यूपीए चेयरपर्सन तथा कांग्रेस की सबसे लम्बे समय अध्यक्ष रही सोनिया गांधी ( जन्म 9 दिसंबर 1946) ने ढाई दशक की सफल सियासी पारी खेलने के बाद रायपुर अधिवेशन के दूसरे दिन अपने संबोधन के दौरान अचानक अपने राजनीतिक पारी से रिटायरमेंट का संकेत देकर सबको चौका दिया।
राजीव गाँधी की हत्या के राजनीति में जुड़ने से इंकार करने के बावजूद उनहोंने कांग्रेस नेताओं के आग्रह पर 1997 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की और 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष बनी। 2004 में कांग्रेस नेतृत्व वाले गठबंधन सरकार में प्रधानमत्री बनने से इंकार उन्होंने देश को चौका दिया था।
यूपीए के दोनों कार्यकाल के दौरान वह यूपीए की चेयरपर्सन के तौर पर अपनी सेवाएं दी। पिछले कुछ सालों में उनके स्वास्थ्य में गिरावट के कारण उनकी सक्रियता कम होती गयी।
76 वर्ष की उम्र में भले ही सोनिया गांधी ने राजनीति से रिटायरमेंट का संकेत दिया हो लेकिन देश में कई वरिष्ठ नेता है जो उम्र की सीमा को किनारे कर ना केवल राजनीति में सक्रिय है बल्कि देश की राजनीति में उनकी अपनी भूमिका है। आइये हम जानते है देश के छह वरिष्ठ नेताओं और उनकी राजनीतिक सक्रियता के बारे में।
1 – फारुख अब्दुल्ला – नेशनल कांफ्रेंस 85 वर्ष
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे फारुख अब्दुल्ला (जन्म 21 अक्टूबर 1937) 85 वर्ष के बावजूद राजनीति में ना केवल सक्रिय है बल्कि जम्मू कश्मीर में 370 हटने के बाद सबसे पहले जिन नेताओं को नजरबंद किया गया उनमे वह पहली पंक्ति में शामिल थे। वह देश के अकेले नेता है जिनके पिता और पुत्र दोनों मुख्यमंत्री रहे है। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष के तौर उन्होंने अपनी पार्टी को केंद्र की राजनीति में प्रासंगिक बनाये रखा। 1981 से 2002 तक वह नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष के अध्यक्ष रहे। उनके पुत्र उम्र अब्दुल्ला उनके उत्तराधिकारी बने है लेकिन फारूख अब्दुल्ला की सक्रियता में कोई कमी नहीं है। राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा के कश्मीर पहुंचने पर वह भी आयोजन में सक्रिय हुए थे।
2 शरद पवार – ( एनसीपी 82 वर्ष )
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और महाराष्ट्र की राजनीति के केंद्र बिंदु 82 वर्षीय शरद गोविंदराव पवार (जन्म 12 दिसंबर 1940) है। पवार देश के अकेले विपक्षी सक्रिय ऐसे वरिष्ठ नेता है जिनकी तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी करते है। पवार के पांच दशक की लम्बी सियासी पारी के बाद भी वह सक्रिय है। 2024 के आम चुनाव और महाराष्ट्र के चुनाव में इस मराठी छत्रप की भूमिका अहम रहेगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय मंत्रिपरिषद में पीवी नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में रक्षा मंत्री और मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री के रूप में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष हैं , जिसकी स्थापना उन्होंने 1999 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग होने के बाद की थी ।व वह महा विकास अघड़ी के भी अध्यक्ष हैं , जो महाराष्ट्र आधारित एक क्षेत्रीय राजनीतिक गठबंधन है। 2017 में, भारत सरकार ने उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
3 कैप्टन अमरिंदर सिंह (भाजपा 81 वर्ष )
उम्र के 8 दशक पार कर चुके पटियाला राजघराने का यह अंतिम महाराजा की सियासी पारी अभी भी जारी है। फ़िलहाल भाजपा के पंजाब फतह की रणनीति में उनकी अहम भूमिका है। वह दो बार मुख्यमंत्री रह चुके है। कभी गांधी परिवार के भरोसेमंद रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह की भाजपा पांचवी पार्टी है। शिरोमणि अकाली दल (पंथिक) से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले कैप्टन शिरोमणि अकाली दल से होते हुए कांग्रेस में पहुंचे थे। लेकिन जब गत चुनाव के पहले कांग्रेस ने उन्हें पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटा दिया तो वह पंजाब लोक कांग्रेस के नाम से नए दल का गठन किया जिसका बाद में भाजपा में विलय कर दिया। फ़िलहाल वह भाजपा के राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य है। पंजाब की राजनीति और देश में पटियाला घराने का अपना रुआब है। उनकी पत्नी परणीत कौर कांग्रेस से सांसद है जिन्हे हाल ही में कांग्रेस ने पार्टी से बर्खास्त किया है।
4 मल्लिकार्जुन खड़गे – ( कांग्रेस 80 वर्ष )
मल्लिकार्जुन खड़गे (जन्म 21 जुलाई 1942) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 74 वें और वर्तमान अध्यक्ष हैं ,16 फरवरी 2021 से कर्नाटक से राज्यसभा के सदस्य हैं। वे पूर्व में रेल मंत्री और श्रम और रोजगार मंत्री थे।भारत सरकार । खड़गे 2009 से 2019 तक गुलबर्गा , कर्नाटक के लिए लोकसभा के सदस्य थे।
वह कर्नाटक के वरिष्ठ राजनीतिज्ञों में से एक हैं और कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता थे । 2008 के कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया गया था ।
उन्होंने लगातार 10 बार रिकॉर्ड चुनाव जीता है और लगातार 9 बार (1972, 1978, 1983, 1985, 1989, 1994, 1999, 2004, 2008, 2009) अभूतपूर्व विधानसभा चुनाव जीते हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे 2014-2019 के दौरान लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता थे। उन्होंने 2022 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रपति चुनाव में शशि थरूर को हराया ।
5 – पिनाराई विजयन (सीपीआईएम 78 वर्ष )
जब देश में वामपंथी राजनीति अपनी जमीन खो रही है उस दौर में भी 78 वर्षीय पिनाराई विजयन केरल के मुख्यमंत्री है। LDF का नेतृत्व कर विजयन फिलहाल देश में एकमात्र वामपंथी मुख्यमंत्री है। 21 मार्च 1944 को केरल के कन्नूर में जन्मे विजयन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता है। पिनाराई विजयन छात्र संघ की गतिविधियों के माध्यम से राजनीति में प्रवेश किया और 1964 में अंततः कम्युनिस्ट पार्टी 1964 में शामिल हो गए। केरल संघ KSF (छात्र) के सचिव और भी केरल राज्य फेडरेशन KSYF (यूथ) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। बतौर मुख्यमंत्री के तौर पर यह उनका दूसरा कार्यकाल है। विजयन की छवि एक कुशल प्रशासक की है। पोलित ब्यूरो के दो दशक से सदस्य रहे विजयन के कार्यकाल में केरल में वामपंथ की जड़े मजबूत है। केरल देश का एकमात्र राज्य है जंहा अभी तक भाजपा ने अपनी मजबूत उपस्थिति नहीं दर्शा पायी है।
6 -नवीन पटनायक – ( बीजेडी 77 वर्ष )
आज़ादी के एक साल पहले जन्मे नवीन पटनायक पिछले 23 साल से उड़ीसा में एकछत्र राज कर रहे है। दिग्गज नेता बीजू पटनायक के पुत्र की सियासी पकड़ उड़ीसा के इतनी महत्वपूर्ण है कि मोदी लहर में भी वह अपने किले को बचाकर” शंखनाद ” कर रहे है। 16 अक्टूबर 1946 को कटक में जन्मे नवीन पटनायक अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। तीन किताबों के लेखक पटनायक फिलहाल देश में अकेले मुख्यमंत्री है जिनका कार्यकाल अभी भी जारी है। उड़िया भाषा में पकड़ मजबूत ना होने के बावजूद वह देश के एक अहम क्षेत्रीय क्षत्रप हैं।
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