प्रवीण दर्जी
कमला को अपने वजूद पर शर्म आती है। उसने पहले माफ करो, माफ करो के नारे लगाए। फिर बचाओ- बचाओ कह चिल्लाई। बाद में उसके कपड़े फाड़ने और थप्पड़ मारने वाले खुश लोगों के शोर में उसकी आवाज गुम हो गई।
बेशक कमला उसका असली नाम नहीं है। उसके समुदाय का कहना है कि कमला को लेकर वह शर्मिंदा है।
यह आदिम काल की कहानी नहीं है। यह गुजरात में आधुनिक युग की प्रेम कहानी है। इसमें सिर्फ कोई परी कथा नहीं है।
दरअसल कमला ने प्रेम में पड़ने की हिम्मत की। उसने पहले मां और फिर पिता के सामने अपने प्यार को कबूल करने की हिम्मत की। दोनों क्रोधित हो गए। चेतावनी दी कि वह एक बड़ा अपराध कर रही है, जिसके लिए सजा दी जाएगी। उन्होंने कहा- वह नरक में सड़ जाएगी।
इसलिए दिवाली के आसपास कमला ने अपने प्रेमी के साथ भागने का फैसला किया। सभी प्रेमियों की तरह कमला और उसका प्रेमी दोनों युवा वयस्क थे। प्यार में डूबे थे।
वादी पुरुषों के एक कबीले ने जोड़े को घेर लिया। वादी आम तौर पर गैर-अधिसूचित जनजाति हैं। कभी-कभी वे सपेरे का काम करते हैं। वरना वे दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। कोविड के कारण इस समय जीवन यापन कठिन हो चुका है। फिर भी इसका मतलब यह नहीं है कि आप किसी बाहरी व्यक्ति के प्रेम में पड़ सकते हैं।
सबसे पहले रिहायशी कॉलोनी वादी वसाहट में कमला की परेड कराई गई। समुदाय के सभी लोगों को उस “कुतिया” का चेहरा देखने के लिए कहा गया, जिसने एक आदमी के साथ भागने की हिम्मत की।
कॉलोनी के सभी लोग अपना काम छोड़कर जुलूस में शामिल हुए। पुरुषों ने उसके कपड़े खींचकर अश्लील चुटकुले सुनाए। तब कमला के पिता को बैठाया गया। फिर उनकी गोद में कमला को बैठाया गया। फिर बारी-बारी से लोगों द्वारा कमला का सिर मुंडवा दिया गया। इसके लिए कई कैंची और ब्लेड का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद चपाती बनाने वाली मिट्टी की तवड़ी, यानी तवे के साथ महिलाओं को बुलाया गया। महिलाओं को उसे गर्म करने को कहा गया। जल्द ही चूल्हों से दो तवे लाए गए। लोग फिर पलट कर आए और गरम तवे के पिछले हिस्से से कमला का चेहरा जला दिया। इसके बाद आदेश पर आदेश दिए जाने लगे। चूल्हे से जलते हुए कोयले को एक बर्तन में मंगाया गया।
भीड़ ने जयकारे लगाए। उन्होंने पहले कमला पर बोरी डाल दी और फिर बारी-बारी से उसे लाल जलते कोयले से जला दिया। उसे उठने और चलने के लिए कहा गया। इस दौरान चेहरे सहित पूरे शरीर पर जलते कोयले और लकड़ियों को डालते रहे। कमला रोती रही। वाइब्स ऑफ इंडिया के पास जो वीडियो है, उसमें उसकी चीखें सुनाई नहीं दे रही हैं। इसलिए कि उत्साहित मूर्ख लोग जश्न मना रहे थे और कुछ नारे लगा रहे थे।
इन सबके बाद चेतावनी के तौर पर कमला की फिर परेड कराई गई। इसके लिए वादी समुदाय के सभी लोगों को एक संदेश दिया गया।
शाम करीब छह बजे वाइब्स ऑफ इंडिया ने हरिज पुलिस को फोन किया, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। बाद में वाइब्स ऑफ इंडिया ने पाटन के पुलिस प्रमुख अक्षयराज मकवाना को फोन किया।
पुलिस आश्चर्यजनक रूप से तत्काल वादी वसाहट गई। हम पुलिस को इस तरह से दोष नहीं दे सकते, क्योंकि वादी बहुत रूढ़िवादी समुदाय हैं और चीजों को अपने नियंत्रण में रखना सुनिश्चित करते हैं। हालांकि, पुलिस प्रमुख अक्षय खुद मौके पर पहुंचे। अचरज की बात यह कि जिस लड़के के साथ वह भागी थी, वे दोनों वयस्क हैं और उन्हें शादी करने का संवैधानिक अधिकार है।
हालांकि वादी समुदाय के एक व्यक्ति ने इस संवाददाता से कहा, “हम अपने वादी संविधान में ही विश्वास करते हैं। जिसमें इसकी अनुमति नहीं है।”
यह एक डरावनी शैतानी कहानी की तरह है। यहां बता दें कि कमला को पहले ही अपने समुदाय में कुतिया और चुड़ैल घोषित किया जा चुका है।
वादी गुजरात में पाटन जिले के हरिज तालुका में है। वहां 40 से अधिक वादी पुरुषों ने मुट्ठी भर महिलाओं के साथ पितृसत्ता के इस अश्लील प्रदर्शन का आनंद लिया।
दुख की बात यह कि लड़की के माता-पिता और परिवार तक ने यातना की इस प्रक्रिया में भाग लिया। उन्होंने कहा, “हम अपने वादी समुदाय के संविधान में विश्वास करते हैं। हमें अपनी बेटी के लिए खेद है, लेकिन क्या करें?”
बहरहाल, पाटन जिला कलेक्टर सुप्रीत सिंह गुलाटी और पुलिस प्रमुख अक्षय राज मकवाना ने मौके पर पहुंच करीब 15 लोगों को हिरासत में ले लिया। आधी रात को प्राथमिकी दर्ज की गई।
इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा विधायक दिलीप कुमार ठाकोर ने वीओआइ से कहा- यह एक भयावह घटना है। मैं हैरान हूं। वादी समुदाय में 1500 से अधिक सदस्य हैं। उनके पास बिजली, सड़कें और अन्य सभी सुविधाएं हैं जो गुजरात के प्रत्येक नागरिक के पास हैं। मैंने पहले कभी इस तरह के जघन्य अपराध के बारे में नहीं सुना। हम दोषियों के खिलाफ “बहुत सख्त” कार्रवाई करेंगे।
हम भी इसकी आशा करते हैं।