गुजरात हाई कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में खेड़ा के पुलिस अधीक्षक (superintendent) राजेश कुमार गढ़िया ने अक्टूबर 2022 में उंढेला गांव में मुस्लिमों को सरेआम पीटने वाले पुलिस अधिकारियों के कामों को सही ठहराया है। उनके मुताबिक, ऐसा केवल शांति और सद्भाव बनाए रखने की दृष्टि किया गया।
खेड़ा जिले के मातर तालुका के उंढेला गांव में गरबे के एक कार्यक्रम में कथित तौर पर पथराव के बाद पिटाई हुई। एक वायरल वीडियो में सादे कपड़ों में पुरुषों के समूह को चार लोगों को रोकते और पीटते देखा गया। उनकी पहचान खेड़ा जिले की स्थानीय अपराध शाखा (LCB) इकाई के अधिकारियों के रूप में की गई। पुलिस की हिंसा के तुरंत बाद गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने “अच्छा काम करने के लिए” पुलिस की प्रशंसा की थी।
एसपी ने पुलिस कार्रवाई का बचाव किया है। कपडवंज डिवीजन के पुलिस उपाधीक्षक (deputy superintendent) की एक अंतरिम रिपोर्ट ने बताया गया है कि “जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के रूप में” आरोपी पुलिस कर्मियों के लिए “दंगा करने पर उतारू लोगों को कब्जे में लेकर दूर और सुरक्षित जगह पर ले जाना जरूरी लगा था।”
अक्टूबर में हुई इस घटना के बाद पांच लोगों- जहिरमिया मालेक (62), मकसूदबानू मालेक (45), सहदमिया मालेक (23), सकीलमिया मालेक (24) और शाहिदराजा मालेक (25) ने 15 पुलिस वालों के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इनमें खेड़ा के आईजी, एसपी, मटर थाने के 10 सिपाही और एलसीबी के तीन अधिकारी शामिल थे। इसी मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया गया। इस सिलसिले में याचिका में डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल वाले मामले का हवाला दिया गया। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी और हिरासत को लेकर कुछ नियम और कानूनी प्रावधान तय किए हैं। याचिका में आरोप लगाया गया कि अभियुक्तों को सरेआम कोड़े मारकर अधिकारियों ने इसका उल्लंघन किया है। इसलिए पुलिस कर्मियों पर अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाने और आरोपियों को मुआवजा देने की मांग की गई है।
पिटाई में शामिल होने के आरोपी पुलिसकर्मियों ने हलफनामे के दो सेट दाखिल किए हैं। एक समूह ने कोड़े मारने को उचित ठहराया है। यह कहते हुए कि पीड़ितों की क्रिमिनल बैकग्राउंड रहा है। इसलिए कानून और व्यवस्था की रक्षा करना आवश्यक था। दूसरे ग्रुप ने कहा कि यह अवमानना का मामला नहीं है, क्योंकि वे केवल अपना फर्ज निभा रहे थे।
मटर पुलिस स्टेशन में पुलिस उप निरीक्षक (पीएसआई) हेतलबेन रबारी और आरोपियों में से एक ने कथित तौर पर अपने हलफनामे में “बिना शर्त माफी” मांगी है।
बता दें कि उंढेला के मुस्लिम निवासियों ने कथित क्रूरता का विरोध करने के लिए 2022 के विधानसभा चुनावों का बहिष्कार किया था। हालांकि, उनके विरोध को प्रशासन और राजनीतिक दलों ने नजरअंदाज कर दिया।
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