सोमवार को भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली, जो दुनियाभर के बाजारों में फैली गिरावट की लहर का अनुसरण कर रही थी। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित नए टैरिफ (शुल्क) को लेकर बढ़ती चिंता ने निवेशकों में भारी घबराहट फैला दी। सुबह 9:24 बजे तक बीएसई सेंसेक्स 3,291.95 अंकों की गिरावट के साथ 72,073.14 पर पहुंच गया, जबकि एनएसई निफ्टी 1,058.30 अंक लुढ़ककर 21,846.15 पर आ गया।
इस भारी गिरावट के साथ सेंसेक्स और निफ्टी लगभग 10 महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक बाजारों में जारी भारी उतार-चढ़ाव के चलते बाजार में और गिरावट की आशंका बनी हुई है। इस एक दिन की भारी गिरावट से बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के संयुक्त बाजार पूंजीकरण से करीब ₹19 लाख करोड़ स्वाहा हो गए।
“बाजार में बेहद अनिश्चितता का माहौल है”
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. वी.के. विजयकुमार ने कहा, “वैश्विक स्तर पर बाजार अत्यधिक अस्थिरता से गुजर रहे हैं। किसी को नहीं पता कि ट्रंप द्वारा लगाए गए शुल्कों का यह तूफान किस दिशा में जाएगा। ऐसे समय में ‘प्रतीक्षा करें और देखें’ की रणनीति सबसे बेहतर होगी।”
हर सेक्टर में बिकवाली, स्मॉल-कैप और मिड-कैप को तगड़ा झटका
शेयर बाजार की इस तबाही में सभी 13 प्रमुख सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में नजर आए। स्मॉल-कैप इंडेक्स में 10% की गिरावट देखी गई, जबकि मिड-कैप इंडेक्स 7.3% टूट गया।
बीएसई सेंसेक्स के किसी भी शेयर में बढ़त नहीं देखने को मिली। टाटा स्टील 11.25% की गिरावट के साथ सबसे बड़ा लूजर रहा। इसके बाद टाटा मोटर्स में 8.24%, टेक महिंद्रा में 6.70%, इन्फोसिस और एचसीएल टेक में 6-6% की गिरावट दर्ज की गई।
परंपरागत रूप से सुरक्षित माने जाने वाले सेक्टर भी इस बार बिकवाली से नहीं बच पाए। बैंकिंग, टेक्नोलॉजी और ऑटोमोबाइल सेक्टरों में भी जोरदार गिरावट देखी गई। बाजार में व्याप्त यह बेचैनी बड़े पैमाने पर निवेशकों की चिंता और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं की ओर इशारा करती है।
कुछ सेक्टर कर सकते हैं बेहतर प्रदर्शन
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में मजबूती बरकरार रहने की उम्मीद जताई जा रही है। डॉ. विजयकुमार ने कहा, “घरेलू खपत आधारित सेक्टर जैसे कि फाइनेंशियल्स, एविएशन, होटल्स, चुनिंदा ऑटो, सीमेंट, डिफेंस और डिजिटल प्लेटफॉर्म कंपनियां इस संकट से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होंगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि फार्मास्युटिकल सेक्टर को ट्रंप द्वारा टैरिफ से छूट मिलने की संभावना है, इसलिए यह सेक्टर स्थिरता दिखा सकता है।
वैश्विक बाजारों में भी खलबली
भारतीय शेयर बाजार में आई इस गिरावट की जड़ें वैश्विक स्तर पर फैले बाजार संकट में हैं। एमएससीआई एशिया एक्स-जापान इंडेक्स में 6.8% और जापान का निक्केई 225 इंडेक्स 6.5% तक गिर गया।
यह वैश्विक गिरावट अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की उस टिप्पणी के बाद आई, जिसमें उन्होंने कहा कि ट्रंप के घोषित नए टैरिफ “उम्मीद से कहीं ज्यादा बड़े” हैं और ये महंगाई व आर्थिक विकास पर गंभीर असर डाल सकते हैं।
इसके साथ ही तेल समेत कई कमोडिटी कीमतों में भी गिरावट दर्ज की गई।
भारत को कुछ हद तक राहत की उम्मीद
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है। विजयकुमार ने कहा, “भारत का अमेरिका को निर्यात जीडीपी का केवल 2% है, इसलिए भारत की आर्थिक वृद्धि पर इसका सीधा असर सीमित रहेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement) को लेकर बातचीत चल रही है, जिससे आने वाले समय में भारत को टैरिफ में राहत मिल सकती है।
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