कांग्रेस ने हमें निशाना बनाया और जेल भेज दिया, क्योंकि हम एक खास विचारधारा वाले थे: रेप के दोषी राधेश्याम शाह
“यह 2022 है। फिर भी मैं उसी भय( fear) , असुरक्षा (insecurity )और निराशा (Hopelessness ) का अनुभव कर रही हूं, जैसा 2002 में किया था। कुछ भी तो नहीं बदला है। यह 2002 जैसा ही लगता है। ” वाइब्स ऑफ इंडिया (Vibes of India )से बातचीत में यह कहना है बिलकिस बानो(Bilkis Bano )का।
बहुत साहसी (much courage )और धैर्य( patience )वाली रही बिलकिस (Bilkis) का कहना है कि उन्होंने अपने अंदर से इन दोनों गुणों को खो दिया है। वह कहती हैं, “मैं बहुत मायूस महसूस करती हूं। हम हार गए।”
बिलकिस (Bilkis )ने कहा, “स्वतंत्रता दिवस (Independence day )बुरी खबर लेकर आया। मेरी तो सारी स्वतंत्रता (freedom) , अधिकार( rights )और सुरक्षा (Security)ही छीन ली गई है।”
बिलकिस बानो (Bilkis Bano) कहती हैं, “अचानक मेरा अपने आस-पास की हर चीज पर से यकीन खत्म हो गया है। क्या अब भी आपको लगता है कि इस देश (Country )में कोई मेरी मदद कर सकता है?”
वीडियो या फोटो खिंचवाने या इंटरव्यू से इनकार करती हुई बिलकिस ( Bilkis) कहती हैं, “यह सब बहुत हो गया।”
वाइब्स ऑफ इंडिया (Vibes of India ) से विस्तार से बात करने वाले उनके पति याकूब रसूल (Yakub Rasul )के मुताबिक, “बिल्किस और हम परिवार के छह सदस्य घर पर बैठे थे। हमने दोपहर का भोजन खत्म ही किया था और टेलीविजन चालू कर दिया। स्वतंत्रता दिवस (Independence day) जो था। अचानक एक स्थानीय चैनल पर हमने बिलकिस बानो के नाम के साथ समाचार देखा। इसमें बताया गया कि बलात्कारियों को रिहा कर दिया गया है। सबसे पहले बिलकिस ने कहा, यह खबर फर्जी होनी चाहिए। इस पर मेरे बेटे ने चैनल बदलना शुरू कर दिया। हमने देखा कि यही सब अलग-अलग गुजराती चैनलों में भी था।” बिलकिस बस उठी और चली गई।
उन्होंने कहा, “हम सब समझ गए कि कुछ तो हो रहा है। इसलिए हमने अपने वकीलों को बुलाया। किसी को कुछ नहीं पता था। हम पूरी तरह से अनजान थे।”
बिलकिस ने हिलने से मना कर दिया। उसने वाइब्स ऑफ इंडिया( Vibes of India ) को बताया कि उससे तो परिवार के लिए खाना भी नहीं बनाया गया। अपने भविष्य और परिवार की सुरक्षा के बारे में पूरी तरह से निराश बिलकिस ने हमसे एक ही सवाल पूछा था: “क्या वे मुझसे एक बार भी नहीं पूछ सकते थे या कम से कम मुझे इस बारे में सूचित तो कर देते कि क्या हो रहा है?”
याकूब ने पूछा, “अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया था। उन्हें बलात्कारी पाया गया था। वे खुले में क्यों घूम रहे हैं?”
वाइब्स ऑफ इंडिया( Vibes of India )यहां इस बात का खुलासा नहीं कर रहा है कि वे बिलकिस से कहां मिले थे। क्योंकि बिलकिस ने भी उस घर से बाहर निकलने का फैसला कर लिया है। 2002 के बाद से बिलकिस ने एक दर्जन से अधिक घरों को बदला है। बेशक, वे उस घर का इंतजार करते रहना चाहते हैं, जिसे देने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुजरात सरकार (Gujarat Government)से कहा था। बिलकिस और उसके परिवार को एक ऐसी जगह देने के लिए सुप्रीम कोर्ट( Supreme Court )को कहे पांच साल से अधिक हो गए हैं, जिसे वे घर बुला सकें। अभी तक गुजरात सरकार (Gujarat Government )की तरफ से कुछ नहीं हुआ है।
अलग-अलग जगहों पर रहने वाले, बिना किसी निश्चित पते के, परिवार अब और अधिक असुरक्षित(Unsafe )महसूस करता है। इसलिए कि बलात्कारी सड़कों पर हैं।
लेकिन जीवन के असंख्य रंग हैं। बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां असुरक्षित और अनिश्चित महसूस कर रहा है, वहीं रंधीकुर और गोधरा( Godhra)में सैकड़ों लोग नई मिली आजादी का जश्न (freedom celebration )मना रहे हैं।
हम सब निर्दोष हैं। हमें सिर्फ इसलिए फंसाया गया, क्योंकि हम एक खास विचारधारा को मानते हैं: राधेश्याम शाह
राधेश्याम शाह (Radheshyam Shah )कहते हैं, “मैं पूरी तरह से निर्दोष(Innocent) हूं। इस महिला ने न केवल हमारे लिए, बल्कि हमारे पूरे परिवार के लिए जीवन को दयनीय बना दिया। ” बता दें कि उन्हें 11 अन्य लोगों के साथ एक विशेष छूट समिति के कहने पर स्वतंत्रता दिवस ( Independence day ) पर रिहा कर दिया गया है। राधेश्याम( Radheshyam ) ने इस मामले में गिरफ्तार सभी लोगों की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court )का दरवाजा खटखटाया था।
उन्होंने कहा, “मैंने गुजरात (Gujarat) की विभिन्न जेलों में अन्य लोगों के साथ 18 साल से अधिक समय बिताया है। हम सभी यकीनन बहुत खुश हैं कि हमें रिहा कर दिया गया है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि हमने 18 साल जेलों में बिताए हैं। शहर में किसी से पूछो। हम निर्दोष हैं। हमें फंसाया गया। सिर्फ इसलिए कि हम एक विचारधारा में विश्वास करते हैं।”
एक अन्य दोषी जो अब रिहा हो गया है, ने कहा, “हम और मजबूत हुए हैं। अपनी विचारधारा में हमारा विश्वास और भी मजबूत हुआ है।” उन सभी ने मिठाइयां बाँटीं और उनमें से कुछ ने अपनी रिहाई का जश्न मनाने के लिए भगवा कपड़े भी पहने।
राधेश्याम ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि हमें रिहा किया जा रहा है। लेकिन आपको इस बात का अंदाजा नहीं है कि हम किस अपमान के साथ जी रहे हैं। हमने एक नरेशभाई मोढिया को खो दिया है। उन्हें भी फंसाया गया था। हमारे सहयोगी जीवनभाई ने पत्नी को खो दिया। हमारे एक अन्य सहयोगी बिपिनभाई जोशी की पत्नी की दोनों किडनी फेल हो जाने के कारण मृत्यु हो गई। हम सबने कितनी ही लड़ाइयां लड़ी हैं। सिर्फ इसलिए कि हम एक खास विचारधारा में विश्वास करते हैं।”
हमारे परिवार ने नरक भोगा है
दिलचस्प बात यह है कि राधेश्याम शाह( Radheshyam Shah)ने दोहराया कि वे सभी निर्दोष( innocent )हैं। उन्होंने कहा, “हमें नहीं पता कि हमें क्यों निशाना बनाया गया। हम सिर्फ इतना जानते हैं कि गोधरा (Godhra )में एक ट्रेन में हिंदुओं को जिंदा जलाए जाने के बाद कुछ मुसलमानों के साथ अप्रिय घटना घटी। मुस्लिमों के साथ घटना छपरवाड़ गांव के पास के जंगलों में घटी। लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार (Central Government )ने हम सभी को जेल में डाल दिया।” राधेश्याम या उनके दोस्त बीजेपी( BJP )या कांग्रेस (CONGRESS) का नाम नहीं लेते।
गुजरात सरकार के गृह सचिव राजकुमार( Rajkumar, Home Secretary to the Government of Gujarat )ने वाइब्स ऑफ इंडिया (Vibes of India)को बताया, “राधेश्याम शाह ने छूट नीति के तहत रिहा होने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से इसकी जांच के लिए एक समिति गठित करने को कहा। जेल सलाहकार समिति की दो बार बैठक हुई। उन्होंने एक रिपोर्ट सौंपी। इसके बाद 11 लोगों को रिहा करने का फैसला किया गया।”
समिति की अध्यक्षता करने वाले पंचमहल के कलेक्टर सुजान मायात्रा (Panchmahal Collector Sujan Mayatra) ने वाइब्स ऑफ इंडिया(Vibes of India )को बताया, “सुप्रीम कोर्ट ने समिति के गठन का आदेश दिया था। समिति में कलेक्टर सुजान मयात्रा ( Collector Sujan Mayatra ) के अलावा जिला न्यायाधीश (District judge), जिला पुलिस अधीक्षक (District Superintendent of Police), स्थानीय विधायक (local MLA ), जिला समाज कल्याण अधिकारी (District Social Welfare Officer )समेत 8 लोग और तीन आमंत्रित सदस्य शामिल थे।”
वाइब्स ऑफ इंडिया (Vibes of India )इस समिति द्वारा तैयार की गई पूरी रिपोर्ट को हासिल नहीं कर पाई है, जिसे गुजरात सरकार के गृह विभाग (Home Department of Government of Gujarat )को सौंपा गया था। हालांकि, एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि रिपोर्ट में सभी 11 लोगों के अच्छे व्यवहार, दृष्टिकोण और समान सकारात्मक गुणों पर जोर दिया गया है। उनमें से कई सिर्फ आगजनी के लिए और अन्य आगजनी एवं बलात्कार के आरोपों के तहत जेल में थे। समिति की रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि अगर इन 11 लोगों को जेल से रिहा किया जाता है, तो जनता को कोई खतरा नहीं है। पंचमहल कलेक्टर सुजान मायात्रा (Panchmahal Collector Sujan Mayatra) ने आगे कहा, “मुझे 14 अगस्त को सूचित किया गया था कि इन 11 लोगों को 15 अगस्त को गोधरा उप जेल से रिहा किया जाना चाहिए। बस यही है।”
इमरान टेट्रा गुजरात टुडे से जुड़े हैं, जो गुजरात में एक प्रमुख अल्पसंख्यक स्वामित्व वाला अखबार है। वह मामले की टाइमलाइन पर प्रकाश डालते हैं।
बिलकिस बानो (Bilkis Bano) और उनका परिवार 2002 के बाद गुजरात में हुए गोधरा दंगों( Godhra Riots )के शिकार लोगों में से थे, लेकिन यह मामला जघन्यता और निर्ममता के कारण चर्चित हुआ। पांच माह की गर्भवती बिलकिस गुजरात के दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली हैं। वह अपनी साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और परिवार के 15 अन्य सदस्यों के साथ गांव से भाग गईं। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express)में 59 कारसेवकों (karasevaks)की हत्या के बाद आरोपी द्वारा उनके घर में कहर बरपाने के बाद उन्होंने भागने का फैसला किया।
बिलकिस और उनकी मां समेत चार महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म (Gang rape )किया गया। समुदाय के 17 लोग और परिवार के सदस्यों में से आठ मौके से मृत पाए गए। इनमें बिलकिस की बेटी भी थी, जिसे मां के साथ सामूहिक बलात्कार( Gang rape )का गवाह बनाए जाने के बाद मार दिया गया था। छह लापता घोषित किए गए। जीवित बचे लोगों में बिलकिस, उनकी एक बेटी और एक अन्य व्यक्ति शामिल हैं।
घटना के बाद बिलकिस कम से कम तीन घंटे तक बेहोश रहीं। इसके बाद एक गरीब आदिवासी महिला( poor tribal woman) ने उन्हें कुछ कपड़े दिए। इसके बाद उनकी मुलाकात एक होमगार्ड (Home Guard )से हुई, जो उन्हें लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन (Limkheda Police Station )ले गया, जहां उन्होंने हेड कांस्टेबल सोमाभाई गोरी( Head Constable Somabhai Ghori )के पास शिकायत दर्ज कराई। सीबीआई (CBI )के अनुसार, गोरी ने शिकायत के “भौतिक तथ्यों को दबा दिया और झूठी कहानी गढ़ दी।” इसके तुरंत बाद मामला सीबीआई (CBI )को दे दिया गया। सीबीआई (CBI )ने पाया था कि मारे गए सात लोगों के सिर काट दिए गए थे, ताकि उनकी पहचान नहीं की हो सके।
बिलकिस बानो को जान से मारने की धमकी मिलने के बाद मामले की सुनवाई गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दी गई( Hearing shifted from Gujarat to Maharashtra )थी।
मुंबई की अदालत में 6 पुलिस अधिकारियों और एक सरकारी डॉक्टर दंपती समेत 19 लोगों के खिलाफ आरोप दायर किए गए। जनवरी 2008 में एक विशेष अदालत ने 11 लोगों को दोषी ठहराया था। जबकि 11 को एक गर्भवती महिला से बलात्कार की साजिश रचने, हत्या और अवैध रूप से इकट्ठा होने और भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था। हेड कांस्टेबल को आरोपी को बचाने के लिए “गलत रिकॉर्ड बनाने” के लिए दोषी ठहराया गया था।
अदालत ने सात लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया, जबकि एक की सुनवाई के दौरान मौत हो गई।
अदालत ने माना कि जसवंतबाई नाई, गोविंदभाई नाई, नरेश कुमार मोर्धिया (मृतक) ने बिलकिस के साथ बलात्कार किया, जबकि शैलेश भट्ट ने उसकी बेटी सालेहा को जमीन पर “पटककर” मार डाला।
दोषी ठहराए गए अन्य लोगों में राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप वोहानिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, नितेश भट्ट, रमेश चंदना और लिमखेड़ा थाने के हेड कांस्टेबल सोमभाई गोरी शामिल हैं।
मुंबई कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को उम्रकैद (life prison) की सजा सुनाई। बॉम्बे हाईकोर्ट(Bombay High Court) ने मई 2017 में सामूहिक बलात्कार मामले में 11 लोगों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास को बरकरार रखा, जबकि पुलिसकर्मियों और डॉक्टरों सहित सात लोगों को बरी कर दिया।
क्यों महत्वपूर्ण है बिलकिस बानो कांड
बिलकिस बानो मामला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आमतौर पर बलात्कार के दोषियों को किसी भी छूट नीति के तहत रिहा नहीं किया जाता है। गुजरात में ही कई बलात्कार के दोषी कई जेलों में बंद हैं। उम्रकैद की सजा काट रहे लोग भी कुछ मामलों में 20 साल के बजाय 25 साल जेल में बिताने के बाद भी जेल नहीं छोड़ पा रहे हैं।
इस साल जून में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ (स्वतंत्रता के 75 वर्ष) के अवसर पर दोषी कैदियों के लिए एक विशेष रिहाई नीति का प्रस्ताव करते हुए केंद्र ने राज्यों को आजीवन कारावास की सजा देने वालों को रिहा करने के दिशानिर्देश जारी किए। बलात्कार के दोषियों को उन लोगों में सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें इस नीति के तहत रिहाई नहीं दी जानी है। हालांकि, गुजरात सरकार की अपनी नीति है। उन्होंने उसी का सहारा भी लिया जो बलात्कारियों को रिहा करने की अनुमति देती है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह नीति 1992 में बनाई गई थी। तब गुजरात में जनता दल के मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल( Chief Minister of Janata Dal was Chimanbhai Patel.) थे। उनकी सरकार को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था। बाद में चिमनभाई ने अपने गुट का कांग्रेस में विलय कर दिया। इसलिए तकनीकी रूप से जब यह नीति बनाई गई थी, तब सत्ता में कांग्रेस (CONGRESS)थी, न कि भाजपा (BJP )