शहरी बेरोजगारी दर (urban unemployment rate) अप्रैल-जून 2021 तिमाही में बढ़कर 12.6 प्रतिशत हो गई, जो जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में 9.3 प्रतिशत थी, नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
शहरी बेरोजगारी दर (urban unemployment rate )को श्रम बल में बेरोजगार व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है। श्रम बल भागीदारी दर (labor force participation rate), जो श्रम बल में (labor force )जनसंख्या के प्रतिशत को संदर्भित करती है, जनवरी-मार्च 2021 में 37.5 प्रतिशत से घटकर अप्रैल-जून 2021 में 37.1 प्रतिशत हो गई। 2020 अप्रैल-जून तिमाही में, यह आंकड़ा 35.9 प्रतिशत था।
2020 में अप्रैल-जून तिमाही में 20.8 प्रतिशत के शहरी बेरोजगारी दर (UR) से नीचे आ गया था
यह आंकड़ा 2020 में अप्रैल-जून तिमाही में 20.8 प्रतिशत के शहरी बेरोजगारी दर (urban unemployment rate) से नीचे आ गया था, जब COVID-19 की पहली लहर चरम पर थी। देश में COVID-19 के प्रकोप के बाद लगाए गए देशव्यापी तालाबंदी के कारण यह संख्या बढ़ गई थी।
2021 के अप्रैल-जून की अवधि में भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय के दौरान भारत ने COVID-19 महामारी की घातक दूसरी लहर देखी, जब हजारों लोगों ने वायरस के कारण दम तोड़ दिया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 और 2021 में सभी सर्वेक्षण अवधि के दौरान शहरी महिलाओं में शहरी बेरोजगारी दर (urban unemployment rate) 15 से 29 आयु वर्ग के शहरी पुरुषों की तुलना में लगातार अधिक रहा है। जबकि अप्रैल-जून 2021 में 15-29 आयु वर्ग के केवल 24 प्रतिशत शहरी पुरुष बेरोजगार थे, इस अवधि के दौरान समान आयु वर्ग की लगभग 31 प्रतिशत महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा नौकरियों से बाहर था।
2020 में, 15 से 29 आयु वर्ग में पुरुषों की बेरोजगारी दर 34.3 प्रतिशत थी, जबकि अप्रैल-जून तिमाही में महिलाओं के लिए यह संख्या 36 प्रतिशत थी।
स्वरोजगार करने वालों की संख्या जनवरी मार्च 2021 में 39.3 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल जून 2021 में 40.7 प्रतिशत हो गई।
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