डीसा, गुजरात – गुजरात के जूनाडीस जीआईडीसी में स्थित एक अवैध पटाखा गोदाम में हुए भीषण विस्फोट ने 21 लोगों की जान ले ली, जिससे पूरे इलाके में मातम छा गया। इस हादसे में जीवित बचने वालों में मध्य प्रदेश के हरदा जिले के हंडिया गांव की तीन साल की नन्ही नैना भी शामिल है, जिसने अपने पूरे परिवार को खो दिया।
मंगलवार सुबह करीब 9:30 बजे इस गोदाम में एक ज़ोरदार धमाका हुआ, जिसने पूरे भवन को मलबे में तब्दील कर दिया। इस विस्फोट में नन्ही नैना के माता-पिता, दलिबेन (25) और राकेश नायक (32) के साथ उसकी पांच वर्षीय बहन किरण की भी मौत हो गई। जिला प्रशासन ने अब तक 19 शवों की पहचान कर ली है, जबकि दो शव इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं कि उनकी पहचान संभव नहीं हो पा रही।
डीसा जनरल अस्पताल में नन्ही नैना अपने सिर पर पट्टी बांधे हुई थी, जब एक नर्स ने उसे बिस्कुट और घर का बना खाना दिया। लेकिन, मासूम बच्ची बार-बार सिर्फ ‘मम्मा’ पुकार रही थी, जिसे वह अब कभी नहीं देख पाएगी।
अस्पताल के गलियारे अपनों की तलाश में भटकते परिजनों की चीख-पुकार से गूंज रहे थे। 19 वर्षीय नेहा और 18 वर्षीय निधि अपने चाचा ललित वर्मा के साथ अपनी मां लक्ष्मी की तलाश में आईं, जो विस्फोट के बाद से लापता हैं। उनके पिता का पहले ही निधन हो चुका है, जिससे अब उनके पास परिवार में कोई सहारा नहीं बचा।
नैना की देखभाल फिलहाल उसके दूर के रिश्तेदार बिट्टू नायक (14) और राजेश नायक (22) कर रहे हैं। हादसे को याद करते हुए राजेश ने बताया, “हमने पटाखा गोदाम में काम करना अभी शुरू ही किया था कि विस्फोट हो गया। हम 24 लोग 29-30 मार्च को यहां आए थे। हमें ठेकेदार पंकज और लक्ष्मीबेन लेकर आए थे। इस हादसे में पंकज की मौत हो गई, जबकि लक्ष्मीबेन (50) अभी भी लापता हैं।”
बचाव अभियान अभी भी जारी है, और अस्पतालों तथा शवगृहों में अपने परिजनों की तलाश कर रहे लोग जुटे हुए हैं। मध्य प्रदेश के देवास जिले के संदलपुर गांव के चंद्रसिंह नायक अपने छह रिश्तेदारों, जिनमें उनकी बेटी सुनीता और दामाद लखन शामिल हैं, को खोज रहे हैं।
उन्होंने दुखी स्वर में कहा, “वे महज 2-3 दिन पहले ही गुजरात आए थे, यह सोचकर कि यहां अच्छे वेतन से उनका कर्ज उतर जाएगा।”
इस बीच, नेहा और ललित ने शवों की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण हेतु रक्त के नमूने दिए हैं। नेहा ने बताया, “हमारी मां और पंकज यहां एक ठेकेदार, हरीश सिंधी की मदद से काम करने आए थे। हमें इस हादसे की खबर हरीश ने दी, लेकिन तब से उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा है।”
मध्य प्रदेश के मंत्री नागर सिंह चौहान ने गुजरात के श्रम एवं रोजगार मंत्री बलवंतसिंह राजपूत और बनासकांठा के भाजपा विधायक प्रवीन माली और अनिकेत ठाकुर के साथ अस्पताल का दौरा किया।
चौहान ने कहा, “यह एक बेहद दुखद घटना है, और पूरा देश पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ खड़ा है। मैंने जिला कलेक्टर से बात की है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि इस हादसे के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मैंने पीड़ितों और उनके परिवारों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया है और सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।”
बनासकांठा जिला पुलिस ने गोदाम मालिक खुबचंद रेनुमल मोहनानी और उनके बेटे दीपक के खिलाफ हत्या के समान अपराध (गैर-इरादतन हत्या) का मामला दर्ज किया है। जिला कलेक्टर मिहिर पटेल ने पुष्टि की कि 18 पहचाने गए शवों को मध्य प्रदेश भेज दिया गया है।
यह दर्दनाक हादसा एक बार फिर पटाखा निर्माण उद्योग में सुरक्षा नियमों की अनदेखी और श्रमिकों के शोषण को उजागर करता है। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएगा या यह त्रासदी भी अन्य मामलों की तरह भुला दी जाएगी?
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