अहमदाबाद जयंती पर विशेष -आशावल ,कर्णावती या अहमदाबाद ? - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

अहमदाबाद जयंती पर विशेष -आशावल ,कर्णावती या अहमदाबाद ?

| Updated: February 26, 2022 14:58

अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती करने की मांग के लिए सड़क पर निकलने वाले लोगों को हकीकत में ऐतिहासिक सबूतों के आधार पर "आशावल " के लिए झंडा लेकर निकलना नहीं चाहिए ?


अलग अलग विचारों के बाद अहमदाबाद की जयंती आधिकारिक तौर पर 26 फरवरी यानि कि आज है अहमदाबाद की xyz जयंती है। क्या आपको पता है अहमदाबाद के इतिहास की तारीख में और अलग अलग इतिहासकारों के विचार के मुताबिक अहमदाबाद की स्थापना दिवस की तरह उसके नाम को लेकर भी अलग अलग बहुत दावे हो चुके हैं। तो चलिए आज इतिहास के पन्नो के सहारे फिर से अतीत में घूम कर आते हैं।
अहमदाबाद को यदि वास्तविक तौर से समझना हो तो आज के सीमेंट के जंगल सामान पश्चिम अहमदाबाद की अपेक्षा पूर्व अहमदाबाद जिसे “कोट विस्तार ” या पुराना अहमदाबाद के भूतकाल को समझना पड़े। ई.स 1411 में तात्कालिक आशावल \ आशापल्ली या यशोवल को समाहित कर लेती जगह को अहमदशाह प्रथम ने अपने सपनो की नगरी की तरह बसाने का निर्णय किया। इस दौरान अरब देशो के साथ समुद्री व्यापार बारूक और भावनगर के पास स्थित बंदरगाहों के माध्यम से होता था और दिल्ली सल्तनत का व्यापार मार्ग भी साबरमती के रास्ते था। अहमदाबाद को विकसित करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य व्यापारिक मार्ग पर एकाधिकार हांसिल करना भी था।

आशावल और कर्णावती के स्थान और स्थिति को लेकर अलग अलग इतिहासकार भिन्न भिन्न विचार रखते हैं।

केलिको मिल से जमालपुर दरवाजा और आस्टोडिया दरवाजा तक के क्षेत्र को ( वर्तमान “ढाल की पोल ” जिसे आशा भेल के टेकरा के तौर पर पहचाना जाता है ) आशावल के तौर पर ज्यादातर जगह स्वीकारा  जाता है। आशावल लगभग ई.स 9 वी शताब्दी के अंतिम चरण में विकसित होने की मान्यता है। माना जाता है कि इस नगर को बसाने वाले आशाभील के नाम से इस नगर का नाम आशापल्ली या आशावल पड़ा होगा।  इतिहासकार अल -बरुनी के अनुसार दशमी सदी में आशापल्ली का नाम पश्चिम भारत के महत्वपूर्ण जगहों में एक और समृद्धता के शिखर पर था। 14 वीं शताब्दी के इतिहासकार मेरतुंगाचार्या के प्रबंध चिंतामणि के अनुसार मे ई. 11 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, सोलंकी वंश के राजा कर्णदेव ने आशावल पर आक्रमण किया और कब्जा कर लिया, और आशावल की जगह कर्णावती शहर बसाया । लेकिन इस तथ्य के पीछे कई विसंगतियां हैं।
1 – सबसे पहले आशाभील ई. स नौवीं शताब्दी में आशावल स्थापित किया हो तो 11 वी सदी के अंत तक कर्णदेव के साथ युध्द करने के लिए जीवित कैसे थे ? यह पहली नजर में ही संभव नहीं नजर आता।

2 – आशावल और कर्णावती के स्थान के लिए लिखा है

स्वयं तू, अशापल्ली निवासिनमाशाभिधानम भिल्लमिशेयनम भैरवदेव्या सकुने जाते तत्र कोचरवाभिधन देव्य: प्रासादम च कारायित्वा शादलक्षाधिपम विजित्वा तत्र जयन्ती देवी प्रसादे स्थापयितवा तथा कर्नेश्चर देवतायतानम कर्णसागर  तडगालकृत चकार । कर्णवती पुरनीबेश्या स्वयं  तत्र राज्य चके।
कोछरब या कोचरब पालड़ी की सीमा किनारे कर्णावती मानी जाती है, और दोनों अलग अलग हों ऐसा भी बहुत सारे इतिहासकार मानते हैं। કોચરબ कोई भील देवी हो ऐसा लगता है और कर्णावती अगर आशावल के सामने मंदिर बनाया हो यह संभव है। ऊपर दर्शाये गए प्रबंध चिंतामणी में उल्लेखित कोचरब और जयन्ती देवी का स्पष्ट उल्लेख है , किन्तु आगे बताया गया कर्णसगर आज चाणस्मा के पास स्थित कणसागर गांव के पास स्थित है तो यह अहमदाबाद में तो संभव नहीं हो सकता।

3 –तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल हस्ताक्षरित वर्ल्ड हेरीटेज साइट में दर्ज कराने के लिए भेजे गए दस्तावेजों में भी स्वीकार किया गया है कि कर्णावती , अहमदशाह द्वारा बसाये गए अहमदाबाद के कोट विस्तार में समावेशित नहीं है केवल आशावल का ही हिस्सा समावेशित है।

पिछले कुछ समय से चल रहे राजनीतिक प्रदर्शनों और तथ्यों की जाँच के बिना गैरतार्किक दलील करने वालों को इतिहास पढ़ने की जरुरत है ,और आजकल बहु प्रचलित राजनीतिक ट्रेंड के अनुसार अहमदाबाद का नाम बदलकर कर्णावती करने की मांग के लिए सड़क पर निकलने वाले लोगों को हकीकत में ऐतिहासिक सबूतों के आधार पर “आशावल ” के लिए झंडा लेकर निकलना नहीं चाहिए ? या राजनीतिक हित साधने के लिए सिर पैर के बिना के तर्कों पर केवल हल्ला मचाना उद्देश्य होना चाहिये।

“अहमदाबाद को बाहरी लोगों के लिए और अधिक अनुकूल बनने की जरूरत
है” – व्यापार प्रमुखों का सुझाव

Your email address will not be published. Required fields are marked *