फकत 40 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत कैसे हो सकती है? “वह जिम में बहुत फिट और नियमित था।” “वह हानिकर भोजन भी नहीं करता था। “
2021 के मध्य में लोकप्रिय अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की अचानक हृदय गति रुकने से मृत्यु हो जाने के ठीक बाद सोशल मीडिया पर ऐसे संदेशों और टैगों की बाढ़ आ गई।
इसलिए कि दिल की बीमारियों को गलत तरीके से बुढ़ापे की बीमारी माना जाता है। युवा वयस्क दिल के दौरे से मरने के जोखिम के बारे में चिंता नहीं करते हैं।
जागरूकता का अभाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, भारत में दुनिया भर में सभी गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) से संबंधित मौतों का पांचवां हिस्सा है और इनमें से ज्यादातर मौतें युवा आबादी की हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज अध्ययन में कहा गया है कि भारत में हृदय रोग (सीवीडी) की मृत्यु दर 272 प्रति 1,00,000 है, जो वैश्विक औसत 235 से काफी अधिक है। 2017 में सीवीडी से लगभग 2.63 मिलियन भारतीयों की मृत्यु हुई, जो सबसे अधिक था।
बुनियादी पोषण शिक्षा का अभाव
भारतीय आहार अनाज पर आधारित है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट अधिक और प्रोटीन कम होता है। बाकी पोषक तत्वों की भी कमी रहती है। हाल के वर्षों में ‘सफेद’ खाद्य पदार्थों- मैदा, सफेद चीनी, नमक और आलू का सेवन कई गुना बढ़ गया है, जिससे भारतीय टाइप-2 मधुमेह, सीवीडी, मोटापा और उच्च रक्तचाप जैसे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। वैश्विक पोषण परिवर्तन के लिहाज से युवा भारतीय अब अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के आदी हो गए हैं। जैसे इंस्टेंट नूडल्स, चिप्स, पिज्जा, बर्गर, फ्राइड चिकन, पेस्ट्री, केक, चॉकलेट। जंक फ़ूड दुनिया भर में सस्ते हैं, लेकिन जंक फूड खाने की ‘असली कीमत’ के बारे में नहीं बताया जाता है।
महत्वपूर्ण हैं आहार और पोषण नीतियां
सीवीडी और अन्य एनसीडी को रोकने और प्रबंधित करने के लिए भारतीय खाद्य प्रणाली और पोषण नीतियों में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता है। जीवनशैली में बदलाव और पोषण के लाभों के बारे में जनता को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है।
जितना हो सके डिब्बाबंद और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें। अपनी प्लेट को विभिन्न प्रकार के संपूर्ण खाद्य पदार्थों से संतुलित बनाएं। जैसे कि लीन प्रोटीन (चिकन, अंडे, मछली, पनीर, सोया चंक, टोफू, छोले, बीन्स और फलियां), सब्जियां (सभी हरी, पत्तेदार और रंगीन वाली), कम चीनी वाले फल (अमरूद, नाशपाती, जामुन, आड़ू), दही और उच्च फाइबर वाले साबुत अनाज (जई, बाजरा, क्विनोआ, जौ, साबुत-गेहूं)। भारतीय आहार में जिन पोषक तत्वों की अत्यधिक अनदेखी की जाती है, वे हैं प्रोटीन, विटामिन डी, और आवश्यक फैटी एसिड जैसे ओमेगा-3 और ओमेगा 6।