महाराष्ट्र में एक फरार शिकारी द्वारा छोड़े गए मोबाइल फोन में मिले 18 लाख रुपये के भुगतान सूचनाओं और मेघालय में एक सोशल मीडिया पोस्ट ने जाँचकर्ताओं को शिकारियों और वन्यजीव व्यापारियों के एक बड़े नेटवर्क तक पहुँचाया। माना जाता है कि यह नेटवर्क पिछले तीन वर्षों में भारत भर में 100 से अधिक बाघों के शिकार के लिए ज़िम्मेदार है, यह पड़ताल ‘The Indian Express’ ने की है।
जाँच की शुरुआत
यह मामला जून 2023 से जुड़ा है, जब हरियाणा के चार संदिग्ध शिकारी गुवाहाटी के पास बाघ की खाल और 18 किलोग्राम हड्डियों के साथ पकड़े गए थे। इसके बाद, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) ने देशभर में रेड अलर्ट जारी किया।
चार सप्ताह के भीतर, हरियाणा के पिंजौर में बावरिया जनजाति के एक बाघ व्यापारी सोनू सिंह को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में दस सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया गया। कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि इस नेटवर्क का संपूर्ण भारत में विस्तार था। सोनू के पिता, स्वर्गीय रंजीत सिंह बावरिया, कुख्यात बाघ तस्कर संसर चंद के करीबी सहयोगी थे।
2024 की शुरुआत तक, सोनू को जमानत मिल गई और उसने ओडिशा में अपने संबंध बढ़ा लिए। उसने मध्य प्रदेश के पारधी समुदाय के शिकारी अजीत सियालाल के गिरोह से गठबंधन कर लिया। कई एजेंसियों की निगरानी के बावजूद, सोनू स्वयं को मुखबिर के रूप में पेश कर, संभवतः ध्यान हटाने और प्रतिद्वंद्वियों को खत्म करने की कोशिश कर रहा था।
अंततः, 28 जनवरी 2025 को महाराष्ट्र में सोनू को दोबारा गिरफ्तार कर मध्य प्रदेश वन विभाग को सौंप दिया गया। लेकिन असली सफलता तीन दिन पहले तब मिली जब अजीत, उसकी पत्नी और उसकी माँ को चंद्रपुर के जंगल में पकड़ा गया।
महत्वपूर्ण सुराग
अजीत के तीन बेटे फरार हो गए, लेकिन उनमें से एक का मोबाइल फोन मौके पर रह गया, जिसमें 18 लाख रुपये के बैंक लेन-देन की जानकारी थी। एक सूत्र ने बताया, “जाँचकर्ताओं को तुरंत समझ आ गया कि वे किसी बड़े मामले के करीब हैं।”
इस सुराग ने जाँचकर्ताओं को शिलॉन्ग तक पहुँचा दिया, जहाँ उन्हें लालनेइसुंग नामक व्यक्ति का पासपोर्ट फोटो मिला। हालांकि, जाँच में कोई प्रगति नहीं हो रही थी, जब तक कि उसकी बेटी के सोशल मीडिया अकाउंट का पता नहीं चला। उसकी बेटी असली नाम का उपयोग नहीं करती थी, लेकिन उसकी पोस्ट से यह संकेत मिला कि वह एक ईसाई परिवार से संबंधित है।
इसके बाद, जाँच दल ने शिलॉन्ग के चर्चों से संपर्क किया। अंततः, एक पादरी ने जानकारी दी कि लालनेइसुंग शिलॉन्ग के ‘हैप्पी टाउन’ नामक इलाके में रहता है। यह एक संवेदनशील गैर-खासी क्षेत्र है, जहाँ गैर-स्थानीय लोगों की संख्या अधिक है। 30 जनवरी को, जाँच टीम ने उसे बिना किसी प्रतिरोध के गिरफ्तार कर लिया।
लालनेइसुंग से पूछताछ के बाद, 7 फरवरी को शिलॉन्ग में निंग सान लुन नामक महिला को गिरफ्तार किया गया। उसके मोबाइल फोन से 500 से अधिक वन्यजीव तस्करी की तस्वीरें मिलीं, जिनमें बाघ की खाल और हड्डियों की तस्वीरें भी थीं। कुछ तस्वीरों में उसका पति कप लियांग मुंग, जो कि असम राइफल्स का सक्रिय जवान था, उसकी मदद करता दिख रहा था। 2 मार्च को उसे मणिपुर से गिरफ्तार किया गया।
जाँचकर्ताओं के अनुसार, लालनेइसुंग ही पूर्वोत्तर भारत में शिकारियों और वन्यजीव तस्करों के लिए पहला संपर्क था। वह तस्करी किए गए वन्यजीव उत्पादों को लुन के पास भेजता था, जो इसे अपने म्यांमार निवासी चचेरे भाई डेविड के माध्यम से जोखावथर (मिज़ोरम) बॉर्डर के पार पहुंचाती थी। इसके बाद, म्यांमार के तहान शहर में स्थित दो व्यापारी इसे आगे वितरित करते थे और हवाला के जरिए भुगतान वापस भेजते थे। लालनेइसुंग इन पैसों को बैंक ट्रांसफर के माध्यम से शिकारियों को भेजता था।
प्रमुख गिरफ्तारियाँ और घटनाक्रम
इस जाँच में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कम से कम तीन अन्य राज्यों के वन विभागों के साथ-साथ सीबीआई, डीआरआई, ईडी और डब्ल्यूसीसीबी जैसी केंद्रीय एजेंसियाँ भी शामिल हैं।
- 9 फरवरी 2023: तमिलनाडु के वन अधिकारियों ने हरियाणा के पंचकूला निवासी चार बावरिया समुदाय के सदस्यों और दो महिलाओं को सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व में बाघ और तेंदुए के अंगों के साथ गिरफ्तार किया।
- 28 जून 2023: हरियाणा के पिंजौर और पानीपत के पांच शिकारी गुवाहाटी के पास महाराष्ट्र के बाघ की खाल और 18 किलोग्राम हड्डियों के साथ पकड़े गए।
- 22 जुलाई 2023: उत्तराखंड पुलिस और डब्ल्यूसीसीबी ने पिथौरागढ़ जिले के धारचूला के चार निवासियों को 11 फुट लंबी बाघ की खाल और 15 किलोग्राम हड्डियों के साथ पकड़ा।
- 30 जुलाई 2023: दिल्ली के द्वारका से पूर्व वन रक्षक मिश्रम जाखड़ को गिरफ्तार किया गया, जो प्रत्येक शिकार के लिए 30,000 रुपये की दलाली लेता था।
- 18 अगस्त 2023: मध्य प्रदेश स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स ने विदिशा-सागर हाईवे पर कुख्यात शिकारी आदिन सिंह उर्फ़ कल्ला बावरिया को गिरफ्तार किया।
- जनवरी 2025: महाराष्ट्र में अजीत के गिरोह की गिरफ्तारी से सोनू सिंह और बाद में शिलॉन्ग में लालनेइसुंग की गिरफ्तारी हुई।
- फरवरी 2025: शिलॉन्ग में निंग सान लुन की गिरफ्तारी; हरियाणा के कालका में सीबीआई और डब्ल्यूसीसीबी द्वारा शिकारी पीर दास की गिरफ्तारी; एमपी वन अधिकारियों द्वारा 1000 किलो गांजा ज़ब्त।
- मार्च 2025: मणिपुर में कप लियांग मुंग की गिरफ्तारी; 2023 गढ़चिरौली शिकार मामले में वांछित सुमन देवी बावरिया को सोनीपत, हरियाणा से पकड़ा गया।
निष्कर्ष
भारत में बाघों के शिकार और तस्करी के इस संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश करते हुए जाँच एजेंसियों ने वन्यजीव अपराध, संगठित तस्करी और अवैध वित्तीय लेन-देन के बीच गहरे संबंध उजागर किए हैं। हालांकि कई गिरफ्तारियाँ हो चुकी हैं, लेकिन यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। फरार आरोपियों की तलाश जारी है और जाँच एजेंसियाँ इस नेटवर्क को पूरी तरह समाप्त करने के लिए जुटी हुई हैं।
यह भी पढ़ें- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स: आर्थिक वरदान या बढ़ता संकट?