प्रतिष्ठित लुई कान प्लाजा और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद (IIMA) के लाल ईंट वाले कैंपस में सक्रिय संकाय सदस्यों (faculty members) और छात्रों द्वारा अधिकारों और नागरिक समाज के साथ अन्याय के लिए विरोध में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन होते रहते हैं। लेकिन छह दशक पुराने आईआईएमए के इतिहास में यह पहली बार था कि इसके संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और अकादमिक सहयोगियों- उनमें से लगभग 36 ने मौन विरोध प्रदर्शन करके असंतोष जताया। अधिकारियों को ‘ज्ञान’ देने के लिए प्रार्थना की।
विरोध करने वाले सदस्यों ने अपने गले में ‘रिस्टोर आईआईएमए लोगो’ का बैज पहन रखा था। वे आईआईएमए निदेशक और बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (BoG) के खिलाफ मौन विरोध को दर्ज करने के लिए ‘मेडिटेशन फॉर विजडम’ या ‘सद्बुद्धि ध्यान’ आयोजित करने के लिए लुइस कान प्लाजा तक गए।
नया लोगो और वेबसाइट लॉन्च करने में उनके एकतरफा दृष्टिकोण के लिए आईआईएमए अधिकारियों के खिलाफ असंतोष इतना भयंकर है कि वरिष्ठ संकाय सदस्यों में से एक, पूर्व छात्रों और डीन सरल मुखर्जी ने कुछ दिन पहले इस्तीफा दे दिया। माना जाता है कि IIMA ने सोमवार को इसे स्वीकार कर लिया है। समझा जाता है कि मुखर्जी ने अपने सहयोगियों से कहा था कि डीन होने के बावजूद, उन्हें लोगो और वेबसाइट बदलने के महत्वपूर्ण निर्णय में भाग नहीं लेने दिया गया।
बता दें कि IIMA ने हाल ही में घोषणा की कि उसके BoG ने इसे विश्व स्तर पर और अधिक आकर्षक बनाने के लिए एक नए लोगो को मंजूरी दी है। साथ ही वेबसाइट की डिजाइन को भी बदल दिया गया है। IIMA के BoG ने कुछ इमारतों के पुनर्निर्माण की योजना को भी मंजूरी दी। इसमें प्रसिद्ध अमेरिकी वास्तुकार लुई कान द्वारा डिजाइन किए गए LKP का हिस्सा भी शामिल है।
बहरहाल, आईआईएमए के अगले निदेशक के लिए जिन नामों की चर्चा है, उनमें से भी कुछ फैकल्टी सदस्यों विरोध-प्रदर्शन में भाग लिया। सद्बुद्धि ध्यान में भाग लेने वाले एक सदस्य ने बताया कि वे निर्णय लेने में अपने बहिष्कार और लोगो और वेबसाइट को बदलने से नाराज हैं। इन सबमें बहुत सारी गड़बड़ियां की गई हैं।
आईआईएम-ए के लोगो के प्रपोज्ड बदलाव के बारे में 4 मार्च को अकादमिक कौंसिल मीटिंग में आईआईएम-ए के फैकल्टी मेम्बर्स को सूचित किया गया था। उन्हें लगता है कि आईआईएम-ए बोर्ड ने इस बदलाव को मंजूरी दे दी है और दो नए लोगो पहले ही रजिस्टर्ड किए जा चुके हैं। यह फैकल्टी मेम्बर्स के लिए एक आश्चर्य जनक घटना है क्योंकि आईआईएम-ए बोर्ड द्वारा लोगो के नए सेट को बिना फैकल्टी को सूचित किए या पूरी प्रक्रिया में शामिल किए ही मंजूरी दे दी गई है। पुराने लोगो में आईआईएम और उसके नीचे अहमदाबाद लिखा हुआ था, इसे बदल कर आईआईएमए लिखा गया है। इसके अलावा पुराने लोगो के अंदर संस्कृत में विद्याविनियोगाद्विकास: लिखा गया है, इसे अब नए लोगो में सबसे नीचे रखा गया है। लोगो के अंदर जो जाली थी, उसे अब नए लोगो में अधिक स्पष्ट किया गया है।
आईआईएम-ए का वर्तमान लोगो 1961 में अपनाया गया था। तब संस्थान की स्थापना की गई थी। इसमें ‘ट्री ऑफ लाइफ’ का मूल भाव है, जो अहमदाबाद में 1573 में बनी सिदी सैय्यद मस्जिद की एक उत्कृष्ट नक्काशीदार पत्थर की जाली या जंगला से प्रेरित है। इसमें संस्कृत श्लोक विद्या विनियोगद्विकास भी है, जिसका मतलब होता है ज्ञान के वितरण के माध्यम से विकास। गौरतलब है कि गुजरात सरकार के कई टूरिज्म एड्स और ब्रोशर में इस मोटिफ डिजाइन का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
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