केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स असेसमेंट पर सवाल उठाया है, जिसमें लैंगिक समानता (gender parity) के मामले में भारत को 135वें स्थान पर रखा गया है। कहा कि यह इंडेक्स जमीनी स्तर पर महिलाओं के राजनीतिक सशक्तीकरण और वित्तीय समावेशन (inclusion) को ध्यान में रखने में नाकाम रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने यह बात मंगलवार को गुजरात के गांधीनगर जिले के लवाड में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में हुए एक सेमिनार के दौरान दर्शकों के साथ ऑनलाइन बातचीत में कही। उनसे महिला सशक्तीकरण और लैंगिक समानता से जुड़े सवाल पूछे गए थे। ईरानी ने कहा, “जिस तरह से भारत ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को चुनौती दी थी, उसी तरह ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स को भी चुनौती देने का समय आ गया है। यह आकलन पश्चिमी देशों की कसौटियों पर किया गया है।”
उन्होंने कहा कि जब राजनीतिक सशक्तीकरण की बात आती है, तो इंडेक्स उन महिलाओं को ध्यान में नहीं रखता है जो पंचायतों और नगर पालिकाओं में जिला पंचायत अध्यक्षों, सरपंचों, महापौरों और पार्षदों के रूप में सेवा करती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम उन महिलाओं को ध्यान में रखें, जो हमारे देश की सभी राजनीतिक व्यवस्थाओं में काम कर रही हैं, तो हमारी स्थिति में सुधार आ जाएगी। पश्चिमी देशों में जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है। इसलिए वे उनके मानकों के आधार पर हमारा आकलन करना चाहेंगे।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महिलाएं डीएम, एसपी और अर्द्धसैनिक बलों में प्रशासनिक तंत्र सहित विभिन्न क्षमताओं में देश की सेवा कर रही हैं। इतना ही नहीं, करोड़ों महिलाएं आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य) कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी सेविकाओं के रूप में भी काम कर रही हैं। इनकी सफलता को शामिल नहीं किया जाता है, जो गलत है।
बता दें कि डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट जुलाई 2022 में जारी हुई थी। इसमें आर्थिक भागीदारी और अवसर के क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन पर पिछले साल से पांच स्थानों के सुधार के बावजूद भारत लैंगिक समानता के मामले में 135वें नंबर पर रहा। यह काफी खराब प्रदर्शन है। जिनेवा स्थित डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट के अनुसार, आइसलैंड ने दुनिया के सबसे लैंगिक-समानता वाले देश के रूप में अपना स्थान बरकरार रखा है। इसके बाद फिनलैंड, नॉर्वे, न्यूजीलैंड और स्वीडन का नंबर है।
उन्होंने कहा, ‘‘वे हमारे राजनीतिक दखल की गिनती नहीं करते हैं, वे हमारे प्रशासनिक कार्यालयों पर विचार नहीं करते हैं। जिस क्षण हम भारत में जमीनी स्तर पर राजनीतिक कार्यालयों में महिलाओं की गिनती शुरू करेंगे, जिस क्षण हम भारत में प्रशासनिक कार्यालयों में महिलाओं की गिनती शुरू करेंगे, भारत की रैंक बढ़कर शीर्ष 20 में पहुंच जाएगी।’’
उन्होंने कहा कि इंडेक्स में वे महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्हें ‘मुद्रा’ योजना और ‘स्टैंड अप इंडिया’ जैसी केंद्रीय योजनाओं के जरिये आर्थिक रूप से मजबूत बनाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम 22 करोड़ महिलाओं को सशक्त नहीं मानते हैं जो हर दिन आर्थिक रूप से लेन-देन करती हैं, अगर हम प्रशासनिक कार्यालयों में 1.90 करोड़ महिलाओं की गिनती नहीं करते हैं, अगर हम देश भर में पंचायतों में कार्यरत 20 लाख से अधिक महिलाओं की गिनती नहीं करते हैं, तो यह सवाल उठता है कि क्या रिपोर्ट में ईमानदारी बरती गई है?’’ ईरानी ने कहा कि उनके मंत्रालय ने 9,000 करोड़ रुपये तक के निर्भया कोष का इस्तेमाल कर महिलाओं को सुरक्षित करने का काम किया है।
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