सूरत शहर की पहचान वर्तमान में कपड़ा उद्योग एक बार फिर जीएसटी की प्रस्तावित दर को लेकर परेशान है। टेक्सटाइल पर 5 फीसदी जीएसटी लगने के बाद अब नए नोटिफिकेशन के मुताबिक एक जनवरी से टेक्सटाइल पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा| इसका कपड़ा व्यापारी लगातार विरोध कर रहे हैं।
कपड़ा व्यापारियों द्वारा पिछले कई दिनों से कपड़ा बाजार में विरोध स्वरुप बैनर लगाए गए हैं। काली पट्टी बांधी गयी , , वित्तमंत्री से मुलाकात भी की गयी लेकिन उनका डर दूर नहीं हो रहा इसलिए अब पोस्टकार्ड का सहारा लिया जा रहा है |पोस्टकार्ड लिखकर वित्त मंत्री तक अपनी भावनाओं को पहुंचाने की कोशिश शुरू कर दी है. कपड़ा व्यापारियो ने तय किया है कि 5000 पोस्टकार्ड वित्त मंत्री को लिखें जायेंगे ।
टेक्सटाइल पर 12 फीसदी जीएसटी बढ़ने से उत्पादन लागत पर सीधा असर पड़ेगा। जैसे-जैसे उत्पादन लागत बढ़ती है, वैसे-वैसे उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा। जीएसटी से कीमतों में करीब 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी होगी और इससे उपभोक्ताओं पर असर पड़ने की संभावना है। कपड़ा कारोबारियों की ओर से वित्त मंत्री को पोस्टकार्ड लिखना शुरू किया गया है | पत्र में यह भी मांग की गई कि जीएसटी को अपरिवर्तित रखा जाए।कपड़ा उद्योग लंबे समय से जीएसटी का विरोध कर रहा है और प्रतिनिधिमंडल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलकर अपनी बात भी रख चूका है ।
सूरत के व्यापारियों की भावनाओं को स्थानीय सांसदों द्वारा जीएसटी परिषद के अधिकारियों तक भी पहुंचाया गया है। लेकिन अभी तक जीएसटी परिषद द्वारा लिए गए निर्णय पर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।युवा ब्रिगेड समूह के अध्यक्ष ललित शर्मा ने कहा, “आज से हमने पत्र लिखना शुरू कर दिया है।” चिट्ठी में हमने साफ लिखा है कि वित्त मंत्री जी, हम सब पर रहम करें. आज के महंगाई के दौर में अगर टेक्सटाइल पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है तो उत्पादन लागत बढ़ जाएगी और उपभोक्ताओं को ज्यादा भुगतान करना होगा।
यह जरूरी है कि वित्त मंत्री हमारे बयान को गंभीरता से लें और उसे जीएसटी के सामने पेश करें। हमें उम्मीद है कि कपड़ा व्यापारियों के हित में फैसला लिया जाएगा। गारमेंट उद्योग के लिए फायदेमंद है कि जीएसटी दर को अपरिवर्तित रखा जाए अन्यथा उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।