हरि प्रसाद चौरसिया 84 साल की उम्र में थोड़े कमजोर दिखाई देते हैं। फिर भी जब वह हाथ में बांसुरी थाम लेते हैं, तो यह धारणा जल्द ही खत्म हो जाती है। सप्तक संगीत समारोह के पांचवें दिन बुधवार को भारतीय शास्त्रीय संगीत के महारथी ने राग मारू बिहाग के अपने घंटे भर के प्रदर्शन से जादू कर दिखाया।
कुछ देर के लिए ऐसा लगा कि बेमौसम बारिश शायद संगीत कार्यक्रम को बाधित कर सकती है। एलडी आर्ट्स कॉलेज में बनाया गया शामियाना बूंदा-बांदी का सामना नहीं कर सका, जिससे दर्शकों का एक वर्ग भींगने से बचने के लिए भटक रहा था। पंडित चौरसिया ने बिना किसी परवाह के आंखें बंद कर बजाते चले गए। दर्शक जल्द ही उनके द्वारा बांसुरी से बनाए माहौल में आनंद लेते हुए डूबते चले गए।
पंडित चौरसिया ने बांसुरी वादन की शुरुआत हर्षित उद्दंड नोट पर करते हुए कहा: “कभी नहीं सोचा था कि मैं वह दिन देखूंगा जब हर किसी को इस तरह अपना चेहरा ढककर घूमना होगा। लेकिन मैं अपना चेहरा ढंकने वाला नहीं हूं, मैं आपको संगीत सुनाने जा रहा हूं।” उस्ताद के साथ तबले पर रामकुमार मिश्रा और बांसुरी पर तीन प्रतिभाशाली युवा थे, जो बैक अप प्रदान कर रहे थे।
पंडित चौरसिया की प्रस्तुति से पहले रतन मोहन शर्मा ने तबले पर रामकुमार मिश्रा, पखवाज पर हेमंत भट्ट और हारमोनियम पर निलय साल्वी के साथ प्रस्तुति दी। स्वर्गीय पंडित जसराज के शिष्य शर्मा ने राग पुरिया के भावपूर्ण गायन के साथ शुरुआत की, जिसके बाद कुछ हवेली संगीत भी सुनाया। बता दें कि पंडित जसराय का अगस्त 2020 में निधन हो गया और यह सप्तक महोत्सव उन्हीं को समर्पित है।
इस अवसर पर सप्तक संगीत विद्यालय के संस्थापक पंडित नंदन मेहता की पत्नी सितारवादक मंजुबेन मेहता ने याद किया कि कैसे जब पंडित जसराज का साणंद में कार्यक्रम होता था, तब उनके पति ही तबले पर नियमित रूप से साथ देते थे। उन्होंने कहा, “हमारी दोस्ती 50 साल पहले शुरू हुई। अब हम उनके छात्रों के माध्यम से जसराज जी की घराने की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं।”
शाम का पहला कार्यक्रम अहमदाबाद की ही सितार वादक अमिता दलाल का था, जो लंबे समय से मंजूबेन मेहता की छात्रा रही हैं। सफेद और सुनहरे रंग के एंकल लेंथ गाउन में खूबसूरत लगतीं सुश्री दलाल ने राग मालकोस और राग तिलक कामोद की बंदिश सुनाई। तबले पर उनके साथ एक और अहमदाबादी और सप्तक के नियमित सदस्य सपन अंजारिया थे।