़ रुपये के नगरपालिका बांड को सफलतापूर्वक सूचीबद्ध किया है। यह अमेरिकी ट्रेजरी की देखरेख में किया गया। इसका इस्तेमाल अमृत योजना के तहत 14 प्रोजेक्टों के लिए होगा। माइक ने भारत में नागरिक निकायों (civic bodies) के साथ अमेरिकी सहयोग को “साझा लक्ष्यों” को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम के रूप में बताया।
माइक ने कहा, “विकास के लिए अमेरिका और भारत के समान हित हैं। इसलिए कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि क्षेत्र और दुनिया समृद्ध, खुली, मुक्त हो। इसके साथ वह नियमों से बंधी हुई रहे। जब हम वित्तीय परियोजनाओं में भागीदार होते हैं, तो हम उस भविष्य को आकार देने और अपने लक्ष्य को बढ़ावा देने के लिए भागीदार बनते हैं। इस सप्ताह भारत और अमेरिका ने क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी या आईसीईटी पर पहल के शुभारंभ के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को भी बढ़ाया है।
भारत में विवाद के केंद्र में रहे गुजरात दंगों पर बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री पर अमेरिका के रुख के बारे में माइक ने कहा, “बीबीसी ही है जो जानता है कि डॉक्यूमेंट्री में क्या है… दुनिया अभिव्यक्ति और धर्म की स्वतंत्रता चाहती है।
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