पार्टी को लेकर ड्रामेबाजी से अब हर कोई आजिज हो रहा है। यहां तक कि उनके चुटकुलों पर हंसने वाले भी अब उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। इसलिए, किसी को आश्चर्य नहीं होता है।
कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने आज एक बार फिर कहा है कि, उन्होंने पद से हटने का फैसला करने के एक महीने बाद पंजाब कांग्रेस प्रमुख के रूप में अपना इस्तीफा वापस ले लिया है।
उन्होंने कहा, ”मैंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है।”
लेकिन सिद्धू के इस रवैये का कौन परवाह करता है? कांग्रेस ने इनपर लगाम न लगाकर पंजाब में अपनी कब्र खोद ली है।
हालांकि, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा करते हुए सिद्धू ने कहा कि जिस दिन पंजाब को नया महाधिवक्ता मिलेगा उस दिन वह भी कार्यभार संभाल लेंगे।
उन्होंने इससे पहले राज्य के महाधिवक्ता के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता एपीएस देओल की नियुक्ति पर अपनी आपत्ति जाहिर की थी।
देओल ने पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी का प्रतिनिधित्व किया था, जिन्होंने छह साल पहले प्रदर्शनकारियों पर बेअदबी और पुलिस फायरिंग की घटनाओं के दौरान राज्य पुलिस का नेतृत्व किया था।
सिद्धू ने जोर देकर कहा कि बरगारी की बेअदबी और ड्रग्स के मुद्दों को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाने के लिए एजी और डीजीपी के कार्यालय महत्वपूर्ण हैं।
हाल ही में, उन्होंने 28 सितंबर को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में सिद्धू ने कहा था कि वह पार्टी की सेवा करना जारी रखेंगे। सूत्रों का कहना है कि लगातार सिद्धू का समर्थन करने वाली प्रियंका गांधी भी उनके ड्रामेबाजी से थक चुकी हैं।
प्रियंका ने इस साल जुलाई में सिद्धू को पंजाब पार्टी का अध्यक्ष बनाया था। सिद्धू की वजह से ही कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को खोया है।
“एक आदमी के चरित्र का पतन समझौते के कारण उपजा है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे से कभी समझौता नहीं कर सकता।” -उन्होंने त्याग पत्र में लिखा था।
कांग्रेस महासचिव और पंजाब मामलों के पूर्व प्रभारी हरीश रावत ने हाल ही में कहा था कि सिद्धू राज्य पार्टी प्रमुख बने रहेंगे।