पारंपरिक (traditionally) रूप से सोने (Gold) को महंगाई से एक मजबूत बचाव (strong hedge) और खराब समय में अच्छे सहारे के रूप में देखा गया है। हालांकि, हाल के दिनों में ऐसा नहीं हुआ है। भारी महंगाई (high inflation), बढ़ती ब्याज दरों (rising interest rates) और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच पीली धातु (yellow metal) की कीमतों में नरमी बनी हुई है, जिसका दुनिया भर में व्यापक असर (ripple effects) हुआ है।
सोने की कीमतें कैसे बढ़ रही हैं?
इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले दो महीनों में सर्राफा व्यापार (bullion trade) के केंद्र मुंबई में शुद्ध सोना (24 कैरेट) 5,246 रुपये प्रति ग्राम से लगभग 3 प्रतिशत गिरकर 5,087 रुपये हो गया है। इसी दौरान 22 कैरेट सोना 4,805 रुपये से गिरकर 4,660 रुपये प्रति ग्राम हो गया है। सितंबर 2021 में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में सोना 5,619 रुपये प्रति ग्राम पर पहुंच गया था।
भारत में कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों से तय होती हैं। दुनिया भर में भारी महंगाई और आर्थिक अनिश्चितता (economic uncertainty) के बावजूद पिछले एक महीने में सोना बड़े पैमाने पर 1,630 डॉलर और 1,740 डॉलर प्रति औंस (oz) के बीच कारोबार कर रहा है। यह वर्तमान में लगभग 1,690-1,700 डॉलर प्रति औंस (oz) है। निकट भविष्य में इसके गिरने की उम्मीद है।
पिछले एक महीने में वैश्विक इक्विटी (global equities) में 9.5 फीसदी, वैश्विक बॉन्ड (global bonds) में 5.1 फीसदी और जिंसों (commodities ) में 8.4 फीसदी की गिरावट आई है। अमेरिकी डॉलर के सोने की कीमत पर दबाव के कारण सोना वायदा (gold futures) चार साल में सबसे कम पर आ गया। इसके अलावा, गोल्ड ईटीएफ का निकलना (ETF outflows) जारी रहा और महीने के दौरान होल्डिंग्स में 95 टन की गिरावट आई।
सोना क्यों है उदास?
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी से प्रमुख मुद्राओं (currencies) के मुकाबले डॉलर में मजबूती आई है। बढ़ती ब्याज दरों के बीच मजबूत डॉलर दरअसल सोना खरीदना अधिक महंगा बनाता है, और निवेश को घटाता है।
एमके वेल्थ मैनेजमेंट के शोध प्रमुख (head of research) जोसेफ थॉमस ने कहा, “अमेरिकी ब्याज दरों में वृद्धि और फेड के आक्रामक रुख की संभावना अगले साल अच्छी तरह से जारी रहने से सोने की कीमतें सीमा के निचले सिरे पर रह सकती हैं। सोने की कमजोरी का मौजूदा दौर तब तक जारी रह सकता है, जब तक कि प्रमुक अर्थव्यवस्थाओं (major economies) की स्थिति के बारे में अधिक ठोस जानकारी न हो। विशेष रूप से विकास और स्थिरता को बढ़ावा देने के बीच केंद्रीय बैंक के ट्रेड-ऑफ को देखते हुए। ”
कीमतों में नरमी (subdued) का एक अन्य कारण ब्याज दरों में वृद्धि है। लोग सोना खरीदते और बेचते हैं, और अपना पैसा सावधि जमा (fixed deposits) और अन्य जगहों में लगाते हैं, जहां रिटर्न अधिक होता है। आरबीआई ने इस साल रेपो दरों में 190 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है, और सितंबर में महंगाई के 7.4 प्रतिशत पर पहुंच जाने के साथ और बढ़ोतरी की उम्मीद है।
क्या सोना रहेगा सुरक्षित ठिकाना?
महंगाई और अनिश्चितताओं से बचाव के रूप में सोने के बारे में अभी भी कभी-कभार बात होती है। थॉमस ने कहा, “लेकिन सोने की इस खासियत को काफी हद तक कम कर दिया गया है। अमेरिका, यूरोप और अन्य क्षेत्रों में बहुत अधिक महंगाई के बावजूद सोने की मांग नहीं बढ़ी है।” वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने कहा है कि ” अमेरिकी डॉलर के मद्देनजर सोना अब संकट में सहारा जैसा नहीं रह गया, जैसा ऐतिहासिक रूप से रहा करता था।”
विश्लेषकों को उम्मीद है कि जब अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और महंगाई कंट्रोल में आएगी तो सोने की कीमतों में सुधार होगा। कई निवेशक अभी भी अपनी संपत्ति का एक प्रतिशत सोने में लगाते हैं। डेटा इंटेलीजेंस कंपनी एक्सिस माई इंडिया के एक सर्वेक्षण में कहा गया है, “कुल 65 प्रतिशत भारतीय अपनी आय का एक हिस्सा किसी न किसी रूप में निवेश करते हैं और सोना निवेश (investmen) का एक लोकप्रिय विकल्प (popular choice) बन गया है। 53 प्रतिशत लोगों ने निवेश के साधन के रूप में सोने को तरजीह दी, 35 प्रतिशत लोगों ने डिजिटल सोने के प्रति जागरूकता दिखाई और 10 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे पहले ही डिजिटल सोने में निवेश कर चुके हैं। “
सर्वे के मुताबिक, 36 फीसदी लोगों को लगता है कि सोना निवेश का एक तरीका है। इसका इस्तेमाल इमरजेंसी में भी किया जा सकता है। इमरजेंसी में सोने का इस्तेमाल करने के बारे में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं सोचती हैं।
क्या आपको सोने में निवेश करना चाहिए?
हालांकि हाल के दिनों में सोना कमजोर रहा है। फिर भी यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह इक्विटी और कुछ अन्य जोखिम भरे परिसंपत्ति (risky asset) वर्गों की तुलना में कम गिरा है। इस अर्थ में, इसने अपने मूल्य को बेहतर ढंग से संरक्षित (preserved) किया है। जहां तक पूंजी संरक्षण का संबंध है, एक सुरक्षित ठिकाने (safe haven) के रूप में काम किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि सोना एक पीढ़ीगत (generational) संपत्ति है और लंबी अवधि (long term) में (मांग यानी डिमांड और सीमित आपूर्ति यानी सप्लाई के बीच अंतर के कारण) इसमें वृद्धि जारी रहेगी। निवेशकों (Investors) को परिसंपत्ति आवंटन (asset allocation) सिद्धांत (principle) का पालन करना चाहिए और उनके पोर्टफोलियो आवंटन (portfolio allocation) का 5-10 प्रतिशत सोने में होना चाहिए।
विशेषज्ञों (experts) का कहना है कि निवेशकों को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) के माध्यम से निवेश करना चाहिए, जो सोने की कीमत में वृद्धि के अनुरूप पूंजीगत लाभ (capital gains) के साथ 2.5 प्रतिशत का वार्षिक ब्याज (annual interest) देते हैं।
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