अहमदाबाद की एक स्थानीय अदालत ने तीन तलाक और घरेलू हिंसा के आरोपों का सामना कर रहे एक मुस्लिम को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। न्यायाधीश ने उन्हें संरक्षण देने से इनकार करते हुए कहा कि हिरासत में पूछताछ जरूरी है।
खमासा के निवासी मोहम्मद शोएब कुरैशी ने 30 जनवरी को गायकवाड़ हवेली पुलिस स्टेशन में पत्नी की ओर से घरेलू हिंसा, मारपीट और मौखिक दुर्व्यवहार के मामले में अपने और परिवार के सदस्यों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को देखते हुए अग्रिम जमानत मांगी थी। पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि उसके पति ने पड़ोसियों की मौजूदगी में उसे तीन बार तलाक कहा। फिर उसे ससुराल से बाहर निकाल दिया गया।
पुलिस ने कुरैशी, उसके माता-पिता और बहन के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए, 232, 294ए और 114 के तहत मामला दर्ज किया और मुस्लिम महिला कानून, 2019 को लागू किया, जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस प्रथा को रद्द करने के बाद संसद द्वारा लागू किया गया था। संशोधित कानून में तत्काल तीन तलाक खत्म कर दी गई है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एचए त्रिवेदी ने कुरैशी की अग्रिम जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अदालत को यह सही नहीं लग रहा है।
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