सूरत के रहने वाले संदीप को 12 साल की उम्र में ही लड़का होने के बावजूद लड़कियों की चीजें पसंद आने लगी थीं।उसे बाइक या कार के स्थान पर गुड़िया और बार्बी डॉल जैसे खिलौने पसंद आने लगे, संदीप इस बारे में किसी को नहीं बता सका और इस वजह से वह मानसिक रूप सेविक्षिप्त हो गया। संदीप ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और पढ़ाई के दौरान उन्होंने तय किया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद वेअपने दिल की आवाज को समाज के सामने लाएंगे. लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग के आखिरी सेमेस्टर में पढ़ाई छोड़ दी।
संदीप ने तीन लिंग परिवर्तन सर्जरी के बाद, सरकार के सामने आवश्यक दस्तावेज दाखिल किए और इस तरह संदीप से वह आधिकारिक तौर परअलीशा पटेल बन गई।
अलीशा ने वाइब्स ऑफ इंडिया से एक्सक्लूसिव बातचीत की और उस दौरान उन्होंने कहा,”जब से मैं स्कूल में थी, मुझे लड़कियों की तरह लंबीस्कर्ट पहनना पसंद था , लेकिन मैं खुद को कभी महिला नहीं कह सकती थी इसलिए मैं मानसिक रूप से भी तनाव में थी। मेरी पांच बहनें हैं और मैंसबसे छोटा हूं। मेरी आदतें धीरे धीरे औरतों की तरह होने लगीं और मुझे वक्त के साथ औरतों की चीजें बहुत ज्यादा पसंद आईं।”
अलीशा ने कहा कि ,”मैंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा के 30 में से 27 विषयों को पूरा कर लिया है, लेकिन लिंग को लेकर जो परेशानीथी वो अत्यंत बढ़ती जा रही थी जिसके कारण मुझे तीन विषयों को छोड़ना पड़ा और मैंने फैसला किया कि पहले मुझे अपनी असलियत लोगोंके सामने लानी होगी और इसके बाद ही मैं अन्य कार्यों में आगे बढ़ूँगी।
इंजीनियरिंग छोड़ने के बाद मुझे घर चलाने के लिए पैसों की जरूरत थीइसलिए मैंने एक इलेक्ट्रॉनिक स्टोर में सेल्समैन के रूप में काम किया और टाटा स्काई में सेल्समैन के रूप में भी काम किया।
लेकिन नौकरी भी मुश्किल में थी और मैं लड़कों की तरह व्यवहार नहीं कर सकता था इसलिए मैंने नौकरी छोड़ दी और छह महीने का ब्रेक लिया।”
उन्होंने कहा,”छह महीने के दौरान मैंने सोचा कि मैं कैसे आगे बढ़ सकता हूं? मुझे फैशन में अधिक दिलचस्पी थी इसलिए मैंने हेयर स्टाइलिस्ट का कोर्स किया,इसके बाद मैंने अहमदाबाद के वीएलसीसी संस्थान में ओरिएंटल थेरेपी का प्रशिक्षण लिया।ट्रेनिंग के बाद मैं काफ़ी आत्मनिर्भर हो गया और काम करना आरम्भ किया। “
अलीशा ने अपनी सर्जरी के बारे में बताया कि उन्होंने 6 सितंबर 2018 को हार्मोन थेरेपी शुरू की थी.इसके बाद उन्होंने दिल्ली में वॉयस चेंजिंगथेरेपी और सूरत में ब्रेस्ट इम्प्लांट सर्जरी करवाई। 6 अप्रैल, 2021 को लिंग परिवर्तन सर्जरी हुई।
यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल और लंबी है। हार्मोनल परिवर्तन विशेष रूप से कठिन होता। परिवार और डॉक्टर ने सर्जरी के दौरान उनका अत्यंतसहयोग किया और उन्हें प्रोत्साहित किया। इस पूरी सर्जरी में करीब 8 लाख रुपये का खर्चा आया।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वर्ष 2019 में कानून बनाया गया था और इससे उनका विश्वास बढ़ा और अब उन्हें विश्वास है की उनकी इच्छा जल्दही पूरी होगी।सरकार ने इसे कागज पर मान्यता दी है लेकिन समाज को भी हमारा समर्थन करना चाहिए।उन्होंने कहा,” एक पुरुष के लिए एकमहिला बनना गलत नहीं है। उसे खुलकर बात करनी चाहिए।”
अलीशा ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया कि वह सामाजिक कार्यों और राजनीति में शामिल होना चाहती हैं।
सूरत कलेक्टर आयुष ओके ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया,”सिस्टर अलीशा को कानून के प्रावधानों के तहत सर्टिफिकेट दिया गया है.अबतक ऐसे लोग अपनी पहचान उजागर नहीं कर पाए हैं जो अब कानून द्वारा समाज के लोगों के सामने प्रकट की जा सकती हैं।
इसके अलावाभविष्य में अगर कोई बाधा और शिकायत आती है तो उनकी अवश्य मदद की जाएगी।”