एक ताजा सर्वेक्षण से पता चला है कि तकनीकी समस्याओं के कारण भारतीयों में कौशल बढ़ाने की इच्छा बढ़ रही है। जिससे चार में से तीन कामकाजी प्रोफेशनल्स का मानना है कि अगर उन्होंने अपना कौशल बढ़ाया नहीं तो टेक्नोलॉजी उनकी नौकरियों की जगह ले लेगी।
प्रोफेशनल शिक्षा फर्म एमेरिटस के एमेरिटस ग्लोबल वर्कप्लेस स्किल्स स्टडी 2023 (Emeritus Global Workplace Skills Study 2023) के अनुसार, वित्त और बीमा, सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा और विनिर्माण सहित अन्य उद्योगों के पेशेवर, यदि वे कौशल नहीं बढ़ाते हैं तो उनकी नौकरियों की जगह लेने वाली टेक्नोलॉजी के बारे में सबसे अधिक चिंतित हैं।
हर क्षेत्र को आकार देने वाली तकनीकी प्रगति के साथ, विश्व आर्थिक मंच की 2020 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में कम से कम 40% कर्मचारियों को आने वाले वर्षों में ‘नए कौशल’ की आवश्यकता होगी और ‘उनसे अपनी कंपनियों के भीतर अलग भूमिका निभाने की उम्मीद की जाएगी’।
मैकिन्से सर्वेक्षण के अनुसार, विशेष रूप से लगभग 92% भारतीय इस बात से सहमत हैं कि उन्हें रोजगार के संबंध में कौशल अंतर का सामना करना पड़ता है।
अध्ययन के अनुसार, बढ़ती टेक्नोलॉजी पैठ के साथ देश में तकनीकी पेशेवरों की मांग में तेजी आ रही है, सर्वेक्षण में शामिल 80% से अधिक सॉफ्टवेयर और आईटी सेवा पेशेवरों ने अपनी नौकरियों में टेक्नोलॉजी की जगह लेने के बारे में चिंता व्यक्त की।
यही प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के लिए 81%, प्रौद्योगिकी और नवाचार में काम करने वालों के लिए 79%, पेशेवर सेवाओं/परामर्श में शामिल लोगों के लिए 78% और वित्त और बीमा से जुड़े लोगों के लिए 72% था।
विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय कार्यबल के लिए, डिजिटल मार्केटिंग, डेटा एनालिटिक्स, वित्त, प्रबंधन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पेशेवरों के लिए सबसे अधिक मांग वाले विषयों में से थे।
इससे पहले दिग्गज ई-कामर्स कंपनियों द्वारा अपने हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की खबर सामने आ चुकी है, जिसका कारण आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस तकनीकी को बताया गया था। जिसका असर भारतीय आईटी नौकरियों पर भी पड़ने के आसार हैं।
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