देश के ई कॉमर्स व्यापार में विदेशी धन पोषित ई कॉमर्स कंपनियों की लगातार मनमानी और नियम एवं कानूनों का उल्लंघन तथा जीएसटी की दिन प्रतिदिन बढ़ रही जटिलता ने देश के व्यापारी समुदाय को खासा नाराज कर दिया है | बार बार इन मुद्दों पर आवाज उठाने के बाद भी केंद्र एवं राज्य सरकारों ने जिस प्रकार की चुप्पी साध रखी है उससे देश भर के व्यापारी बेहद नाराज और आक्रोश में हैं |इसको और अधिक बर्दाश्त न करने की घोषणा के साथ कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इन ज्वलंत मुद्दों सहित अन्य व्यापारिक मुद्दों को लेकर एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष अभियान छेड़ने की घोषणा की है जिसकी रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए कैट ने देश के सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं का एक ” राष्ट्रीय सम्मेलन” आगामी 11 -12 जनवरी को उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कानपुर में बुलाया है ! इस सम्मेलन में सभी राज्यों एवं विभिन्न उत्पादों के राष्ट्रीय संगठनों ने लगभग 100 व्यापारी नेता भाग लेंगे |
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा की वर्ष 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जिस जीएसटी के विषय में कैट को बताया था और जिस जीएसटी की घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने की थी , जीएसटी का वर्तमान स्वरूप ठीक उसके उलट बेहद जटिल हो गया है !जेटली के देहावसान के बाद जीएसटी कॉउन्सिल ने व्यापारियों से सलाह मशवरा करना छोड़ दिया है और ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं जिनका कोई जमीनी आधार नहीं है ! टेक्सटाइल एवं फुटवियर पर जीएसटी की कर दरों में वृद्धि का प्रस्ताव इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है ! देश की 85 % जनसख्याँ एक हजार रुपये से कम कीमत के कपडे एवं जूते चप्पल खरीदती है जिस पर वर्तमान में 5 % की जीएसटी कर दर है लेकिन 1 जनवरी 2022 से यह कर दर 12 % हो जाएगी जिसका सीधा असर देश की 85 % जनसंख्यां पर पड़ेगा ! यह निर्णय बेहद अतार्किक है और देश भर में फैले छोटे छोटे निर्माताओं, कारीगरों एवं अन्य वर्गों की रोजी रोटी बुरी तरह प्रभावित होगी ! जीएसटी का पूरा ढांचा ईज ऑफ़ डूइंग बिजनिस के विपरीत हो गया है , लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है ! देश की सभी राज्य सरकारों ने अपने लाभ की खातिर जीएसटी के स्वरूप को बेहद विकृत कर दिया है !
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के खंडेलवाल ने कहा की देश भर के व्यापारी सरकारों की अस्पष्ट नीति से बेहद तंग आ चुके हैं और अब और कोई विकल्प न होने के कारण देश भर में एक विराट संघर्ष अभियान छेड़ने को मजबूर हो गए हैं ! आगामी 11 -12 जनवरी को कानपुर में होने वाले राष्ट्रीय व्यापारी सम्मेलन में देश के प्रमुख व्यापारी नेता इसके लिए एक बृहद रणनीति तय करेंगे जिसके अंतर्गत देश के सभी राज्यों में भारत व्यापार स्वराज्य रथ यात्रा, राज्यस्तरीय विराट व्यापारी सम्मेलन , देश भर के बाज़ारों में विरोध जलूस, मशाल जलूस, धरने, सांसदों एवं विधायकों का घेराव, प्रदर्शन, राज्यस्तरीय व्यापार बंद एवं भारत व्यापार बंद की योजना सहित अन्य विरोध कार्यक्रमों को अंतिम रूप देंगे वहीँ आने वाले विधानसभा चुनावों में प्रत्याशी हराने की बड़ी योजना पर भी नीति तय करेंगे ।