तृणमूल कांग्रेस (TMC) की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने औद्योगिक उत्पादन पर सरकारी आंकड़ों का ही हवाला देते हुए आर्थिक प्रगति के दावों पर सरकार पर जोरदार हमला किया। कहा कि फरवरी में सरकार ने लोगों को विश्वास दिलाया था कि अर्थव्यवस्था बहुत अच्छा कर रही है। सभी को गैस सिलेंडर, आवास और बिजली जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं। मोइत्रा ने इन दावों को “झूठ” कहा। बताया कि आठ महीने बाद अब दिसंबर में “जो सच्चाई सामने आई है, वह लंगड़ाती हुई इकोनॉमी बता रही है।”
उन्होंने कहा कि सरकार ने कहा है कि उसे बजट अनुमान के अलावा 3.26 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि की जरूरत है। 2022-23 के लिए अतिरिक्त अनुदान (additional grants) की मांगों पर लोकसभा में चली बहस में मोइत्रा ने नरेंद्र मोदी सरकार पर भारत के विकास के बारे में “झूठ” फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण करने की अपील की, जो टीएमसी के अनुसार नेता, पतन की ओर जा रहा है।
मोइत्रा ने लेखक जोनाथन स्विफ्ट के बयानों से अपनी बात शुरू की। कहा, “जिस प्रकार सबसे निकृष्ट लेखक के पास उसके पाठक होते हैं, उसी प्रकार सबसे बड़े झूठे के पास विश्वासी होते हैं। और अक्सर ऐसा होता है, कि यदि किसी झूठ पर केवल एक घंटे के लिए विश्वास किया जाए, तो वह अपना काम कर चुका होता है। इसके लिए और कोई अवसर नहीं होता है। झूठ उड़ता है और सच्चाई इसके बाद लंगड़ा कर आती है।”
इसके बाद उन्होंने कथित तौर पर “पप्पू” शब्द गढ़ने को लेकर सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “इस सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी ने पप्पू शब्द गढ़ा। आप इसका इस्तेमाल बदनाम करने और अत्यधिक अक्षमता को दर्शाने के लिए करते हैं। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि असली पप्पू कौन है।”
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों का हवाला देती हुई टीएमसी नेता ने दावा किया कि अक्टूबर में देश का औद्योगिक उत्पादन (industrial output) चार प्रतिशत घटकर 26 महीने के निचले स्तर पर आ गया। लेकिन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नौकरियां 5.6 प्रतिशत तक घट गई है, जो अभी भी सबसे अधिक नौकरी देता है।
उन्होंने हाल ही में संपन्न हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार को लेकर भी निशाना साधा। कहा कि सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष अपने गृह राज्य में भी जीत नहीं रह सकते। उन्होंने पूछा, “अब पप्पू कौन है?”
महुआ मोइत्रा ने भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के आंकड़ों का हवाला देते हुए भारतीयों के “पलायन” की ओर भी इशारा किया।
उन्होंने कहा, “औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक को बनाने वाले उद्योग क्षेत्रों में से 17 में निगेटिव वृद्धि दर दर्ज की गई है। विदेशी मुद्रा भंडार एक वर्ष के भीतर 72 बिलियन डॉलर गिर गया है। माननीय वित्त मंत्री ने कल प्रश्नकाल के दौरान बताया कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह (Foreign Direct Investment inflows) का 50% कैसे भारत आ रहा है। लेकिन उनके सहयोगी विदेश राज्य मंत्री ने पिछले शुक्रवार को इसी सदन में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि लगभग 2,00,000 (1,83,741) लोगों ने 2022 के पहले दस महीनों में अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी। 2022 के इस पलायन से 2014 के बाद से पिछले नौ वर्षों में इस सरकार के तहत भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की कुल संख्या 12.5 लाख से अधिक हो गई है।
मोइत्रा ने यह भी दावा किया कि कई धनकुबेर भी दूसरे देशों में नागरिकता पाने के लिए बड़ी रकम देने को तैयार हैं। उन्होंने पूछा, “क्या यही स्वस्थ आर्थिक वातावरण का संकेत है? अब पप्पू कौन है? इस देश में आतंक का माहौल है, व्यापारियों और पैसे वालों पर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की तलवार लटकती रहती है।”
मोइत्रा ने आरोप लगाया, “सत्तारूढ़ दल सांसदों को सैकड़ों करोड़ रुपये में खरीदता है। फिर भी जांच के दायरे में 95 प्रतिशत विपक्षी सांसद आते हैं।”
उन्होंने सरकार पर प्रधानमंत्री मोदी के तहत भारत की विकास की कहानी पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया। कहा कि 2016 में उसके द्वारा लागू नोटबंदी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रहा। इसलिए कि नकदी “अभी भी राजा” है और नकली मुद्रा से बाहर निकलना अभी भी सपना ही है।
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