शरद यादव -लालू 25 साल बाद आये साथ , आरजेडी में हुआ एलजेडी का विलय

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शरद यादव -लालू 25 साल बाद आये साथ , आरजेडी में हुआ एलजेडी का विलय

| Updated: March 20, 2022 20:30

शरद यादव ने कहा कि विपक्षी दलों की एकता उनकी प्राथमिकता है. उन्होंने बिहार में भाजपा नीत राजग के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए तेजस्वी यादव की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को देश भर में हाथ मिलाना चाहिए.

वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने रविवार को अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों में एकता पर बल दिया. राजद नेता तेजस्वी यादव ने दिग्गज नेता का अपनी पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि यह भाजपा विरोधी दलों के लिए सरकार के खिलाफ एकजुट होने का संदेश है.

शरद यादव विगत में तेजस्वी के पिता व राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। पिछले दिनों शरद यादव के घर जाकर तेजस्वी यादव ने मुलाकात की थी , उसी बैठक में विलय का रास्ता साफ़ हो गया था , तीन दशक से दिल्ली की सियासत का अहम चेहरा रहे शरद यादव इन दिनों किसी सदन के सदस्य नहीं है , उनका सरकारी बांग्ला खाली करने का नोटिस दिया गया है।

आरजेडी से राजसभा भेजना चाहिए-जीतनराम मांझी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने शरद यादव से मुलाकात के दौरान शरद यादव ने कहा था कि अब मेरे पास घर भी नहीं है , मैंने अपना पैतृक घर भी छोड़ दिया था , अब कहा रहुगा कुछ पता नहीं , जिसके बाद जीतनराम मांझी ने कहा की उन्हें आरजेडी से राजसभा भेजना चाहिए।

शरद यादव ने 2019 का लोकसभा चुनाव राजद के टिकट पर लड़ा था, वहीं उनकी बेटी ने 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लड़ा था. उस समय कांग्रेस राजद नीत गठबंधन में शामिल थी

. वरिष्ठ समाजवादी नेता ने कहा कि विपक्षी दलों की एकता उनकी प्राथमिकता है. उन्होंने बिहार में भाजपा नीत राजग के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए तेजस्वी यादव की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को देश भर में हाथ मिलाना चाहिए.

शरद यादव (74) पिछले दिनों स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे. उनके इस कदम को उनके सहयोगियों के पुनर्वास के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि जनता दल (यू) नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनायी थी लेकिन उसका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा.

क्या अखिलेश यादव के लिए नवनिर्वाचित विधायक के रूप में इस्तीफा देकर सांसद बने रहने का विचार नासमझी भरा है?

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