उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार को झटका देते हुए गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021पर उच्च न्यायालय द्वारा लगायी गयी रोक को बरक़रार रखा है। गुजरात सरकार उच्च न्यायालय द्वारा लगायी गयी रोक के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से विवाह पर रोक लगाने वाले गुजरात सरकार के कानून पर उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए अंतरिम रोक को बरकरार रखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक नोटिस जारी कर गुजरात सरकार को छह सप्ताह के भीतर इस मामले पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
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इस पर गुजरात सरकार ने कहा कि इतने कम समय में जवाब दाखिल कर मामले की सुनवाई करना उचित नहीं होगा.
कोर्ट ने राज्य सरकार का स्टैंड सुनने के बाद कहा कि हम छह हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेंगे.
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गुजरात हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है. इसने कहा कि गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 अंतर-धार्मिक विवाहों पर लागू नहीं होगा।
इसमें कहा गया है कि बिना बल, लालच या धोखाधड़ी के किया गया विवाह कानून के दायरे में नहीं आएगा।गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 को गुजरात सरकार ने बहु प्रचारित किया था।
क्या है गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम (संशोधन) अधिनियम, 2021
गुजरात सरकार ने 15 जून को गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम (संशोधन) अधिनियम, 2021 लागू किया। कानून में शादी के जरिए जबरन धर्म परिवर्तन करने पर सजा का प्रावधान है। गुजरात में लव जिहाद कानून 15 जून को अस्तित्व में आ गया था। इस कानून के तहत पांच साल की सजा और अधिकतम 5 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी याचिका
गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते राज्य के लव जिहाद एक्ट की महत्वपूर्ण धाराओं (3,4,5 और 6) पर रोक लगा दी थी। इसी स्टे को हटाने के लिए आज फिर गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें हाईकोर्ट ने धारा 5 पर लगी रोक को हटाने के लिए सरकारी वकील द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है। महाधिवक्ता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें कहा गया था कि नियमानुसार धर्मांतरण के लिए कलेक्टर की अनुमति की आवश्यकता है। सरकार की इस मांग का याचिकाकर्ता ने विरोध किया था।
बता दें, हाईकोर्ट ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर पिछले हफ्ते फैसला सुनाया था। जमीयत ने इस कानून पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिका पर फैसला देते हुए हाईकोर्ट ने इस कानून की धारा- 3,4,5 और 6 के संशोधनों को लागू करने पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा, पुलिस में FIR तब तक दर्ज नहीं हो सकती जब तक ये साबित नहीं हो जाता कि शादी जोर-जबरदस्ती से और लालच देकर की गई है।