एक विचित्र मामले में मध्य गुजरात के एक स्कूल में चार शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। इसलिए कि उन्होंने स्कूल के गरबा समारोह में कथित तौर पर छात्रों को छाती पीटते हुए ताज़िया की नकल (allowed students to thump their chests and mimic Tazia) करने की अनुमति दी थी। दरअसल ताज़िया मुस्लिमों में शोक मनाने (Muslim mourning ritual) से जुड़ा है। ताजिया शिया मुस्लिमों का धार्मिक रिचुअल है। इसमें कर्बला, इराक के मैदानी इलाके में शहीद हुए पैगंबर हजरत मुहम्मद के नाती और इस्लाम के चौथे खलीफा हजरत अली के बेटे हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताजिया निकाला जाता है। इस दौरान शोक मनाया जाता है।
गुजरात के खेड़ा जिले के हाथाज प्राइमरी स्कूल में घटी घटना के लिए जिम्मेदार मानी गए चार शिक्षकों में एक मुसलमान हैं। वैसे स्कूल में 17 शिक्षक हैं। इनमें से केवल सबीरा सिकंदर वोहरा मुस्लिम हैं। स्कूल में 570 छात्र हैं। इनमें से अधिकतर लगभग 342 यानी 60% मुस्लिम छात्र हैं। स्कूल में चल रहे नवरात्रि उत्सव को मनाने के लिए शुक्रवार, 30 सितंबर को एक गरबा समारोह का आयोजन किया गया। छात्र उत्साह से पहुंचे।
माता-पिता (parents), गांव के नेताओं और कुछ छात्रों से बात करने के बाद वाइब्स ऑफ इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक, कार्यक्रम शुरू होते ही छात्रों ने गरबा खेलना शुरू कर दिया। यहां तक कि मुस्लिम छात्रों ने भी भाग लिया और गरबा (Muslim students participated and played the garba) खेला। एक छात्र के मुताबिक, गरबा करने आए मुस्लिम छात्र हिंदू छात्रों से कहीं ज्यादा थे। इसलिए, कुछ समय बाद उन्होंने म्यूजिक को बदल देने को कहा।
घटना को लेकर दो तरह की बातें की जा रही हैं। आरएसएस का दावा है कि हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए शिक्षक जानबूझकर “मुस्लिम म्यूजिक” लगाते हैं और गरबा उत्सव को “अपवित्र” (corrupted) करते हैं। गांव के दो बुजुर्गों ने कहा कि गांव हमेशा सांप्रदायिक एकता का उदाहरण रहा है। लेकिन अब आरएसएस वहां की हिंदू आबादी के दिमाग में जहर भर (now the RSS was poisoning the Hindu population there) रहा है। यह ध्यान देने की बात है कि गरबा समारोह में मौजूद कोई भी छात्र 14 वर्ष से अधिक आयु का नहीं था।
वहां 17 शिक्षक मौजूद थे और वाइब्स ऑफ इंडिया (वीओआई) के पास उपलब्ध वीडियो में 60 से अधिक छात्रों को या अली या हुसैन बोलते, छाती पीटते हुए दिखाया गया है। वीडियो में कोई भी छात्र इसका विरोध करते नहीं दिख रहा है। एक राय यह है कि छाती पीटने वाले सभी मुस्लिम बच्चे थे और उनके हिंदू साथी किनारे खड़े होकर उनका हौसला बढ़ा रहे थे। वैसे एक राय इसके उलट भी है। इस राय के लोगों ने दावा किया कि हिंदू बच्चों को भी मजबूर किया गया था। वाइब्स ऑफ इंडिया निजी तौर पर इनमें से किसी भी राय की पुष्टि नहीं कर (not been able to confirm any of these versions) पाया है। हालांकि वाइब्स ऑफ इंडिया के पास मौजूद वीडियो में कई बच्चे नीले रंग की टीशर्ट पहने दिख रहे हैं, जिस पर हाथाज मुस्लिम ग्रुप लिखा हुआ है।
हाथाज की आबादी लगभग 7063 की है। नीले हाथाज मुस्लिम क्लब की पहचान वाले टी-शर्ट पहने कुछ छात्रों के गांव में घूमने के बाद लोकल हिंदुओं और गांव के दो हिंदू नेताओं ने इस मामले में दखल देने का फैसला किया। यह दावा करते हुए कि उनके हिंदू बच्चे इस घिनौने कृत्य से दूषित (polluted by this ghastly act) हो गए हैं, उन्होंने खेड़ा के जिला कलेक्टर (collector) केएल बचानी को एक ज्ञापन (memorandum) सौंपा।
बचानी ने कथित तौर पर “तुरंत कार्रवाई” (utmost urgency) के साथ मामले की जांच की और 24 घंटों के भीतर जिला शिक्षा शाखा (Education Branch) ने घटना के लिए जिम्मेदार चार शिक्षकों की पहचान कर ली। सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोप में जिन चार शिक्षकाओं को निलंबित किया गया है, उनमें एक मुस्लिम शिक्षक सबीरा वोहरा और तीन ईसाई शिक्षक- जागृतिबेन रविकांत सागर, एकताबेन दीनूभाई आकाशी और सोनलबेन रमनभाई वाघेला शामिल हैं।
अखिल भारतीय संत समिति और हाथाज संघर्ष समिति ने भी कलेक्टर को शिकायत दी। इसे साजिश बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की। हिंदू धर्म सेना खेड़ा के राजन त्रिपाठी ने इस बारे में स्कूल मैनेजमेंट को पत्र लिखा है। त्रिपाठी ने कहा, “स्कूल में माताजी का गरबा चल रहा था। किसी तरह कुछ मुस्लिम शिक्षकों ने संगीत बंद कर दिया और ताजिया बजाना शुरू कर दिया। उन्होंने छात्रों को गरबा के बजाय ताजिया बजाने के लिए भी कहा। हमें स्कूल में मुस्लिम शिक्षक होने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह हिंदू समाज की भावनाओं को आहत करने का प्रयास है। उन्होंने छात्रों को अपने धर्म के प्रतीक के साथ टी-शर्ट भी (T-shirts with the symbol of their religion) दी।”
हिंदू शिक्षकों ने ताजिया की अनुमति क्यों दी?
प्राइमरी स्कूल में 17 शिक्षक हैं। इनमें से एक मुस्लिम हैं- सबराबेन सिकंदरभाई वोहरा। जबकि पांच शिक्षक ईसाई हैं-जागृतिबेन रविकांत सागर, एकताबेन दीनूभाई आकाशी, सोनलबेन रमनभाई वाघेला, मिल्खाबेन और अन्य। यहां सवाल है कि हिंदू शिक्षकों ने मुस्लिम शिक्षक को ताजिया करने की अनुमति क्यों दी या ऐसा होने दिया? इस पर अमरसिंह जाला ने कहा, “छात्रों ने इसका अनुरोध किया और शिक्षकों ने अनुमति दे दी। उन्हें कुछ भी गलत नहीं लगा। इस घटना का कोई सांप्रदायिक पक्ष नहीं है।”
आरएसएस के सदस्य गौतम पटेल ने एक और बात कही, “हिंदू शिक्षक असहाय थे। इसलिए उन्होंने मुस्लिम और ईसाई शिक्षकों को सब करने दिया। हिंदू सामान्य तौर पर असहाय ही होते हैं। इसलिए यह उचित समय है कि हम खड़े हों और दमन न होने दें।” पटेल यह नहीं बता सके कि हिंदू शिक्षक-जिनकी संख्या मुस्लिम, ईसाई शिक्षकों से अधिक थी- ने अपने छात्रों के लिए ताजिया करने की अनुमति क्यों दी।
हाथाज के उप सरपंच (Deputy Sarpanch) नाडियाड इकबाल पठान का मानना है कि उनके गांव में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव है। लेकिन यह घटना “मतभेद पैदा करने के लिए एक राजनीतिक कदम” है। उन्होंने कहा, “गरबा के बाद मुस्लिम छात्रों ने अपने शिक्षकों से ताजिया खेलने का अनुरोध किया और शिक्षकों ने इसकी अनुमति दे दी। ताजिया सिर्फ मुस्लिम छात्रों ने किया, हिंदू छात्रों ने नहीं। यहां किसी को मजबूर नहीं किया गया। साथ ही, किसी भी छात्र ने मुस्लिम छात्रों में टी-शर्ट नहीं बांटी है। यह एक उत्सव था। इसलिए, छात्रों को उनकी पसंद के कपड़े पहनने की इजाजत थी-और उन्होंने वही किया।”
पठान ने आगे कहा, “इस घटना के बारे में न तो ग्रामीणों को पता था और न ही किसी समुदाय को। यह सब स्कूल और उसके शिक्षकों द्वारा किया गया था और अचानक हुआ था। किसी समुदाय को बदनाम करने का कोई इरादा नहीं था।”
नाडियाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य गौतम पटेल ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया, “स्कूल के शिक्षकों ने ही बेकसूर छात्रों के लिए टी-शर्ट लाने और उन्हें ताजिया खेलने के लिए मजबूर करने की साजिश (pre-planned) रची। पहले भी इस स्कूल ने हिंदू त्योहार मनाने से मना कर दिया था। यहां स्कूल के शिक्षक हिंदू हैं, जो मुस्लिम या ईसाई धर्म में परिवर्तित (teachers are Hindus converted to Muslims or to Christianity) हो गए हैं। हमने उन्हें पहले भी सख्त चेतावनी दी थी, लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही हो गया है। वे छात्रों को यूज करना चाहते हैं और उन्हें इस्लाम के तौर-तरीके से चलने को मजबूर करना (force them to practice Islam) चाहते हैं।”
हाथाज, नडियाद के पूर्व सरपंच अमरसिंह जाला ने बताया कि प्राइमरी स्कूल में 570 छात्र हैं और उनमें से 342 छात्र मुस्लिम और 228 हिंदू हैं। उन्होंने कहा, “एक बार जब छात्रों ने गरबा खेलना शुरू किया, तो उन्होंने शिक्षकों से ताजिया करने का अनुरोध किया। अधिकांश छात्र मुस्लिम हैं और अगर वे स्कूल में अपनी रस्में निभाना चाहते हैं तो ठीक ही है। केवल एक गलती हुई- ऐसा हमारे शुभ त्योहार नवरात्रि में किया गया। अगर यह नवरात्रि के बाद किया जाता, तो यह कोई समस्या नहीं (Had it been done after Navratri then, it would not have been an issue) होती।
जाला कहते हैं, “नादियाड में हिंदू और मुसलमान शांति से रहते हैं। यह वीडियो वायरल हो गया और लोगों ने इस स्कूल को निगेटिव रूप से देखना शुरू कर दिया। लेकिन मुझे यह गांव को बदनाम करने के साथ-साथ हिंदुओं और मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा करने के लिए साजिश भी लग रही है। ”
जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी (Primary Education Officer) कमलेश पटेल ने कहा, ‘हाथाज गांव के प्राइमरी स्कूल में आयोजित गरबा कार्यक्रम में मुस्लिम छात्रों द्वारा ताजिया करते हुए एक वीडियो वायरल हुआ है। पूरे घटनाक्रम को लेकर जांच की जा रही है। तालुका प्राथमिक शिक्षा अधिकारी सोमवार को जांच करेंगे और रिपोर्ट देंगे।
लोकल लोगों ने डीएम केएल बचानी को ज्ञापन देते हुए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। अभिभावकों ने भी स्कूल के खिलाफ शिकायत की और उसे बंद करने की धमकी दी है।