अहमदाबाद के पुराने इलाके जमालपुर में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के दफ्तर में धूप वाली दोपहर थी। वहां आंखों में उम्मीदों के साथ हाथ में कुछ कागज लिए लोगों की कतार लगी थी।
वे वहां अहमदाबाद नगर निगम के साथ अपने छोटे-छोटे मुद्दों को निपटाने के लिए जरूरी कागजात के साथ पहुंचे थे। वैसे कुछ यह भी चाहते थे कि एआईएमआईएम का एक प्रतिनिधि अन्य योजनाएं के अलावा पीएम स्वनिधि योजना के तहत मुख्यमंत्री अमृतम (एमए) योजना का लाभ दिलाने के लिए भी दस्तावेज जमा करने में मदद करे, जिसमें सड़क पर सामान बेचने वालों को 10,000 रुपये तक का पूंजीगत लोन मिलता है।
एआईएमआईएम के स्थानीय नेता मुश्ताकभाई खादीवाला और बीनाबेन परमार कार्यालय में बैठे थे और लोगों को अपनी शिकायतें दर्ज कराने में मदद कर रहे थे। एक सहायक भी था, जो आने-जाने वालों के नाम रजिस्टरों में लिखने में व्यस्त था।
खादीवाला ने वाइब्स ऑफ इंडिया को इन रजिस्टरों के बारे में समझाया। उन्होंने कहा, “हम एक मकसद को लेकर चलने वाली पार्टी हैं। हम लोगों की मांगों और शिकायतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए लोगों के आने-जाने का रजिस्टर बनाए रखते हैं। किसी को भूल न जाएं, इसलिए हम हर 15 दिनों में इसकी समीक्षा करते हैं।”
खादीवाला और परमार के अलावा रफीक शेख और अफसाना बानो ने भी जमालपुर से जीत हासिल की है। इस तरह एआईएमआईएम के पूरे 4 सदस्यीय पैनल ने इस मुस्लिम और दलित बहुल नगरपालिका वार्ड में जीत हासिल की है।
कतार में लगे लोग अपनी मांगों से जुड़े फॉर्म ले जा रहे थे, जहां एआईएमआईएण नेताओं ने अहमदाबाद नगर निगम से संबंधित 11 विभिन्न कार्यों, जैसे सड़क की मरम्मत, जल निकासी कार्य और अन्य को सूचीबद्ध किया है। उन्होंने कहा कि जमालपुर ही नहीं, खड़िया के लोग भी एएमसी और सरकार से संबंधित काम के लिए उनके पार्टी कार्यालय मे आते हैं।
जमीन पर काम
यह एक अलग परिदृश्य नहीं है। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम धीरे-धीरे और चुपचाप- लेकिन लगातार – मुस्लिम बस्तियों के हर नुक्कड़ और साथ ही दलितों के बीच पकड़ बढ़ा रही है। इस तरह एआईएमआईएम कांग्रेस पार्टी के अल्पसंख्यक और दलित आधार पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है। हालांकि कांग्रेस एआईएमआईएम को भाजपा की बी-टीम कह कर संतुष्ट हो जाती है, लेकिन जमीन पर ढीली पड़ती अपनी पकड़ से मुंह नहीं मोड़ सकती।
यह आम आदमी पार्टी (आप) के मामले में भी लागू होता है, जो फिर से कांग्रेस के लिए भाजपा की बी-टीम है। आप भी इसी तरह गुजरात में कांग्रेस पार्टी द्वारा छोड़ी जा रही जगह कब्जाने के लिए उपेक्षित गलियों में उतर रही है।
एआईएमआईएम ने फरवरी में गुजरात में स्थानीय निकायों के चुनावों में 24 सीटें हासिल की थी। इनमें अहमदाबाद नगर निगम में 11 और मध्य गुजरात में गोधरा के शहरी और ग्रामीण इलाकों के अलावा उत्तरी गुजरात में मोडासा शामिल हैं।
यह कैसे हुआ? वाइब्स ऑफ इंडिया के वहां पहुंचने पर अहमदाबाद के जमालपुर कार्यालय में बैठी बीना परमार कहती हैं, ”हम अन्य पार्टियों की तरह नहीं बनना चाहते, जो सिर्फ चुनाव के दौरान काम करती हैं। हम साल में 365 दिन लोगों के लिए काम करते हैं।”
कांग्रेस का नुकसान, एआईएमआईएम को फायदा
गोमतीपुर से एआईएमआईएम के पार्षद आफरीन खान पठान ने पार्टी में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी। उनका ऐसा करना कोई दलबदल का मामला नहीं था। उसके लिए पाला बदलना आसान नहीं था। इसलिए कि उनकी जड़ें कांग्रेस में काफी गहरी थीं। उनके ससुर मुख्तार खान पठान भी पार्टी से पार्षद थे। उनकी सास चंदाबेन पठान गुजरात कांग्रेस महिला विंग की अध्यक्ष थीं और उनके पति मोहसिन खान पठान एनएसयूआई में युवा कांग्रेस के नेता।
लेकिन उन्होंने इस शिकायत के साथ इस्तीफा दिया कि वह कांग्रेस में रहते हुए लोगों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने में सक्षम नहीं थीं। आफरीन खुश हैं कि वह एआईएमआईएम में शामिल हो गईं। वह कहती हैं, “हम दलितों, अल्पसंख्यकों और अन्य पिछड़े वर्गों से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठा रहे हैं।” वाइब्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए आफरीन ने कहा, “मैं हमेशा अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोगों के मुद्दों को उठाती हूं और यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद भी लोगों ने मुझे वोट दिया।”
ये शब्द मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं हैं, जो इस कल्पना को भुनाने का विकल्प चुनती है कि गुजरात ने हमेशा एक द्वि-ध्रुवीय चुनाव देखा है और वह एकमात्र विपक्ष है। यानी भाजपा का एकमात्र विकल्प वही है। हालांकि यह सच हो सकता है, लेकिन तथ्य यह है कि एआईएमआईएम और आप उसका खेल बिगाड़ने आ चुकी हैं और इसके लिए केवल कांग्रेस खुद जिम्मेदार है।
एआईएमआईएम गुजरात के महासचिव और अहमदाबाद शहर के अध्यक्ष एडवोकेट शमशाद पठान ने वाइब्स ऑफ इंडिया से कहा: “गुजरात में एकमात्र विपक्षी दल हम हैं, जो लोगों के लिए जमीन पर काम कर रहा है। हम अकेली ऐसी पार्टी हैं, जिसने नॉन-वेज या एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी के मुद्दे पर फेरीवालों के साथ खड़ी हुई।
अपने लक्षित मतदाताओं को स्पष्ट रूप से बताते हुए पठान कहते हैं, “एआईएमआईएम डॉ बाबासाहेब अंबेडकर की विचारधारा पर काम कर रही है। यही कारण है कि हमारी पार्टी का नारा ‘जय भीम, जय एआईएमआईएम’ है।”
विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी
एआईएमआईएम के गुजरात अध्यक्ष साबिर काबलीवाला ने वाइब्स ऑफ इंडिया से कहा, “निगम चुनावों के दौरान हमारे पास तैयारी के लिए केवल 24 दिन थे। फिर भी वे हमें रोक नहीं सके, क्योंकि हमारे 24 पार्षद जीते। हम विधानसभा चुनाव की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हम ‘गली कमेटी’ बनाने की प्रक्रिया में हैं, कुछ पार्टियां इसे ‘पन्ना कमेटी’ कहती हैं, लेकिन हमारे पूरे गुजरात में गली प्रेसिडेंट होंगे। सत्तारूढ़ भाजपा के पास पेज अध्यक्ष (पन्ना प्रमुख) हो सकते हैं, हमारे पास गली समितियां होंगी। भाजपा में पेज अध्यक्ष मतदाता सूची में प्रत्येक पृष्ठ पर दर्ज मतदाताओं को जुटाने के प्रभारी होते हैं।
काबलीवाला को भरोसा है कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा महीनों पहले कर देगी और इसके लिए चर्चा शुरू भी हो चुकी है।
उन्होंने कहा, “हमने जिला अध्यक्षों और महासचिवों के साथ एआईएमआईएम गुजरात का पार्टी संगठन पहले ही बना लिया है।” काबलीवाला ने यह भी कहा कि दक्षिण गुजरात में छोटूभाई वसावा की भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन जारी रहेगा।