मर्जी से ब्लड डोनेट करने के अभियान में कम से कम 7,500 यूनिट ब्लड जुटाए गए। इस दौरान इमरजेंसी में ब्लड डोनेट करने के लिए तैयार रहने वाले 75,000 स्वयंसेवकों (volunteers) का एक डेटा बैंक भी तैयार किया गया। यह सब हुआ बेंगलुरु में 15 जनवरी को मनाए जाने वाले एक दिवसीय सेना दिवस समारोह के लिए। पुणे में यह अभियान सेना के दक्षिणी कमान द्वारा चलाया गया। सेना का ऐसा ही अभियान महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भी चलाया गया।
दक्षिणी कमान ने कहा कि यह अभियान प्रमुख नागरिक अस्पतालों और सामाजिक संगठनों के साथ चलाया गया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डोनेट किए गए ब्ल्ड समय पर जरूरतमंद रोगियों तक पहुंच सके। शिविर ‘रक्तदान करें-जीवन बचाएं’ विषय के तहत लगाया गया था। इसमें सेना के जवानों और उनके घरवालों, नागरिक सुरक्षा कर्मचारियों, एनसीसी कैडेटों, कॉलेज के छात्रों, आर्मी पब्लिक स्कूल के शिक्षकों और जीवन के सभी क्षेत्रों के स्वयंसेवकों की जबरदस्त भागीदारी देखी गई। इन शिविरों का आयोजन सभी प्रमुख शहरों के साथ-साथ 10 राज्यों के दूरस्थ क्षेत्रों में दक्षिणी कमान के उत्तरदायित्व वाले क्षेत्र में किया गया था।
पुणे में कमांड हॉस्पिटल, आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियो थोरैसिक साइंसेज (AICTS), मिलिट्री हॉस्पिटल किर्की, और मिलिट्री हॉस्पिटल खडकवासला को शामिल करने के लिए चार स्थानों पर रक्तदान अभियान चलाया गया, जहां लगभग 700 यूनिट रक्त एकत्र किया गया। पुणे में अभियान का उद्घाटन मुख्यालय दक्षिणी कमान के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मंजीत कुमार ने किया।
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