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कच्छ रेगिस्तान में बीएसएफ चौकी सर्वे के दौरान सर्वेयर की प्यास से मौत, 100 घंटे से बाद मिला शव

| Updated: April 12, 2025 13:47

कच्छ, गुजरात: गुजरात में भारत-पाकिस्तान सीमा पर बॉर्डर आउटपोस्ट (BOP) के लिए आधारभूत संरचना निर्माण कार्य में लगे एक सर्वेयर अरनब सुनील पाल का शव गुरुवार को कच्छ के रेगिस्तान में मिला। वे 6 अप्रैल को सर्वे कार्य के दौरान लापता हो गए थे। लगभग 100 घंटे की तलाशी के बाद पुलिस ने बताया कि उनकी मौत डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) के कारण हुई।

55 वर्षीय पाल पश्चिम बंगाल के बर्दवान ज़िले के निवासी थे और महाराष्ट्र की एक निजी कंपनी, भास्करम् ज्योतिष अनुसंधान केंद्र प्रा. लि. (BJAKPL) में कार्यरत थे। यह कंपनी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) की सब-कॉन्ट्रैक्टर है और BSF की गुजरात फ्रंटियर सीमा पर आउटपोस्ट निर्माण के प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही है। पाल इन दिनों इस प्रोजेक्ट के तहत कच्छ जिले के रापर में रह रहे थे।

6 अप्रैल को सुबह, पाल अपने सहायक छेलाराम मिथालाल टावर और ड्राइवर के साथ सर्वे के लिए निकले थे। उन्होंने सबसे पहले बेला बॉर्डर आउटपोस्ट पर अपनी उपस्थिति BSF के लॉगबुक में दर्ज करवाई, जो सीमा की ओर आगे बढ़ने से पहले एक अनिवार्य प्रक्रिया है।

पुलिस के अनुसार, बेला BOP से करीब 40 किलोमीटर दूर एक और चौकी की ओर जाते समय रेगिस्तान में ऐसी जगह आई, जहां से आगे गाड़ी नहीं जा सकती थी। वहां से पाल और उनके सहायक पैदल चल पड़े, जबकि ड्राइवर वाहन में ही रुका रहा।

कुछ समय बाद, सहायक ने थकान की शिकायत की और आगे चलने में असमर्थता जताई। लेकिन पाल ने करीब 500 मीटर और आगे जाने का निर्णय लिया और अकेले निकल पड़े। उन्होंने कहा था कि वे थोड़ी देर में लौट आएंगे, लेकिन वे कभी वापस नहीं आए।

जब काफी समय तक पाल का कोई पता नहीं चला, तो सहायक ने ड्राइवर को सूचित किया। इसके बाद ड्राइवर बेला BOP गया और BSF को जानकारी दी। चूंकि सर्वे टीम की गाड़ी को एक निश्चित सीमा से आगे जाने की अनुमति नहीं थी, इसलिए BSF ने अपने वाहन से सहायक को वहां से निकाला और पाल की खोज शुरू की।

बालासर पुलिस स्टेशन में लापता होने की शिकायत दर्ज की गई। पुलिस, BSF और वन विभाग के कुल 40 से अधिक कर्मचारियों ने संयुक्त रूप से लगभग 12 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में खोज अभियान चलाया। पाल के अंतिम बार देखे जाने वाले स्थान से करीब 8 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी क्षेत्र में भी तलाशी ली गई।

भचाऊ डिवीजन के डिप्टी एसपी सागर संबाड़ा ने बताया, “हमने पूरे सर्च ग्रिड में आवाजाही को प्रतिबंधित किया ताकि पैरों के निशान सुरक्षित रह सकें। हालांकि, रेगिस्तान में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जिससे तलाशी केवल सुबह 6 से 11 बजे और शाम 6 से 8 बजे के बीच ही संभव हो पाई।”

गुरुवार शाम करीब 6 बजे रापर पुलिस स्टेशन के कॉन्स्टेबल नटवरजी वेलाजी को पाल का शव मिला। पोस्टमॉर्टम के बाद शुक्रवार को पाल का शव जामनगर के जीजी जनरल अस्पताल में उनके परिजनों को सौंप दिया गया। बालासर थाने में इस संबंध में एक्सिडेंटल डेथ (AD) रिपोर्ट दर्ज की गई है।

यह घटना पिछले वर्ष जुलाई में BSF के सहायक कमांडेंट विश्व देव और हेड कांस्टेबल दयाल राम की मौत की याद दिलाती है, जिनकी हरामी नाला के पास गश्त के दौरान लू लगने से मृत्यु हो गई थी। उस समय भी उनकी पानी की आपूर्ति खत्म हो गई थी।

पाल की मौत एक बार फिर रेगिस्तानी इलाकों में सीमावर्ती कार्यों के दौरान कर्मचारियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

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