कपडे और फुटवेयर उद्योग पर वस्तु और सेवा कर की दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 12 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है | प्रस्तावित दर एक जनवरी से लागू होंगी , लेकिन इसके पहले की प्रस्तावित दरों के विरोध में व्यापारिक संगठन सड़क पर उतर आये हैं | राज्य भर में बढ़ी हुयी दरों का विरोध किया गया | टेक्सटाइल हब सूरत में टेक्सटाइल फेडरेशन ऑफ सूरत ट्रेडर्स (फोस्टा) द्वारा बंद का आह्वान किया गया था , जिसका पूर्ण असर देखा गया | सभी 170 कपड़ा बाजारों में 70,000 से अधिक दुकानें बंद रही , साथ ही उनसे जुड़े घटक भी विरोध में शामिल हुए | टेक्सटाइल हब सूरत में टेक्सटाइल फेडरेशन ऑफ सूरत ट्रेडर्स (फोस्टा) महासचिव चम्पालाल बोथरा ने बताया कि आज की हड़ताल प्रतीकात्मक थी , जिसका व्यापारियों ने पूरी तरह समर्थन किया है |
व्यापारियों और निर्माताओं के बीच एकता का माहौल स्पष्ट था क्योंकि सभी लूम्स कारखाने भी बंद थे
सूरत, अहमदाबाद और राज्य के अन्य शहरों में व्यापारी जीएसटी में बढ़ोतरी का विरोध कर रहे हैं।डीसा के व्यापारियों ने आज शहर के साईबाबा मंदिर में काली पट्टी बांधकर जीएसटी में 12% की वृद्धि को 5% से विरोध किया। काली पट्टी पहने व्यापारियों ने विरोध में बैनर लगाकर रैली की।उन्होंने जीएसटी दर में वृद्धि के संबंध में डीसा मामलातदार के कार्यालय में आवेदन पत्र भी दिया ।
गौरतलब है कि 2020 और 2021 में कोरोना ने पूरे भारत में दहशत फैला दी थी। जिसके चलते सरकार की ओर से पूर्ण रूप से लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। जिसके बाद देश की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई। कोरोना की दूसरी लहर फिर कोरोना मामलों की एक श्रृंखला में बदल गई जिसमें कई लोग इसके शिकार हो गए और मौत के मुंह में चले गए। इस दौरान सभी छोटे व्यापारियों का धंधा चौपट हो गया।
तब से कोरो केस में धीरे-धीरे कमी आई है और सरकार ने कारोबार शुरू करने के लिए रियायतें दी हैं। तब से लेकर अब तक कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसे मुश्किल हालात में सरकार ने टेक्सटाइल, रेडीमेड और फुटवियर में जीएसटी दर बढ़ा दी है । पहले जो रेट पांच फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया था, उसने सभी छोटे कारोबारियों को मुश्किल में डाल दिया है. उनके लिए अपने परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल लग रहा है।