दिल्ली में एक स्कूल व्यवस्था ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा नहीं देने पर एक महिला शिक्षक को सस्पेंड कर दिया है ऐसा आरोप लगाया गया है| दिल्ली हाई कोर्ट ने स्कूल की शिक्षिका की ओर से दाखिल की गई अर्जी पर नोटिस जारी किया है| महिला ने यह भी दावा किया है कि उसे कम भुगतान दीया गया था।
पिछले साल अगस्त में एक महिला शिक्षिका की बिना वजह स्कूल की भलस्वा शाखा में अचानक बदली कर दि गई थी| याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसे स्कूल से अपनी सारी डायरी और अन्य सामान लेने का भी समय नहीं दिया गया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि स्कूल के कर्मचारियों को बाजार का दौरा करने और छात्रों और उनके माता-पिता को, दुकानदारों के साथ-साथ आम जनता से योगदान या दान के लिए राजी करने के लिए कहा गया था। आवेदक अंशदान करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि वह किसी कक्षा के शिक्षक नहीं है और उसका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है इसीलिए वह 70,000 रुपये का योगदान करने में असमर्थ थे।
उन्होंने आगे दावा किया कि इस समर्पण के नाम पर वार्षिक दान की राशि रु. 5,000 से बढाकर रु. 15,000 कि गई थी| याचिकाकर्ता को राम मंदिर के लिए 70,000 रुपये और समर्पण के लिए 15,000का योगदान करने के लिए मजबूर किया गया था। परिवार की आर्थिक हालत ख़राब होने के बावजूद महिलाने राम मंदिर के लिए 2,100 रु. का दान किया था लेकिन 70,000 जितनी बड़ी रकम देने से उसने इनकार कर दिया था|
अधिवक्ता खगेश ज़ा ने अदालत को सूचित किया कि 2016 में शिक्षक के पति का एक गंभीर एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी, सर्जरी के दौरान उन्हें अपने पैर में तीन छड़ें डालनी पड़ी थीं और कुछ न्यूरोलॉजिकल विकार थे, जिसके कारण उन्हें मिर्गी का दौरे पड़ रहे है। ऐसे में उनके इलाज के लिए परिवार पर भारी आर्थिक बोझ है, लेकिन आरएसएस समर्थित समर्थ शिक्षा समिति, जो स्कूल चलाती है, इस सबके बावजूद उनके मुवक्किल पर दबाव बना रही है|