लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज गांधीनगर में गुजरात विधानसभा के सदस्यों के लिए आयोजित संसदीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते उन पर मतदाताओं की समस्याओं के समाधान की बड़ी जिम्मेदारी है । इसलिए विधानमंडलों में चर्चा और संवाद होना चाहिए और चर्चा का स्तर उच्चतम स्तर का होना चाहिए।
ओम बिरला ने कहा कि राज्य विधानसभाओं में चर्चा और संवाद का स्तर जितना ऊँचा होगा, क़ानून उतने ही बेहतर बनेंगे। सदन में सार्थक चर्चा करने के लिए यह आवश्यक है कि सदस्यों को नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी हो। इसलिए सदन को चर्चा और संवाद का एक प्रभावी केन्द्र बनना चाहिए, ताकि हमारा लोकतंत्र मज़बूत बने।
पीठासीन अधिकारियों की भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारी का यह दायित्व है कि वह सदन की गरिमा बढ़ाने की दिशा में कार्य करें। सदनों में चर्चा के स्तर में गिरावट और सदन की गरिमा में गिरावट हमारे लिए चिंता का विषय है। एक उत्कृष्ट विधायक वही होता है, जो उत्कृष्ट गुणवत्तापूर्ण चर्चा और संवाद में भाग लेता है और सदन की प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। सदस्यों को तथ्यों के साथ अपनी बात रखनी चाहिए, क्योंकि निराधार आरोपों पर आधारित तर्क लोकतंत्र को कमज़ोर करते हैं।
सदन में गतिरोध कभी नहीं होना चाहिए
लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त करते हुए ओम बिरला ने कहा कि विपक्ष की भूमिका सकारात्मक, रचनात्मक और शासन में जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली चाहिए। लेकिन जिस तरह सुनियोजित तरीके से सदनों की कार्यवाही में बाधा डालकर सदनों का कार्य स्थगित करने की परंपरा डाली जा रही है, वह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। सदन में चर्चा, वाद-विवाद, असहमति हो, लेकिन सदन में गतिरोध कभी नहीं होना चाहिए। उन्होंने सदस्यों से सदन के नियमों और प्रक्रियाओं और विगत वर्षों के वाद-विवाद का अध्ययन करने का आग्रह किया। श्री बिरला ने कहा कि सदस्य नियमों, प्रक्रियाओं और पिछले वर्षों में हुए वाद-विवाद से जितने अधिक परिचित होंगे, उनके भाषण उतने ही समृद्ध होंगे । बिरला ने यह भी कहा कि नारे लगाने और विधानसभा की कार्यवाही में बाधा डालने से कोई भी श्रेष्ठ विधायक नहीं बन सकता ।
‘वन नेशन, वन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म’ का उल्लेख करते हुए श्री बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप काम चल रहा है ताकि सभी राज्यों की विधानसभाओं और उनके द्वारा पारित कानूनों पर हुए वाद-विवाद और चर्चा को एक मंच पर लाया जा सके। इस संदर्भ में, बिरला ने विधानमंडलों की दक्षता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग और शोध कार्य को मजबूत करने पर बल दिया।
भारत की जी-20 अध्यक्षता के बारे में बोलते हुए, बिरला ने कहा कि यह भारत की समृद्ध लोकतांत्रिक परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने का एक ऐतिहासिक अवसर है।
गुजरात एक आदर्श राज्य है – भूपेंद्र पटेल
इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि गुजरात एक आदर्श राज्य है, जो देश के विकास इंजन के रूप में विकसित हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि जब अन्य राज्यों या विधायिकाओ में विकास के मुद्दों पर चर्चा होती है, तो वे गुजरात को मॉडल के रूप में देखते हैं। पटेल ने जनप्रतिनिधियों के कर्तव्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को लोकतंत्र के मंदिर समान विधायी संस्थाओं की मर्यादा को बनाए रखना चाहिए।
संसदीय कार्यशाला के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए पटेल ने कहा कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली, प्रक्रियाओं और नियमों की विस्तृत जानकारी देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जो एक सराहनीय क़दम है।
उन्होंने आगे कहा कि इस कार्यक्रम की सहायता से विधायकजन सदन में प्रभावी ढंग से भाग ले सकेंगे । मुख्यमंत्री ने सदस्यों से लोगों के कल्याण के लिए आम सहमति से जनकल्याण के फ़ैसलों में भाग लेने का आग्रह किया।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि दो दिवसीय कार्यक्रम की चर्चा और निष्कर्ष सदस्यों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा और सदस्य अपने कामकाज से सुनिश्चित करेंगे कि संसदीय लोकतंत्र के उच्चतम् मूल्यों को और सशक्त किया जाए।
इस संसदीय कार्यशाला के भाग के रूप में, गुजरात विधानसभा के सदस्यों को ‘प्रभावी विधायक कैसे बनें?’; ‘समिति प्रणाली और संसदीय प्रश्न’; ‘बजटीय प्रक्रिया’; ‘विधायी प्रक्रिया’; ‘जी-20 में भारत की अध्यक्षता’; ‘सदन में अविलंबनीय लोक महत्व के मामलों को उठाने के प्रक्रियात्मक साधन; विधानमंडलों का कार्यकरण : क्या करें और क्या न करें’; ‘संसदीय विशेषाधिकार और आचार; और ‘लोकतंत्र में संवैधानिक निकायों का महत्व’ के विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा ।
दो दिवसीय संसदीय कार्यशाला का समापन 16 फरवरी, 2023 को गुजरात के राज्यपाल, आचार्य देवव्रत के भाषण के साथ होगा।
गुजरात विधानमंडल के सदस्यों के लिए इस संसदीय कार्यशाला का आयोजन लोकसभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा गुजरात विधानसभा सचिवालय के सहयोग से किया जा रहा है।