हाई कोर्ट ने गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (GPCB) को कपड़ा उद्योगों और अन्य के साथ बैठक करने का निर्देश दिया है, ताकि कचरा निकासी (effluent discharge) की समस्याओं को हल किया जा सके। यह निर्देश तब आया, जब कपड़ा उद्योगों ने अपने औद्योगिक कचरे की निकासी के लिए मेगा पाइपलाइन से कनेक्शन मांगा, ताकि इकाइयां फिर से काम शुरू कर सकें।
हाई कोर्ट ने कहा कि “साबरमती नदी में औद्योगिक कचरा बहाते समय आवश्यक पैरामीटर” को तुरंत तय करने की जरूरत है। अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि क्या जीपीसीबी इस बात पर विचार कर सकता है कि क्या कपड़ा फर्म आशिमा लिमिटेड को अगले सप्ताह बुलाई जाने वाली अपनी बैठक के दौरान वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में मेगा पाइपलाइन में अपना कचरा बहाने की अनुमति दी जा सकती है।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि बैठक के नतीजे पर एक रिपोर्ट 20 जनवरी को अगली सुनवाई की तारीख से पहले अदालत को दे दी जाए।
साबरमती नदी में गंदगी के बहाव के खुलासे के बाद हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद पिछले साल कई कपड़ा उद्योग बंद कर दिए गए थे। उद्योग फिर से खोलने के लिए हाई कोर्ट की अनुमति मांग रहे हैं।
ऐसी ही एक इकाई आशिमा लिमिटेड ने जस्टिस सोनिया गोकानी और वैभवी नानावती की बेंच को सूचित किया कि जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) प्रवाह संयंत्र स्थापित करने के लिए उसे जीपीसीबी से औपचारिक अनुमति मिल गई है। उसने अदालत से अनुरोध किया कि इसके बजाय फर्म को अनुमति दी जाए। आर्थिक पहलू पर विचार करते हुए कचरा निकासी के लिए मेगा पाइपलाइन से जुड़ने दिया जाए। अहमदाबाद शहर में 27 किलोमीटर के दायरे में मेगा पाइपलाइन बिछाई गई है।
इस बीच, राज्य सरकार का उपक्रम अहमदाबाद मेगा क्लीन एसोसिएशन (AMCA) ने अदालत को बताया कि एक प्रमुख मुद्दा गैरकानूनी पाइपलाइनों को इससे जोड़ना है। एएमसीए की ओर से वरिष्ठ वकील राशेश संजनवाला ने कहा कि कर्मियों के अभाव में वह इस मुद्दे से निपटने में असमर्थ है।
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