वर्ष 1992 में सूरत के वराछा इलाके में बड़ी संख्या में मुसलमानों का कत्लेआम किया गया था। घटना का बदला लेने के लिए आतंकियों ने सौराष्ट्रीयन इलाकों को निशाना बनाया।
इसके लिए सूरत में सौराष्ट्रीयन बाहुल्य वराछा क्षेत्र में कई बम फिट किये थे.अहमदाबाद की तर्ज पर उन्होंने वह दो अस्पताल भी चिन्हित किये थे जहाँ बाकी जगह के धमाकों के बाद घायलों को इलाज के लिए ले जाना था। जिनमे एक था हीराबाग स्थित डॉक्टर हाउस और दूसरा पूणा का जनरल अस्पताल |
दोनों जगहों पर आतंकियों ने विस्फोटकों से भरी कार खड़ी कर दी।उनका उद्देश्य था कि इन दोनों जगहों पर बम विस्फोट होने के साथ ही बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो जाते हैं जिससे बड़ी संख्या में मौतें होती हैं।
सूरत के 29 में से 28 बम सौराष्ट्रीयन क्षेत्र में
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सूरत से जिन जगहों पर 29 जिंदा बम मिले हैं, उन्हें देखकर लगता है कि सौराष्ट्र के लोग ही आतंकियों के निशाने पर थे। कुल 29 बमों में से 28 बम ऐसे स्थान पर लगाए गए थे, जहां सौराष्ट्र के लोग बड़ी संख्या में थे।
वराछा मेन रोड पर मिनी बाजार ,पुल पर होर्डिंग्स के पीछे एक साथ छह बम रखे गए थे। यह वह जगह है जहां हर दिन हजारों जौहरी, हीरा दलाल इकट्ठा होते हैं। इसके अलावा बड़ौदा प्रेस्टीज, कपोदरा, कतारगाम , अमरोली और महिधरपुरा डायमंड बाजार जैसी जगहें शामिल हैं। जहां रोजाना सौराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग रहते हैं.
पेड़ पर लगे होर्डिंग्स के पीछे मीटर बक्सों में बम रखे हुए थे
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आतंकियों ने बम का इंतजाम भी कुछ इस तरह किया कि इसकी जानकारी होने पर पुलिस भी हैरान रह गई. क्योंकि बम पेड़ों पर, होर्डिंग्स के पीछे, मीटर बॉक्स और शॉप बोर्ड के पीछे लगाए गए थे।
एक आतंकी को बम लगाते एक व्यक्ति ने देख लिया फिर ….
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वराछा में मिनी बाजार से उमिया माता जिन मंदिर के रास्ते में कवि कालापी गार्डन है। इस बगीचे में एक पेड़ पर बम की व्यवस्था करते समय एक आतंकवादी ने एक व्यक्ति को देखा और उस व्यक्ति से झगड़ा हो गया जिसमें आतंकी की शर्ट फट गयी