गुजरात में शराबबंदी किस कदर व्यवस्था और लोगो को प्रभावित करती है ,यह गुजरात के एक बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मी के अपने वरिष्ठ अधिकारी को लिखे पत्र से उजागर हो रही है। अवकाश का कारण ‘काम के तनाव को कम करना के लिए शराब की जरुरत और गुजरात में शराब प्रतिबंधित है इसलिए दूसरे राज्य में जाकर शराब पीनी पड़ेगी ‘ को बताया गया है।
एक तरफ जहां काम के बोझ से परेशान एक बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने अपने वरिष्ठ अधिकारी को लिखे अवकाश पत्र को लेकर हास्य पैदा किया है, वहीं दूसरी तरफ गुजरात में दिखाता है कि लोग किस हद तक शराब पीने के आदी हैं. एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा लिखे गए इस पत्र ने स्वास्थ्य महकमे में काफी विवाद पैदा कर दिया है। शराबबंदी को लेकर एक बहस को भी इस शराब से जन्म मिला है
मिली जानकारी के मुताबिक बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता जे जे जमोड राजकोट जिले के वींछिया तालुका के मोटा हड़मतिया में पदस्थ हैं। उन्होंने एक छुट्टी अवकाश पत्र लिखकर अपने चिकित्सा अधिकारी से 3 दिन की छुट्टी मांगी है उन्होंने 21 से 23 तारीख तक छुट्टी मांगी है। उन्होंने जो अवकाश पत्र लिखा है वह चर्चा का विषय बना हुआ है।
बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता जे जे जमोड द्वारा गुजराती में लिखे गए पत्र का हिंदी अनुवाद यहा प्रस्तुत किया जा रहा है।
जे जे जमोड
बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मोटा हड़मतिया
ता – 19-2-2022
श्रीमान
चिकित्सा अधिकारी
पीएके छासिया
विषय – तीन दिन के अवकाश बावत
जयभारत के साथ आप साहेबश्री को बताना कि मैंने बहुत दिनों से एक भी छुट्टी नहीं ली है।
साथ ही लगातार काम के बोझ में अपनी मानसिक स्थिति को सुधारने की जरूरत है,जिसके लिए शराब की जरूरत है।
गुजरात में सरकार ने शराब प्रतिबंधित किया है ,इसलिए दूसरे राज्य में जाना पड़ेगा।
इसलिए 21-2 से 23-2 -2022 तक तीन दिन का अवकाश प्रदान करें ताकि मैं दूसरे राज्य में जाकर शराब पी सकू। कृपया मुझे तीन दिन का CL दें।
आपका विश्वासी
जे जे जमोड
बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मोटा हदमतिया
कर्मचारी द्वारा ऐसा अवकाश पत्र लिखकर छुट्टी मांगने से खुद चिकित्सा अधिकारी भी हैरान रह गए।
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