भाजपा के वरिष्ठ नेता सुनील ओझा को उत्तर प्रदेश से स्थान्तरित कर बिहार की जिम्मेदारी दी गयी है। सुनील ओझा अभी तक यूपी के सह प्रभारी थे अब उन्हें बिहार में पार्टी का सह प्रभारी बनाया गया है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ये नियुक्ति की है। सुनील ओझा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी नेताओं में से एक माने जाते हैं।
सुनील ओझा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी बताए जाते हैं. गुजरात की भावनगर विधानसभा सीट से 2 बार विधायक रह चुके हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस से चुनाव मैदान में थे, उस वक्त बीजेपी ने उन्हें यूपी का सह प्रभारी बनाया था.
पर्दे के पीछे अपने काम के लिए जाने जाने वाले सुनील ओझा की भूमिका भी इस जीत में काफी अहम मानी जाती है. इस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के क्षेत्र वाराणसी और उसके आसपास के इलाकों पर ओझा की पैनी नजर रहती है.
हालांकि, वे एक बार पार्टी से बगावत भी कर चुके हैं. 2007 में जब सुनील ओझा को पार्टी ने विधानसभा का टिकट नहीं दिया था तो वह निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन चुनाव हार गए थे. वह महागुजरात जनता पार्टी में शामिल हो गए थे.
लेकिन 2011 में फिर से उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली. जिसके बाद बिना किसी पद के उन्हें प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस भेज दिया गया , तीन साल ओझा ने बनारस में काम किया ,जिसके बाद से ही वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फिर से करीबी हो गए. अमित शाह का भी हाथ उनके ऊपर रहा है.
अब वे बिहार के बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े के साथ मिलकर काम करेंगे। गुजरात से बिहार में पहले से ही भीखू दलसाणिया संगठन महामंत्री के तौर पर बपनी भूमिका निभा रहे हैं।
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