अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगातार चौथे दिन यह दावा किया कि अमेरिका ने भारत को “मतदान बढ़ाने” के लिए 21 मिलियन डालर की सहायता दी। इस बार उन्होंने पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए यह आरोप लगाया, जिससे भारत और अमेरिका दोनों में बहस तेज हो गई है।
ट्रंप के दावे और विरोधाभास
अपने ताजा बयान में, ट्रंप ने द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट का खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि यह अनुदान भारत के लिए नहीं बल्कि बांग्लादेश के लिए स्वीकृत किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, 2008 के बाद से भारत को किसी भी चुनाव-संबंधी परियोजना के लिए USAID से कोई फंडिंग नहीं मिली। हालांकि, ट्रंप अपने दावे पर अडिग रहे।
ट्रंप ने टिप्पणी की कि, “$21 मिलियन मेरे मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लिए मतदान बढ़ाने के लिए दिया गया। हम भारत में मतदान बढ़ाने के लिए $21 मिलियन दे रहे हैं। और हमारा क्या? मैं भी मतदान बढ़ाना चाहता हूं।”
उन्होंने बांग्लादेश को दी गई अलग $29 मिलियन की USAID ग्रांट का भी जिक्र किया और फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया, “बांग्लादेश में $29 मिलियन एक ऐसे फर्म को दिए गए, जिसके बारे में कोई नहीं जानता था। उस फर्म में केवल दो लोग काम कर रहे थे।”
बीजेपी की प्रतिक्रिया और राजनीतिक प्रतिक्रिया
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्रंप की टिप्पणियों का उपयोग विपक्ष और उन मीडिया रिपोर्ट्स की आलोचना के लिए किया, जिन्होंने इन आरोपों को खारिज किया था।
मालवीय ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “लगातार तीसरे दिन, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में मतदान बढ़ाने के लिए USAID फंडिंग का दावा दोहराया। लेकिन क्या उन्हें अपने ही देश के खर्चे की जानकारी नहीं है? द इंडियन एक्सप्रेस और वामपंथी सोचने वाले लोगों को लगता है कि वे बेहतर जानते हैं!”
19 फरवरी को, ट्रंप ने भारत को $21 मिलियन देने के औचित्य पर सवाल उठाया और कहा कि अमेरिका “वहां मुश्किल से प्रवेश कर सकता है” क्योंकि भारत में ऊंचे टैरिफ हैं। अगले दिन, उन्होंने दावा किया कि यह अनुदान शायद भारत के चुनावों में हस्तक्षेप के लिए दिया गया था।
ट्रंप ने कहा, “भारत में मतदान बढ़ाने के लिए $21 मिलियन। हमें भारत में मतदान बढ़ाने के लिए $21 मिलियन खर्च करने की क्या जरूरत है? मेरा मानना है कि (बाइडन प्रशासन) किसी और को चुनाव जिताने की कोशिश कर रहा था।”
एक रिपब्लिकन गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में उन्होंने फिर से इस दावे को दोहराया और इस फंडिंग को “किकबैक योजना” करार दिया।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
चार दिनों तक चुप्पी साधने के बाद, भारत सरकार ने आखिरकार ट्रंप के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इन दावों को “बहुत परेशान करने वाला” करार दिया और भारत के चुनावी प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप की संभावना पर चिंता व्यक्त की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “भारत में USAID के साथ कई विभाग और एजेंसियां काम करती हैं। सभी संबंधित मंत्रालय और एजेंसियां अब इस मामले को देख रही हैं।”
बीजेपी बनाम कांग्रेस: सियासी घमासान
यह विवाद भारतीय राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी बहस का कारण बन गया है। बीजेपी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह भारत के चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने दावा किया कि कांग्रेस शासन के दौरान भारत में USAID फंडिंग बढ़ी थी।
भाटिया ने कहा, “जब सरकार को मिलने वाली फंडिंग बंद हो गई, तब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एनजीओ को मिलने वाली फंडिंग में वृद्धि हुई, ताकि उन्हें चुनाव से पहले मजबूत किया जा सके और नरेंद्र मोदी को हराया जा सके।”
वहीं, कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि बीजेपी ने ही अतीत में “विदेशी ताकतों की मदद” से यूपीए सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास किया था। कांग्रेस ने ट्रंप के दावों को “निरर्थक” बताया और मोदी सरकार से USAID द्वारा भारत सरकार और एनजीओ को दी गई फंडिंग पर एक श्वेत पत्र जारी करने की मांग की।
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