गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश के पक्षी प्रेमियों की 15 टीमों ने रविवार को उत्तर गुजरात में मेहसाणा, साबरकांठा और बनासकांठा जिलों के त्रिकोण (trijunction) में 107 वर्ग किलोमीटर में फैले वेटलैंड पर दूसरा दो दिवसीय पक्षी सर्वेक्षण धरोई 2023 पूरा किया।
2004 में सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री द्वारा देश में अपनी तरह के 21 प्राथमिकता वाले वेटलैंड्स में से एक के रूप में नामित किए जाने के बावजूद बहुत से बर्डवॉचर्स इस वेटलैंड में नहीं पहुंचे हैं।
प्रमुख सिंचाई योजना के रूप में 1978 में साबरमती और हरनोई नदियों पर बांध बनाकर धरोई जलाशय (reservoir) बनाया गया था। बांध ने 107 वर्ग किलोमीटर में फैली एक आर्द्रभूमि (wetland) का निर्माण किया। इसने 74 वर्ग किलोमीटर उपजाऊ भूमि के साथ-साथ 28 गांवों को पूरी तरह से और 19 को आंशिक रूप से जलमग्न कर दिया।
पहला धारोई पक्षी सर्वेक्षण 2022 में हुआ था। वह धारोई में जलपक्षियों की विविधता (diversity) और आबादी की बहुतायत को मैप करने और रिकॉर्ड करने के लिए अपनी तरह का पहला औपचारिक अभ्यास (formal exercise)था। तब गुजरात में पाए गए 616 में से 193 प्रजातियों को दर्ज किया गया था।
इस डैम पर जाड़ों की शुरुआत में ही हजारों की संख्या में पक्षी उतर आए थे। लेकिन जब तापमान बढ़नने लगा, तो केवल ब्लैक बतखें (ducks) ही बची हैं।
गुजरात वन विभाग के सहयोग से BCSG और एडम्स नेचर रिट्रीट रिज़ॉर्ट (ANRR), पोलो फ़ॉरेस्ट ने मिलकर पक्षी सर्वेक्षण किया था।
आयोजकों ने कहा कि इसका उद्देश्य धारोई में प्रजातियों और उनकी आबादी का एक डेटाबेस तैयार करना था, जो संरक्षण और संरक्षण उपायों (conservation measures) को मजबूत करने के साथ-साथ ईकोटूरिज्म के लिए क्षेत्र की उपयुक्तता का आकलन करने के लिए नीतियां बनाने में मदद कर सकता है। इस तरह स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा किया जा सकता है।
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